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जागरण एग्री पंचायत समिट एंड अवॉर्ड: खेती पर जलवायु परिवर्तन की मार से कैसे बचें? एक्सपर्ट ने दिया ये जवाब

जागरण एग्री पंचायत समिट एंड अवॉर्ड मंगलवार को दिल्ली के द अशोका होटल में जागरण न्यू मीडिया की ओर से जागरण एग्री पंचायत समिट एंड अवॉर्ड का आयोजन किया गया। समारोह में खेती-किसानी से जुड़ो अहम मुद्दों पर चर्चा हुई जिसमें क्षेत्र से जुड़े विभिन्न विशेषज्ञ और जानकारों ने अपनी राय रखी। कार्यक्रम में आखिरी सत्र में खेती पर जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव पर चर्चा हुई।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Tue, 27 Aug 2024 08:12 PM (IST)
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आखिरी सत्र में खेती पर जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव पर चर्चा हुई।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जागरण न्यू मीडिया की ओर से मंगलवार को दिल्ली के द अशोका होटल में आयोजित 'जागरण एग्री पंचायत समिट एंड अवॉर्ड' कार्यक्रम में आखिरी सत्र में खेती पर जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव पर चर्चा हुई।

इस दौरान एग्रो कैम फेडरेशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल डॉ. कल्याण गोस्वामी ने कहा, 'क्लाइमेट चेंज का पूरा चक्र है। यदि हमें यह आपदा दिख रही है तो हम सब इसका समाधान किस तरह देखते हैं। उन्होंने कहा, क्रॉच रोटेशन क्लाइमेट चेंज का एक समाधान हो सकता है। यानी कि जिस फसल का सीजन हो, उसे ही उगाएं।'

'पर्यावरण के मुद्दे पर नहीं होती चर्चा'

iForest के फाउंडर और सीईओ चंद्र भूषण ने कहा कि पिछले 27 सालों से पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहा हूं। इस दौरान जब भी कृषि या पर्यावरण पर बात करने की कोशिश की है तो वो मुद्दा कभी आगे नहीं बढ़ा। मौजूदा समय में देखा जाए तो हम इंडस्ट्री को रेग्यूलेट करते हैं कि वायु प्रदूषण न करें, पानी का प्रदूषण न करें। देश में 40 प्रतिशत कैमिकल का इस्तेमाल हो रहा है, यह सभी कृषि में हो रहा है। नाइट्रोजन और अमोनिया से भी ज्यादा प्रदूषण खेती से होता है, लेकिन इन मुद्दों पर कभी सरकार चर्चा नहीं करती।

चंद्र भूषण ने कहा, 'हम समझते हैं कि हमारे किसान भाइयों को वातावरण के मुद्दों में रुचि नहीं है। पर्यावरण परिवर्तन की बात पिछले 15 साल से हो रही है, लेकिन हमको पर्यावरण से जुड़े सामान्य मुद्दे पहले सुलझा लेने चाहिए। देश में 80 के दशक में भूमि संरक्षण (soil conservation) की पहल शुरू हुई थी। अब इस पहल के बारे में कहीं सुनने को नहीं मिलता है। तेजी से बंजर हो रही जमीन इसी का परिणाम है ।' उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर सेक्टर में बेसिक पर्यावरण से जुड़े मुद्दें हैं, उन पर ध्यान दें तो इससे क्लाइमेट अडेप्टेशन में भी मदद मिलेगी।

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