Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

चुनाव से पहले दक्षिण के राज्यों में गरमाया मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष का मुद्दा, केंद्रीय मंत्री हुए सक्रिय

Human vs Wildlife Conflict मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष वैसे तो कोई नया नहीं है लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केरल कर्नाटक व तमिलनाडु में यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है। वजह इस संघर्ष का न थमना है। इसे लेकर प्रभावित लोगों के साथ ही राजनीतिक दल भी अब विरोध- प्रदर्शन के लिए मैदान में कूद पड़े है।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 22 Feb 2024 08:41 PM (IST)
Hero Image
दक्षिण के राज्यों में गरमाया मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष का मुद्दा। (फोटो, एक्स)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष वैसे तो कोई नया नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु में यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है। वजह इस संघर्ष का न थमना है। इसे लेकर प्रभावित लोगों के साथ ही राजनीतिक दल भी अब विरोध- प्रदर्शन के लिए मैदान में कूद पड़े है।

स्थिति को देखते हुए वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने वायनाड़ (केरल) का दौरा किया व हाथियों के हमले से मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिया कि मानव जीवन की रक्षा के लिए जो करना पड़ेगा वह हम सब करेंगे। इससे निपटने के लिए विशेषज्ञों के साथ तकनीक की भी पूरी मदद ली जाएगी।

वायनाड सांसद राहुल गांधी भी पीड़ितों से मिले

इससे पहले वायनाड में हाथियों के हमले में हुई मौतों के बाद स्थानीय लोगों द्वारा किए जा रहे विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए वायनाड सांसद और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी अपनी न्याय यात्रा को रास्ते में छोड़कर यहां आए थे। इस दौरान उन्होंने हमले में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की थी। साथ ही राज्य सरकारों से इन परिवारों को आर्थिक मदद देने का अनुरोध भी किया था।

समस्या का स्थाई समाधान निकाला जाए

खासबात यह है कि वन्यजीवों के हमलों के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शन में लोगों की मांग है कि इस समस्या का स्थाई समाधान निकाला जाए। इससे पहले हाथियों को मारने के लिए उन्हें अनानास के साथ पटाखे खिलाने का मामला भी तूल पकड़ा था। वायनाड पहुंचे केंद्रीय मंत्री ने मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष को गंभीर बताया और इस मुद्दे पर स्थानीय लोगों के साथ स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ भी चर्चा की।

प्रकृति विज्ञान केंद्र को संघर्ष में कमी लाने को कहा

साथ ही राज्यों के साथ मिलकर इस स्थिति से निपटने का भरोसा दिया। उन्होंने बताया कि मंत्रालय के अधीन काम करने वाले कोयम्बटूर स्थित सालिम अली पक्षी विज्ञान व प्रकृति विज्ञान केंद्र को इस संघर्ष में कमी लाने के लिए काम करने को कहा है। जो केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के साथ मिलकर इस काम को आगे बढ़ाएगा।

पर्यावरण और मानव जीवन समान रूप से महत्वपूर्ण

इसके साथ ही राज्यों के साथ के आपसी समन्वय को मजबूत बनाने, वनकर्मियों को दक्ष बनाने, वन्यजीव कॉरीडोर बनाने, हाथियों के खेतों या गावों में आने से रोकने के लिए बाडों का निर्माण करना आदि कार्यों को भी रफ्तार दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और मानव जीवन समान रूप से महत्वपूर्ण है और उनकी रक्षा की जानी चाहिए। वन्यजीव भी दया व करुणा के पात्र हैं। इस संघर्ष को थामने में नई तकनीक की मदद ली जाएगी।

हाथियों के हमले में 2022-23 में 605 लोगों की हुई थी मौतें

वन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022-23 में हाथियों के हमले में देश में कुल 605 मौतें रिपोर्ट हुई थीं। इनमें सबसे अधिक 148 मौतें अकेले ओडिशा में हुई थी। जबकि इसके अलावा पश्चिम बंगाल में 97, झारखंड में 96, असम में 80, छत्तीसगढ़ में 69, तमिलनाडु में 43, कर्नाटक में 29 और केरल 22 लोगों की मौतें हुई थीं। यही स्थिति कमोवेश पिछले सालों में भी रही है।

ये भी पढ़ें: