जागरण एग्री पंचायत समिट: किसानों के लिए शुरू किए गए 99 में से 55 प्रोजेक्ट पूरे; फसलों के उम्दा दाम कैसे मिले? एक्सपर्ट से जानें
जागरण एग्री पंचायत समिट एंड अवार्ड की शुरुआत जागरण न्यू मीडिया के एडिटर इन चीफ व एग्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट राजेश उपाध्याय और सीईईओ गौरव अरोड़ा ने अतिथियों - कृषि मंत्रालय के पूर्व सचिव सिराज हुसैन एनडीडीबी के चैयरमैन डॉ. मीनेश शाह और आईएफपीआरआई की रिसर्च कॉडिनेटर ममता प्रधान ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इसके बाद राजेश उपाध्याय ने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बारे में लोगों को जानकारी दी।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जागरण न्यू मीडिया की ओर से मंगलवार को दिल्ली के द अशोका होटल में आयोजित 'जागरण एग्री पंचायत समिट एंड अवार्ड' कार्यक्रम में भारतीय कृषि मंत्रालय के पूर्व सचिव सिराज हुसैन ने सिचुएशन असिसमेंट सर्वे का हवाला देते हुए किसानों की आय पर चिंता जताई। हालांकि, इसी दौरान उन्होंने केंद्र सरकार की तीन योजनाओं- फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना और प्राइज सस्टेनबल फंड योजना की प्रशंसा भी की।
पूर्व सचिव सिराज हुसैन ने किसानों को लेकर सरकार की योजनाओं पर बात करते हुए कहा कि सबसे पहले उन्होंने किसान बीमा योजना की बात की। उन्होंने कहा कि इसमें बहुत कम प्रीमियम देना होता है, जिसका किसानों को काफी हद तक लाभ मिल रहा है। सरकार ने भी इस योजना को काफी हद तक अमलीजामा पहनाया है।किसानों के लिए नीति, पहल और योजनाओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सिंचाई योजना सूखाग्रस्त क्षेत्रों में खासा कारगर साबित हुई है। मध्यप्रदेश में इस योजना के जरिए किसानों के खेतों तक पानी पहुंचा है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसानों के लिए शुरू किए गए 99 में से 55 से 56 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। बाकी के प्रोजेक्ट अलग-अलग स्थिति में हैं। प्राइज सस्टेनबल फंड योजना जिसके जरिये सब्जियों, दालों और अनाजों का बफर स्टॉक बनाया है। हुसैन इन तीनों योजनाओं को सफल स्टोरी करार दिया।
भारतीय कृषि मंत्रालय के पूर्व सचिव सिराज हुसैन ने मंच से ही कृषि मंत्री शिवराज से सवाल भी पूछा- शिवराज सिंह ने बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री सिंचाई योजना का लागू किया और किसानों को भरपूर लाभ मिला। अब बतौर केंद्रीय कृषि मंत्री वह देश भर के किसानों को कैसे लाभ पहुंचाएंगे?क्या नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट लाभार्थियों को पूरा न्यूट्रिशन मिलता है?
नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत केंद्र सरकार सिर्फ गेंहू और चावल प्रदान करती है। न्यूट्रिशन के प्वांइट से यह काफी नहीं है। इसलिए कुछ राज्य सरकारें अपने स्तर पर दाल, सोयाबीन व अन्य चीजें देती हैं।चुनाव के दौरान धान को ज्यादा कीमत पर खरीदने का वादा किया तो किसान उसी को उगाने को प्राथमिकता देत हैं, क्योंकि दाल उत्पादन और तिलहन के उत्पादन पर कोई बोनस देने का वादा नहीं किया गया।
सवाल: जिसके भाव ज्यादा होते हैं, उसको उगाते है तो उसी के भाव गिर जाते हैं तो ऐसा क्या किया जाए, जिससे हमको इसका घाटा न हो?वायदा बाजार से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन सरकार का मानना है कि इससे दलाली बढ्ती है। कुछ फसलों को छोड् दिया जाए तो इसका अब तक कोई समाधान नहीं है। अगर गन्ना किसानों को छोड् दिया जाए तो किसी के लिए कोई मिल या मंडी तय दाम देने के लिए बाध्य नहीं है।
क्या गोबर प्लांट के लिए कोई सब्सिडी सरकार देगी?एनडीडीबी के मुताबिक, गोवर्धन स्कीम है, जिसके जरिये किसान अपना लाभ उठा सकते हैं। एनआरएए की भी इस तरह की योजना है। एनडीडीबी जर्मन तकनीक से एक इनिशिएटिव पर काम कर रहा है। इन सभी योजनाओं से गांव के किसानों को सीएनजी व्हीकल्स के लिए शहर नहीं आना होगा, वे अपनी जरूरत गांव में ही पूरी कर सकेंगे।बता दें कि 'जागरण एग्री पंचायत समिट एंड अवार्ड' की शुरुआत जागरण न्यू मीडिया के एडिटर इन चीफ व एग्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट राजेश उपाध्याय और सीईईओ गौरव अरोड़ा ने अतिथियों - कृषि मंत्रालय के पूर्व सचिव सिराज हुसैन, एनडीडीबी के चैयरमैन डॉ. मीनेश शाह और आईएफपीआरआई की रिसर्च कॉडिनेटर ममता प्रधान ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इसके बाद राजेश उपाध्याय ने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बारे में वहां मौजूद लोगों को जानकारी दी।