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देश के कई इलाकों में आबादी ऐसी बदली कि अब चुनाव का मतलब नहीं, जगदीप धनखड़ ने क्यों बोला ऐसा?

Jagdeep Dhankhar on demographic disorder चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के सम्मेलन के उद्धाटन पर बोलते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि हाल के समय में जनसांख्यिकी अव्यवस्था ने चुनावों के वास्तविक अर्थ को बदल दिया है। हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत पर कुठाराघात हो रहा है। उसे कमजोरी बताने का प्रयास किया जा रहा है। धनखड़ ने कहा कि भारत को एक स्थिर वैश्विक शक्ति बने रहना चाहिए।

By Jagran News Edited By: Mahen Khanna Updated: Wed, 16 Oct 2024 11:58 AM (IST)
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Jagdeep Dhankhar on demographic disorder धनखड़ ने जताई चिंता।

जेएनएन, जयपुर। Jagdeep Dhankhar on demographic disorder उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि कुछ लोग अराजकता के चैंपियन हैं। स्वार्थ से प्रेरित ये लोग छोटे से लाभ के लिए राष्ट्रीय एकता की बलि दे रहे हैं। वे हमें जाति, पंथ और समुदाय के आधार पर बांटना चाहते हैं। ऐसी ताकतों पर वैचारिक और मानसिक प्रहार होना चाहिए। हम राजनीतिक सत्ता के लिए पागलपन की हद तक नहीं जा सकते हैं। 

धनखड़ मंगलवार को जयपुर में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के सम्मेलन के उद्धाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हाल के समय में जनसांख्यिकी अव्यवस्था ने चुनावों के वास्तविक अर्थ को बदल दिया है। हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत पर कुठाराघात हो रहा है। उसे कमजोरी बताने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत को एक स्थिर वैश्विक शक्ति बने रहना चाहिए। अपनी ताकत को अभी और उभारना होगा।

देश के विकास के लिए एकता जरूरी: धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि देश के विकास के लिए एकता जरूरी है। उन्होंने देश की प्रगति में बाधा डालने वाली विभाजनकारी ताकतों को बेअसर करने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, कोई भी देश केवल आर्थिक मानदंडों के आधार पर आगे नहीं बढ़ सकता। एकता की भावना होने पर विकास स्थायी होता है।

जो विभाजित करने की सोचेगा, माकूल जवाब मिलेगा

उन्होंने आगे कहा कि भारत का पांच हजार साल का इतिहास है। यदि कोई अन्य देश हमारी प्रतिष्ठा को धूमिल करने की कोशिश करता है, हमारी संस्कृति को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, हमें विभाजित करने की कोशिश करता है तो निश्चित रूप से इसका माकूल जवाब दिया जाना चाहिए। यह प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है।

इस बात पर जताई चिंता

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कुछ लोगों द्वारा कानून के शासन की अवहेलना पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "एक समय था जब कुछ लोग सोचते थे कि वे कानून से ऊपर हैं। उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त थे, लेकिन अब चीजें बदल गई हैं। आज भी हम संवैधानिक पदों पर ऐसे जिम्मेदार लोगों को देखते हैं जो कानून की परवाह नहीं करते, राष्ट्र की परवाह नहीं करते। ये भारत की प्रगति के विरोधी ताकतों द्वारा रची गई भयावह साजिशें हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि हम राजनीतिक सत्ता के लिए पागल नहीं हो सकते। राजनीतिक सत्ता को लोगों से लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त करना चाहिए, जिसे पवित्र माना जाता है।