संसार के कण-कण में बसे हैं भोलेनाथ, दुनिया के अलग-अलग देशों में ये हैं बड़े शिवालय
कहते हैं भगवान शिव शंकर संसार के कण-कण में विराजमान हैं। शायद यही वजह है कि शिव की पूजा सिर्फ भारत में ही नहीं कई अन्य देशों में भी होती है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। कहते हैं भगवान शिव शंकर संसार के कण-कण में विराजमान हैं। शायद यही वजह है कि शिव की पूजा सिर्फ भारत में ही नहीं कई अन्य देशों में भी होती है। विदेशों में भगवान शिव के कई भव्य मंदिर हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। यहां भारतीयों से ज्यादा विदेशी भक्त नजर आते हैं। हाल ही में अपनी ओमान यात्रा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां के मस्कट में मौजूद 125 वर्ष पुराने शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की। शिवरात्रि के मौके पर यहां हम जानेंगे दुनियाभर के शिव मंदिरों के बारे में... सबसे पहले मस्कट के शिवमंदिर की कहानी...
125 वर्ष पुराना है मस्कट का शिव मंदिरगुजराती कनेक्शन
माना जाता है कि गुजरात के कच्छ इलाके के भाटिया व्यापारिक समुदाय के लोग 1507 में मस्कट जाकर बसे। इस समुदाय ने वहां कई मंदिरों और तीर्थ स्थलों का निर्माण कराया। ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक 19वीं सदी की शुरुआत में मस्कट में गुजराती परिवारों का प्रभाव इतना ज्यादा बढ़ गया कि उन्होंने ओमान के सुल्तान सैयद सैद को अपनी राजधानी मस्कट से जांजिबार स्थानांतरित करने को राजी कर लिया।मरुस्थल में जल का स्रोत
समुदाय का संगम स्थल
यह मंदिर मस्कट में रहने वाले हिंदू समुदाय को जोड़ने का काम करता है। यहां तीन पुजारी, तीन सेवाकर्मी और चार प्रबंधन कर्मी मंदिर की सेवा में रहते हैं। बड़ी संख्या में स्वयंसेवी लोग अपनी सेवाएं मंदिर को देते हैं।तीन देवताओं का वास
मस्कट के अलावा अन्य देशों के भव्य शिव मंदिर
प्रम्बानन मंदिर (जावा, इंडोनेशिया)- ये प्राचीन मंदिर इंडोनेशिया के जावा नाम की जगह पर है। हिंदू संस्कृति और देवी-देवताओं को समर्पित ये एक बहुत सुंदर मंदिर है। 10वीं शताब्दी में बना यह मंदिर प्रम्बानन मंदिर के नाम से जाना जाता है।अरुल्मिगु श्रीराजा कलिअम्मन मंदिर (जोहोर बरु, मलेशिया)- कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1922 के आस-पास किया गया था। यह मंदिर जोहोर बरु के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। मंदिर के गर्भ गृह में लगभग 3,00,000 मोतियों को दीवार पर चिपकाकर सजावट की गई है।
शिवा हिन्दू मंदिर (जुईदोस्त, एम्स्टर्डम)- यह मंदिर लगभग 4,000 वर्ग मीटर को क्षेत्र में फैला हुआ है। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान गणेश, देवी दुर्गा, परमभक्त हनुमान की भी पूजा की जाती है। यहां पर भगवान शिव पंचमुखी शिवलिंग के रूप में है।
शिवा-विष्णु मंदिर (मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया)- शिव और विष्णु को समर्पित इस मंदिर का निर्माण लगभग 1987 के आस-पास किया गया था। इस मंदिर की वास्तुकला हिन्दू और ऑस्ट्रेलियाई परंपराओं का अच्छा उदाहरण है। मंदिर परिसर के अंदर भगवान शिव और विष्णु के साथ-साथ अन्य हिंदू देवी-देवताओं की भी पूजा-अर्चना की जाती है।
मुन्नेस्वरम मंदिर (मुन्नेस्वरम, श्रीलंका)- मान्यताओं के अनुसार, रावण का वध करने के बाद भगवान राम ने इसी जगह पर भगवान शिव की आराधना की थी। इस मंदिर परिसर में पांच मंदिर हैं, जिनमें से सबसे बड़ा और सुंदर मंदिर भगवान शिव का ही है।
शिवा विष्णु मंदिर (लिवेरमोरे, कैलिफोर्निया)- वास्तुकला की दृष्टि से यह मंदिर उत्तर भारत और दक्षिण भारत की कला का सुंदर मिश्रण है। मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान गणेश, देवी दुर्गा, भगवान अय्यप्पा, देवी लक्ष्मी आदि की भी पूजा की जाती है। मंदिर की ज्यादातर मूर्तियां 1985 में तमिलनाडु सरकार द्वारा दी गई थीं।
पशुपतिनाथ मंदिर (काठमांडू, नेपाल)- ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 11वीं सदी में किया गया था। 17वीं सदी में इसका पुनर्निर्माण किया गया। मंदिर में भगवान शिव की एक चार मुंह वाली मूर्ति है।
शिवा मंदिर (ऑकलैंड, न्यूजीलैंड)- कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी शिवेंद्र महाराज और यज्ञ बाबा के मार्गदर्शन में हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किया गया था। इस मंदिर में भगवान शिव नवदेश्वर शिवलिंग के रूप में हैं।
कटासराज मंदिर (चकवाल, पाकिस्तान)- कटासराज मंदिर पाकिस्तान के चकवाल गांव से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर कटस में एक पहाड़ी पर है। कहा जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल (त्रेतायुग) में भी था। मान्यताओं के अनुसार, कटासराज मंदिर का कटाक्ष कुंड भगवान शिव के आंसुओं से बना है।