याद है जब इन हत्याओं ने सबको हिलाकर रख दिया था?
सिर्फ सुहैब ही नहीं बीते दो दशकों में इस तरह के कुछ ऐसे मामले सामने आए जिन्होंने काफी सनसनी फैलाई थी। इन मामलों का शोर हर जगह सुनाई दिया था।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। 1998 में अपने क्राइम शो से चर्चित चेहरा बने एंकर सुहैब इलियासी को पत्नी की हत्या के लिए दोषी ठहराते हुए दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। 11 जनवरी 2000 को सुहैब की पत्नी अंजू इलियासी की रहस्यमयी हालत में मौत हो गई थी। इस हत्या को सुहैब की तरफ से खुदकुशी बताया गया था, लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलों को दरकिनार करते हुए उन्हें हत्या का दोषी माना और सजा सुनाई। 90 के दशक में सुहैब ऐसा चेहरा था जिसको हर कोई पहचानता था। उनका क्राइम शो ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ उस वक्त टीवी का सबसे अधिक टीआरपी देने वाला शो था। यही वजह थी कि जब अंजू की हत्या और सुहैब की गिरफ्तारी की बात सामने आई तो हर कोई दंग था। सिर्फ सुहैब ही नहीं बीते दो दशकों में इस तरह के कुछ ऐसे मामले सामने आए जिन्होंने काफी सनसनी फैलाई थी। इन मामलों का शोर हर जगह सुनाई दिया था।
प्रियदर्शनी मट्टू हत्याकांड
17 अक्टूबर 1996 में हुए इस मर्डर केस की हर तरफ चर्चा थी। इस हत्याकांड ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया था। प्रियदर्शनी मट्टू दिल्ली विश्वविद्यायल में लॉ स्टूडेंट थी। इस मामले के सबकी जुबान पर आने की बड़ी वजह यह थी कि इस मामले का दोषी संतोष कुमार सिंह पुलिस आईजी का बेटा था। लिहाजा रेप और मर्डर के इस मामले की गूंज हर जगह सुनाई दे रही थी। यह एक ऐसा मामला था जिसमे अदालत पर सवाल खड़ हो गए थे। दरअसल, निचली अदालत ने इस मामले में संतोष सिंह को बरी कर दिया था। इसके खिलाफ सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसने 17 अक्टूबर 2006 को संतोष को हत्या का दोषी माना और 30 अक्टूबर को उसे मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। कानून के इतिहास में यह मामला बेहद चर्चित इसलिए भी था क्योंकि हाईकोर्ट ने अपने लैंडमार्क जजमेंट में निचली अदालत के फैसले को पूरी तरह से बदलकर रख दिया था।
नैना साहनी मर्डर केस
नैना साहनी हत्याकांड ने सभी को हिलाकर रख दिया था। यह कांड तंदूर कांड के नाम से काफी चर्चित हुआ था। इसकी वजह थी कि आरोपी ने अपनी ही पत्नी नैना की हत्या कर उसके शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े कर तंदूर में जलाए थे। 2 जुलाई 1995 को इस मामले का खुलासा हुआ था। इस मामले में कोर्ट ने 7 नवंबर 2003 को काग्रेस के युवा नेता सुशील शर्मा को मौत की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही निचली अदालत ने सुशील के साथ केशव को सात साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए मौत की सजा पर ही मुहर लगाई थी। लेकिन 8 अक्टूबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को बदलते हुए सुशील को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस मामले में डीएनए की जांच ने काफी अहम भूमिका निभाई थी। कोर्ट का कहना था कि यह हत्या अवैध संबंधों का नतीजा थी।
जैसिका लाल मर्डर केस
30 अप्रेल 1999 को हुई एक यंग मॉडल की हत्या से पूरी दिल्ली सन्न रह गई थी। जैसिका की हत्या एक पार्टी के दौरान हुई थी। वहां पर वह बारटेंडर के रूप में मौजूद थी। इस मामले में कांग्रेसी नेता और सांसद विनोद शर्मा के बेटे सिद्धार्थ वशिष्ठ मनू शर्मा का नाम सामने आया था। मामला काफी हाईप्रोफाइल था, लिहाजा हर जगह इसकी चर्चा थी। जैसिका को मनू शर्मा ने सिर पर सटा कर गोली मारी थी। 21 फरवरी 2006 को निचली अदालत ने मनू शर्मा को मामले में बरी कर दिया था। लेकिन इसके बाद में जनता का गुस्सा और मीडिया का दबाव सभी के सामने था। इसका ही नतीजा था कि मामले की दोबारा जांच शुरू हुई। दिल्ली हाईकोर्ट में फास्ट ट्रायल किया गया और मामले की रोजाना सुनवाई सुनिश्चित की गई। बाद में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बदल दिया और 20 दिसंबर 2006 को मनू शर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। 19 अप्रेल 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी।
नीतीश कटारा
नीतीश कटारा हत्याकांड के चर्चित होने की दो बड़ी वजहों में पहली थी कि उसमें आरोपी के तौर पर जिसका नाम सामने आया वह पूर्व सांसद डीपी यादव का बेटा था। दूसरी वजह थी कि इस मामले में नीतीश की मां इस बाहुबली नेता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक गई। इस चर्चित मामले में कोर्ट ने डीपी यादव के बेटे विकास यादव, विशाल यादव और सुखदेव पहलवान को 25 वर्ष की सजा की सजा सुनाई थी। नीतीश दरअसल, बिजनेस एक्जीक्यूटिव था और उसकी हत्या 17 फरवरी 2002 को कर दी गई थी। नीतीश और डीपी यादव की बेटी भारती यादव आपस मे प्यार करते थे लेकिन परिजनों को यह मंजूर नहीं था। नीतीश की हत्या के पीछे यही एक बड़ी वजह थी। 30 मई 2008 को निचली अदालत ने विकास और विशाल यादव को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। दिल्ली हाईकोर्ट ने 6 फरवरी 2005 को उम्रकैद की सजा को बदलते हुए 25 वर्ष की सजा में बदल दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसपर ही बाद में मुहर लगाई थी।
मधुमिता शुक्ला हत्याकांड
मधुमिता शुक्ला हत्याकांड से राजनीति का एक और घिनौना चेहरा सभी के सामने आया था। वह नवोदित कवियत्री थी जिसकी 2003 में उसके ही घर में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इसके पीछे मधुमिता और उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी के बीच अवैध संबंध थे। जिस वक्त उसकी हत्या हुई थी उस वक्त वह गर्भवति थी। नैनीताल हाईकोर्ट ने मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उत्तर प्रदेश के बाहुबलि नेता और पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि समेत पांच लोगों की उम्र कैद की सजा सुनाई। इस मामले में निचली अदालत से बरी एक आरोपी को भी हाईकोर्ट ने दोषी माना और उम्र कैद की सजा सुनाई ।
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