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अब हीरे की तरह खिचड़ी भी सदा के लिए, जानें- खिचड़ी की दिलचस्प कहानी

विविधता में एकता को दिखती खिचड़ी देश को एक सूत्र में पिरोती है। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक इसका बोलबाला है।

By Lalit RaiEdited By: Updated: Sun, 05 Nov 2017 03:27 PM (IST)
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अब हीरे की तरह खिचड़ी भी सदा के लिए, जानें- खिचड़ी की दिलचस्प कहानी

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में शनिवार से शुरू हुए वर्ल्ड फूड इंडिया कार्यक्रम में देश के नामी शेफ संजीव कपूर ने 918 किग्रा खिचड़ी बनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया। बाबा रामदेव ने इस खिचड़ी में तड़का लगाया, जिसे साठ हजार अनाथ बच्चों में बांटा गया। इसी कार्यक्रम के मद्देनजर खिचड़ी को देश का ब्रांड फूड घोषित करने की चर्चा गरम हुई थी।

विविधता में एकता को दिखती खिचड़ी देश को एक सूत्र में पिरोती है। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक इसका बोलबाला है। अमीर-गरीब सभी खिचड़ी को चाव से खाते हैं। उनके लिए तो खिचड़ी अमृतमयी भोजन है जिनका पाककला में हाथ तंग है।ऐसे में खिचड़ी को देश के ब्रांड भोजन के रूप में पेश करना तर्कसंगत लगता है।
उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक इसका बोलबाला है। अमीर-गरीब सभी खिचड़ी को चाव से खाते हैं। उनके लिए तो खिचड़ी अमृतमयी भोजन है जिनका पाककला में हाथ तंग है। ऐसे में खिचड़ी को देश के ब्रांड भोजन के रूप में पेश करना तर्कसंगत लगता है।

क्यों है खास
खिचड़ी सबसे आसानी से बनने वाला पौष्टिक और सुपाच्य भोजन है। चावल और दाल का सही संतुलन होने के कारण इसमें सही मात्र में प्रोटीन और काबरेहाइड्रेट होते हैं। दही या छाछ के साथ खाने पर यह संपूर्ण आहार बन जाती है। बेहद कम तेल-मसालों में बनने वाली खिचड़ी बेहद आसानी से पचती है। इसलिए बीमार व्यक्ति को खासतौर से खिचड़ी खाने का परामर्श दिया जाता है। आयुर्वेद के मुताबिक यह हमारे शरीर के तीनों दोषों को संतुलित रखती है। सबसे अच्छी बात यह है कि यह एक ही बर्तन में जरा सी मेहनत में तैयार हो जाती है।

खिचड़ी के चार यार
वैसे तो खिचड़ी अपने आप में काफी है लेकिन दही, पापड़, घी और अचार के साथ खिचड़ी खाने पर उसका स्वाद चौगुना हो जाता है।

समृद्ध है इतिहास
14 वीं शताब्दी में उत्तर अफ्रीकी देश मोरक्को से भारत यात्र पर आए इब्न बतूता ने अपने यात्र वृत्तांत में लिखा कि भारत में मूंग दाल को चावलों के साथ पकाकर खाया जाता है। इसे वहां किशरी कहा जाता है, जो उनका हर सुबह का नाश्ता है।
15वीं सदी में दक्षिण एशिया की यात्र पर आए रूसी यात्री निकीतिन ने भी अपने लेखों में खिचड़ी के बारे में लिखा।
16वीं सदी में लिखी गई आइने-अकबरी में खिचड़ी की सात विधियां लिखी गई हैं। बीरबल की खिचड़ी वाला प्रसंग भी सभी लोगों ने सुना है।
17वीं सदी में छह बार भारत दौरे पर आए फ्रांसीसी यात्री जीन बैपटिस्ट टैवरनीर ने घी, हरी दाल और चावल से बनने वाली खिचड़ी को देश का प्रसिद्ध भोजन बताया।

ऐसे बनी खिचड़ी
संस्कृत के शब्द खिच्चा का मतलब है चावल और दाल से बना व्यंजन। इसी शब्द से खिचड़ी शब्द का उद्गम हुआ। हालांकि विभिन्न भाषाओं में इसे अलग-अलग तरह से बोला और लिखा जाता है। खिचड़ी के साथ खिचरी भी प्रचलित है।  देश का ऐसा कोई भाग नहीं है जहां किसी न किसी प्रकार की खिचड़ी न खाई जाती हो। अलग-अलग राज्यों में इसे बनाने की विधियां और नाम बदल जाता है।

जम्मू-कश्मीर- यहां इसे मोंग खेचिर कहा जाता है।
पश्चिम भारत-  राजस्थान और हरियाणा में बाजरा खिचड़ी खाई जाती है।
उत्तर व मध्य भारत- यहां तूर दाल, मूंग दाल और उड़द की दाल वाली खिचड़ी प्रचलित है। साबू दाने की खिचड़ी भी यहां प्रसिद्ध है।
गुजरात- यहां पर कढ़ी के साथ खिचड़ी खाई जाती है।
बंगाल- यहां इसे खिचुरी कहा जाता है। इसे मछली, आलू की सब्जी, बैंगन व अंडों के साथ परोसा जाता है। यह धार्मिक अनुष्ठानों का अहम भोजन है।
पूर्वोत्तर राज्य-  यहां इसे जा दोई, मणिपुरी खिचड़ी, काली दाल खिचड़ी कहते हैं।
दक्षिण भारत- कर्नाटक में इसे बीसी बेले भात कहते हैं। आंध्र प्रदेश में पुलागम, केरल में माथन खिचड़ी खाई जाती है।
तमिलनाडु- यहां वेन पोंगल, खारा पोंगल, मिलागु पोंगल और गुड़ मिलाकर बनाया गया सक्कराई पोंगल कहते हैं।
पंजाब- यहां माघी के पर्व पर उड़द व चावल की खिचड़ी बनती है।

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