जज का ये करारा जवाब सुनकर लालू की हो गई बोलती बंद, जानें दोनों के बीच पूरा संवाद
गद्दी संभालने के तुरंत बाद उन्होंने कहा कि समाज के उस वर्ग का बेटा सबसे बड़ी कुर्सी पर काबिज हुआ है जो सदियों से वंचित था।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। सामाजिक न्याय आंदोलन के प्रमुख चेहरों में लालू प्रसाद यादव भी एक महत्वपूर्ण शख्सियत हैं। ये बात अलग है कि उनके करिश्माई व्यक्तिस्व को विवादों ने कभी पीछा नहीं छोड़ा। 90 के दशक में जब भारतीय राजनीति में एक अहम बदलाव हो रहा था उस वक्त राजनीतिक तौर पर अलग पहचान स्थापित करने वाले लालू ने बिहार की गद्दी संभाली। गद्दी संभालने के तुरंत बाद उन्होंने कहा कि समाज के उस वर्ग का बेटा सबसे बड़ी कुर्सी पर काबिज हुआ है जो सदियों से वंचित था। लेकिन इसके साथ ही साथ लालू की नियति की भी पटकथा लिखी जा रही थी। चारा घोटाला उसका शीर्षक था और लालू प्रसाद उसके गुनहगार बने। रांची स्थिति सीबीआइ की विशेष अदालत से वो दोषी करार हैं और अब सिर्फ सजा की अवधि पर फैसला आना शेष है। गुरुवार को जब वो अदालत में पेश हुए तो जज के साथ मजाकिया अंदाज में उन्होंने बातचीत भी की है।
कुछ ऐसा था पूरा संवाद:
लालू : क्या वो अपनी कुछ बात रख सकते हैं।
जज : इजाजत है
लालू : वह खुद भी वकील हैं और प्रैक्टिशनर भी हैं। पटना हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इनरोल्ड हैं।
जज : झारखंड से भी कुछ ऐसी ही डिग्री प्राप्त कर लें। जिससे यह प्रतीत हो कि आप ने झारखंड की भलाई के लिए भी कुछ किया है। अगर ज्यादा कुछ न हो सके तो हारमोनियम बजाना सीखें और कुछ लोगों को सिखाएं।
लालू : हुजूर जेल में कई तरह की दिक्कत है। ठंड से बचाव के लिए कंबल तो है लेकिन ठंड बहुत लगती है। सब कोई कूल ही रहेगा..हुजूर यकीन है कि फैसला भी कूल माइंड से आएगा। हुजूर, लोगों को जेल में उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है।
जज : इसीलिए आपको अदालत बुलाया जाता है। आप को यहां बुलाने का मकसद है कि आप अदालत में अपने लोगों से मिल सकें। फिर भी अगर आपको कोई परेशानी होती है तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आप अपनी बात कह सकते हैं।
लालू : उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं है। वो कोर्ट का सम्मान करते हैं। कोई कार्यकर्ता भी नहीं आया है।
लालू : हुजूर वो राजनीतिक भाषण था, लिहाजा अवमानना के नोटिस को वापस ले लिया जाए।
जज : अब तो नोटिस भेजा जा चुका है, लिहाजा उन लोगों को जवाब देना पड़ेगा।
क्या है पूरा मामला :
सीबीआई ने इस मामले में देवघर कोषागार से फर्जी बिल बनाकर 89 लाख रुपये की निकासी करने का आरोप सभी पर लगाया था। आपूर्तिकर्ताओं पर सामान की बिना आपूर्ति किए बिल देने और विभाग के अधिकारियों पर बिना जांच किए उसे पास करने का आरोप है। लालू पर गड़बड़ी की जानकारी होने के बाद भी इस पर रोक नहीं लगाने का आरोप है।
अवमानना का नोटिस
राजद नेता रघुंवश प्रसाद सिंह, तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और राजद के शिवानंद तिवारी के खिलाफ सीबीआई कोर्ट ने अवमानना का नोटिस जारी किया है। सभी को 23 जनवरी तक यह बताने को कहा गया है कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाए। नोटिस जारी करते हुए सीबीआई जज शिवपाल सिंह ने कहा कि कोर्ट के आदेश के साथ मजाक किया जा रहा है, जिसे जो मन कर रहा कमेंट कर रहा है। यह अदालत की अवमानना का मामला है।
मीडियाकर्मियों से बातचीत :
अदालत के अंदर जज के साथ संवाद कर लालू प्रसाद यादव अदालत परिसर से बाहर निकले और मीडियाकर्मियों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि साजिश के तहत उन्हें फंसाया गया है। भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि एक पूरा तंत्र उनके खिलाफ काम कर रहा है। भाजपा और मुनवादी ताकतों का हमेशा से प्रयास रहा है कि निचले तबके का कोई शख्स राजनीति में मुकाम स्थापित न कर सके।
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