गजब! बिटकॉइन के आगे छोटी पड़ गई है कई देशों की अर्थव्यवस्था
आभासीय मुद्रा बिटकॉइन की तेजी ने पूरी दुनिया को चौंका रखा है। यह लगातार अपना ही रिकॉर्ड तोड़ रही है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। आभासी मुद्रा बिटाकॉइन लगातार अपना ही रिकॉर्ड तोड़ रही है। इसकी वैल्यू अब 15 हजार डॉलर प्रति बिटकॉइन को भी पार कर चुकी है। इस मुद्रा की तेजी का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इस वर्ष की शुरुआत में इसकी वैल्यू जहां महज 800 डॉलर प्रति बिटकॉइन हुआ करती थी वहीं सितंबर में इसकी वैल्यू करीब 3500 डॉलर आंकी गई थी। अब इसने 15 हजार डॉलर प्रति बिटकॉइन का भी आंकड़ा पार कर लिया है। हालांकि इसकी यह बढ़त अधिक समय तक कायम नहीं रह सकी और बाद में इसमें दो सौ डॉलर की गिरावट दर्ज की गई। लेकिन इसका सीधा असर यह भी है इस क्रिप्टोकरेंसी पर निवेशकों का भरोसा जारी है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस आभासीय मुद्रा में कम ही समय गिरावट का आया है। 29 नवंबर को इसमें महज ढाई घंटे के लिए 20 फीसद की गिरावट दर्ज की गई थी और इसकी वैल्यू 11 हजार प्रति बिटकॉइन आंकी गई थी।
कई देश चिंतित
यहां पर ध्यान देने वाली बात यह भी है कि दुनिया भर के देश इस आभासीय करेंसी करे लेकर काफी चिंतित दिखाई देते हैं। यही वजह है कि कई देशों और जानकारों की तरफ से यह चेतावनी दी जा चुकी है कि यह कभी भी अपने निवेशकों को धोखा दे सकती है और इसमें कभी भी बड़ी गिरावट हो सकती है। सभी बिटक्वाइन, जो सर्कुलेशन में हैं, कि कुल वैल्युएशन 190 बिलियन डॉलर है। केंद्र सरकार फिलहाल बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी के ऑनलाइन लेनदेन पर रोक लगाने की स्थिति में नहीं है। इस मामले में सरकार के भीतर हुए विमर्श का निचोड़ यही है कि ऐसी करेंसी की ऑनलाइन खरीद-फरोख्त पर नियंत्रण संभव नहीं है। हालांकि अभी सरकार ने इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। लेकिन एक अंतर मंत्रालयी समिति में इस पर हुए विचार-विमर्श में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इंटरनेट के जरिए होने वाले सौदों पर रोक लगाना तकनीकी तौर पर संभव नहीं है। बिटकॉइन सहित तमाम तरह की वर्चुअल करेंसी के भविष्य पर विचार के लिए आर्थिक मामलों के विभाग ने एक अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया था। इस तरह की डिजिटल मुद्राओं के लेनदेन पर रोक लगाने की संभावनाओं पर कमेटी की अप्रैल से अब तक चार बैठकें हो चुकी हैं।
कई बैंकों की कुल पूंजी से भी आगे बिटकॉइन
यहां पर एक और हैरानी की बात यह भी है कि वर्ल्ड बैंक के जुलाई माह के आंकड़ों के मुताबिक कृषि एवं पर्यटन प्रधान देश न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था 185 बिलियन डॉलर की है। यह बिटकॉइन की कैपिटलाइजेशन से करीब पांच अरब डॉलर ही कम है। इसकी वैल्युएशन कतर, कुवैत और हंगरी जैसे देशों से भी ज्यादा है। दुनिया के दो सबसे ज्यादा पूंजी वाले बैंक गोल्डमैन सेक्स और यूबीएस की वैल्यु भी बिटकॉइन से कम है। गोल्डमैन सेक्स ग्रुप इंक की मार्केट कैप शुक्रवार को 97 बिलियन डॉलर थी जबकि ज्यूरिक के यूबीएस ग्रुप एजी, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा वेल्थ मैनेजर है, की कैप 67 बिलियन डॉलर है। मसलन, इन दोनों बैंकों की कुल मार्केट कैप भी बिटकॉइन की वैल्यु से कम है।
बोइंग से भी आगे बिटकॉइन
बोइंग कॉरपोरेशन की मार्केट कैप 162 बिलियन डॉलर है जो कि बिटकॉइन की 190 बिलियन डॉलर की वैल्युएशन से कम है। शिकागो कि यह कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी एरोस्पेस फर्म है। यह 100 साल से भी ज्यादा पुरानी कंपनी है जिसमें 1,40,000 लोग दुनिया के 65 देशों में कार्यरत है। यह जानकारी बोइंग की वेबसाइट के आधार पर है। वहीं, इसकी प्रतिस्पर्धी कंपनी एयरबस एसई की मार्केट वैल्यु 66 बिलियन यूरो (78 बिलियन डॉलर) है। बिल गेट्स और वॉरेन बफेट ब्लूमबर्ग के बिलिनियेर इंडेक्स में टॉप पर रहते हैं। गेट्स की संपत्ति 90 बिलियन डॉलर और बफेट की 83 बिलियन डॉलर है।
बिटकॉइन के साथ विवाद
वित्तीय लेन-देन के लिए बिटकॉइन सबसे तेज और कुशल मुद्रा मानी जा रही है। इसलिए बिटकॉइन को वर्चुअल करेंसी भी कहा जाता है। आज दुनियाभर के कंप्यूटरों में वायरस भेजकर फिरौती मांगने का काम भी बिटकॉइन के जरिए ही हो रहा है। कालाधन, हवाला का धंखा, ड्रग्स की खरीद-बिक्री, टैक्स की चोरी और आतंकवादी गतिविधियों में इसके ज्यादा इस्तेमाल की वजह से भी बिटकॉइन खबरों में रहता है। बिटकॉइन के बढ़ते इस्तेमाल ने दुनियाभर के देशों में सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। इधर भारत में रिजर्व बैंक या किसी भी अन्य रेग्युलेटर ने इस वर्चुअल मुद्रा को कानूनी मान्यता नहीं दी है।
रातों-रात सबकी जुबान पर चढ़ गया बिटकॉइन
पिछले दिनों दुनियाभर के कंप्यूटरों पर एक रैनसम वेयर (वॉना क्राय) का हमला हुआ। इस वायरस के जरिए यूजर की सारी जानकारी को इनस्क्रिप्ट कर दिया गया और इसे वापस देने के बदले फिरौती मांगी गई। इसी लिए इस वायरस को फिरौती वायरस का भी नाम मिला। फिरौती भी रुपये, डॉलर, पाउंड या किसी अन्य मुद्रा में नहीं मांगी गई, बल्कि 'बिटकॉइन' में मांगी गई। अपने डाटा को वापस पाने के लिए कई कंपनियों को 'बिटकॉइन' के रूप में मोटी रकम चुकानी भी पड़ी। रैनसम वेयर के अटैक से पहले बिटकॉइन के बारे में भारत में कम ही लोगों को जानकारी थी। लेकिन दुनियाभर के कंप्यूटरों और मोबाइल फोनों पर रैनसम वेयर के हमले के बाद बिटकॉइन रातों-रात सबकी जुबान पर चढ़ गया है।
भारत में बढ़ रहा है इसका इस्तेमाल
जैसा कि आप जानते हैं, बिटकॉइन एक आभासी मुद्रा है। लेकिन आज यह दुनिया की सबसे महंगी करेंसी बन गई है। भारत में बिटकॉइन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बिटकॉइन दरअसल एक क्रिप्टोकरेंसी है और यह किसी भी सामान्य मुद्रा जैसे डॉलर, रुपये या पॉन्ड की तरह इस्तेमाल की जा सकती है। फर्क सिर्फ इतना है कि इसका लेनदेन केवल डिजिटल स्वरूप में ही होता है। पहली क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन के रूप में साल 2009 में चलन में आई थी। आज इसका इस्तेमाल ग्लोबल पेमेंट के लिए किया जा रहा है। शायद यही कारण है कि कई डेवलपर्स और बिजनेस ने बिटकॉइन को अपनाया है।
कैसे काम करता है बिटकॉइन?
अगर आप तकनीक को बहुत अच्छे से नहीं भी समझते हैं तो भी आप बिटकॉइन का इस्तेमाल कर सकते हैं। एक नए उपयोगकर्ता के रूप में आप बिटकॉइन को अपने कंप्यूटर या मोबाइल फोन पर बिटकॉइन वॉलेट के रूप में इंस्टॉल कर सकते हैं। इससे आपका पहला बिटकॉइन एड्रेस बनेगा और जरूरत पड़ने पर आप एक से ज्यादा एड्रेस भी बना सकते हैं। अब आप अपने मित्रों को अपना बिटकॉइन एड्रेस दे सकते हैं। इसके बाद आप उनसे भुगतान ले या उन्हें भुगतान कर भी सकते हैं।
कैश, मोबाइल वॉलेट और बैंक से अलग
दुनियाभर के देशों की अपनी अगल-अलग मुद्रा है। दुनियाभर में डॉलर के जरिए व्यापार होता है और हर मुद्रा की कीमत डॉलर के आधार पर ही ऊपर-नीचे होती रहती है। फोरेक्स बाजार में जिस तरह से रुपये, डॉलर, यूरो, येन आदि खरीदे-बेचे जाते हैं, उसी तरह बिटकॉइन की भी खरीददारी होती है। बिटकॉइन से आप ऑनलाइन खरीददारी कर सकते हैं, साथ ही साथ इसे कैश में भी भुना सकते हैं। इसके लिए बकायदा दुनियाभर में एक्सचेंज बनाए गए हैं। न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और गोल्डमैन साक्स ने भी बिटकॉइन को काफी तेज और कुशल तकनीक बताया है और इसकी जमकर तारीफ भी की है।
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