मिस्र में स्थित गीजा के पिरामिड में मिला ये खुफिया कक्ष, जानें- इसका रहस्य
मिस्र के प्राचीन सम्राट खूफू का मकबरा गीजा का महान पिरामिड दुनिया के सात अजूबों में पहले स्थान पर है। 2560 ईसा पूर्व में बने इस पिरामिड के निर्माण में पत्थरों का इस्तेमाल हुआ।
नई दिल्ली (जेएनएन)। मिस्न में स्थित गीजा पिरामिड के 4500 साल के इतिहास पहली बार उसमें खुफिया कक्ष खोजा गया। यह प्राचीन सम्राट फारोह खूफू के कक्ष को रानी के कक्ष से जोड़ने वाली ग्रांड गैलरी के 30 मीटर ऊपर स्थित है। मिस्र के प्राचीन सम्राट खूफू का मकबरा गीजा का महान पिरामिड दुनिया के सात अजूबों में पहले स्थान पर है। 2560 ईसा पूर्व में बने इस पिरामिड के निर्माण में विशालकाय पत्थरों का इस्तेमाल हुआ। नेचर जर्नल में प्रकाशित नई खोज के जरिये शोधकर्ताओं ने पिरामिड के निर्माण के रहस्यों से पर्दा उठाने में मदद मिलने की संभावना जताई है। इस खुफिया कक्ष को विशाल रिक्त स्थान या स्कैन पिरामिड बिग वायड कहा जा रहा है।
अभियान के तहत खोजा
खुफिया कक्ष को स्कैन पिरामिड अभियान के तहत खोजा गया है। मिस्र की मिनिस्ट्री ऑफ एंटीक्विटीज के साथ कई संगठन खोज में मददगार रहे। पहचान के लिए इंफ्रारेड थर्मोग्राफी, थ्रीडी स्कैन्स विद लेजर और कॉस्मिकरे डिटेक्टर का कई महीनों तक इस्तेमाल किया गया। इसके बाद नतीजों को तीन बार परखा गया।
खोज में अंतरिक्ष कणों से मिली मदद
खुफिया कक्ष को खोजने के लिए अंतरिक्ष कणों का सहारा लिया गया। मुओन्स नामक यह अंतरिक्ष कण ब्रह्मांड में तारे के फूटने से निकली अंतरिक्ष किरणों के पृथ्वी के ऊपरी वातावरण से मिलने के बाद बनते हैं। यह पृथ्वी पर प्रकाश की गति से भी तेज गति से गिरते हैं। मुओन्स पृथ्वी पर मौजूद किसी भी बनावट में भी प्रवेश करने में सक्षम होते हैं। कुछ मुओन्स बनावट के अंदर रिक्त स्थानों को पार कर जाते हैं तो कुछ पत्थरों में अटक जाते हैं।
पिरामिड को नहीं पहुंचा नुकसान : खुफिया कक्ष की खोज के लिए रानी के कक्ष में, पिरामिड के नीचे जाने वाले संकरे रास्ते और पिरामिड के बाहर उत्तरी प्रवेश द्वार के पास मुओन्स पहचानने वाले डिटेक्टटर लगाए गए। चांदी चढ़ी प्लेटों को डिटेक्टटर के रूप में इस्तेमाल किया गया। इनके जरिये ही मुओन्स की गतिविधि का पता चला और खुफिया चैंबर खोजा जा सका।
कम नहीं थी दूरी
पिरामिड बनाने के लिए गीजा से 804 किमी दूर स्थित मिस्र के प्राचीन क्षेत्र टोरा से चूना पत्थर लाए गए थे। साथ ही 857 किमी दूर आसवान शहर से ग्रेनाइट के टुकड़े लाए गए थे। प्राचीन समय में इतनी दूरी तक ढाई टन वजनी प्रत्येक पत्थर को कैसे लाया गया, पुरातत्वविदों के लिए यह शोध का विषय रहा है।
सबसे ऊंची मानव निर्मित बनावट
4,500 साल पहले बने गीजा के पिरामिड के नाम 3,800 साल तक मानव निर्मित सबसे ऊंची बनावट का दर्जा रहा। 13 सौ ईसवीं में इंग्लैंड के लिंकन शहर में लिंकन कैथेडरल का निर्माण पूरा हुआ। पिरामिड के बाद यह दर्जा उसे मिल गया। लिंकन कैथेडरल के पास यह दर्जा 238 साल तक रहा।
खास है खुफिया कक्ष
खुफिया कक्ष की लंबाई, ऊंचाई और चौड़ाई ग्रांड चैंबर के ही बराबर आंकी गई है। यह 50 मीटर लंबा, आठ मीटर ऊंचा और एक मीटर चौड़ा है। शोधकर्ताओं के अनुसार खुफिया कक्ष का इस्तेमाल संभवत: पिरामिड के मध्य हिस्से में बड़े पत्थरों को ले जाने के लिए किया जाता होगा। साथ ही इसका इस्तेमाल ऐसे गलियारे के तौर पर भी किए जाने की संभावना जताई गई है, जिससे मजदूर निर्माण के समय ग्रांड गैलरी और सम्राट के कक्ष में जाते हों।
146 मीटर पिरामिड की ऊंचाई
23 लाख निर्माण में इस्तेमाल चूना पत्थर
20 हजार निर्माण में शामिल मजदूर
2.5 टन प्रत्येक पत्थर का औसत वजन
30 साल निर्माण का समय
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