'यह लोकतंत्र के अनुरूप नहीं', जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका के कार्यकारी शक्तियों के प्रयोग पर क्यों जताई चिंता?
Jagdeep Dhankhar on Judiciary उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल कर्ण सिंह के सार्वजनिक जीवन में 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित सम्मान समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि न्यायपालिका द्वारा कार्यकारी शासन उसके संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से परे है और यह लोकतंत्र के अनुरूप नहीं है।
पीटीआई, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को शक्तियों के पृथक्करण के मुद्दे पर चर्चा की और कहा कि न्यायपालिका द्वारा कार्यकारी शासन उसके संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से परे है और यह लोकतंत्र के अनुरूप नहीं है।
उन्होंने बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों से राष्ट्रीय चर्चा को गति देने का आग्रह किया, ताकि कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका द्वारा संवैधानिक भावना का सम्मान सुनिश्चित किया जा सके।
'भारत के भीतर और बाहर शत्रुतापूर्ण ताकतों का जमावड़ा'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल कर्ण सिंह के सार्वजनिक जीवन में 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित सम्मान समारोह में धनखड़ ने कहा कि भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह शत्रुतापूर्ण ताकतों का जमावड़ा और राष्ट्र-विरोधी बयान गहरी चिंता का विषय हैं। इन घातक ताकतों को बेअसर करने के लिए राष्ट्रीय भावना को प्रभावित करने वाले ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।शक्तियों के पृथक्करण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कार्यकारी शासन कार्यपालिका के लिए विशिष्ट है, जैसे विधेयक विधायिकाओं के लिए और फैसले अदालतों के लिए। न्यायपालिका या विधायिका द्वारा कार्यकारी अधिकारों का प्रयोग लोकतंत्र और संवैधानिक प्रविधानों के अनुरूप नहीं है। धनखड़ ने कहा कि न्यायपालिका द्वारा कार्यकारी शासन विधि शास्त्र और न्यायिक दृष्टि से संविधान से परे है।