National Herald Case: क्या है नेशनल हेराल्ड केस, जिसको लेकर सोनिया-राहुल पर ईडी कस रहा शिकंजा
नेशनल हेराल्ड केस कोर्ट में चल रहा है और जांच ईडी कर रही है। एजेएल का स्वामित्व सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया के पास है। इसी को लेकर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने केस दर्ज करवाया है।
By Shivam YadavEdited By: Updated: Thu, 04 Aug 2022 03:56 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और उनके बेटे व सांसद राहुल गांधी बुरी तरह फंस चुके हैं। ईडी (Enforcement Directorate) मामले को लेकर लगातार दोनों से पूछताछ कर रही है।
इसको लेकर कांग्रेस का कहना है कि यह भाजपा की चाल है और जानबूझकर उनके नेताओं की छवि खराब की जा रही है। यहां तक कि कांग्रेस ने धरना-प्रदर्शन भी किए, जबकि यह स्पष्ट है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई मामले में वित्तीय अनियमितताओं की जांच लिए ही है। आइए समझते हैं क्या है नेशनल हेराल्ड केस और मामले में कैसे फंसे सोनिया और राहुल?
पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने शुरू किया था नेशनल हेराल्ड
देश की आजादी में महत्वपूर्ण कड़ी बनने वाले 'द नेशनल हेराल्ड' समाचार-पत्र की स्थापना पं. जवाहर लाल नेहरू ने 1938 में की थी। यह अखबार तीन भाषाओं अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज के नाम से प्रकाशित किया जाता था। इसका प्रकाशन करने वाली कंपनी का नाम एजेएल (Associated Journals Limited) रखा गया।स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं के साथ जुड़े होने के कारण इसकी पहचान राष्ट्रवादी समाचार-पत्र में होने लगी थी। उस समय इसमें प्रकाशित होने वाले लेख इतने प्रभावशाली साबित हुए कि अंग्रेज भी भयभीत हो गए और 1942 में इसके प्रकाशन पर रोक लगा दी थी।
हालांकि, तीन साल बाद इसका प्रकाशन फिर से शुरू हुआ और आजादी के बाद भी नेशनल हेराल्ड (National Herald) की गिनती अंग्रेजी के प्रमुख समाचार-पत्रों में होती रही। लेकिन, समय बीतने के साथ यह कांग्रेस पार्टी का मुखपत्र (Mouthpiece) बनकर रह गया। अंतत: 2008 में इसका प्रकाशन कंपनी की आर्थिक तंगी के कारण बंद कर दिया गया। आठ साल बाद 2016 में तीनों समाचार पत्रों को एक बार फिर से शुरू करने का प्रयास किया गया, जो फेल साबित हुआ।