...ये है डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की पूरी कहानी
साध्वी यौन शोषण के मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को सीबीआइ की विशेष अदालत से राहत नहीं मिली।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । हरियाणा और पंजाब समेत विभिन्न राज्यों में डेरा सच्चा सौदा का जितना प्रभाव है, उतना ही यह विवादों से भी घिरा रहा है। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह और उनके प्रमुख अनुयायियों के खिलाफ अदालत और पुलिस थानों में करीब आधा दर्जन बड़े मामले चल रहे हैं। इसके बावजूद डेरा अनुयायियों की श्रद्धा कभी डेरा प्रमुख के प्रति प्रभावित होती दिखाई नहीं दी है। पंचकूला में सीबीआइ की विशेष अदालत ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम सिंह को साध्वी यौन शोषण में दोषी करार दिया है सोमवार को सीबीआइ की विशेष अदालत ने राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई।
डेरा सच्चा सौदा का इतिहास
उत्तर भारत में डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह बड़ी ताकत हैं। 29 अप्रैल 1948 को तत्कालीन पंजाब के सिरसा में बलोचिस्तीनी साधू शाह मत्तन जी ने डेरा डाला, जो बाद में मस्ताना बाबा के नाम से जाने गए। उन्हीं ने अपने डेरे को सच्चा-सौदा का नाम दिया। उनका सूफी फकीर जैसा स्वाभाव था। नतीजतन लाखों लोग उनसे जुड़ते चले गए। 1960 में सतनाम सिंह डेरा प्रमुख बने। 13 सितंबर 1990 में गुरमीत सिंह (वर्तमान डेरा प्रमुख) ने गद्दी संभाली।
गुरमीत राम रहीम सिंह का साम्राज्य
गुरमीत राम रहीम सिंह का जन्म 15 अगस्त, 1967 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के गुरूसर मोदिया में जाट सिख परिवार में हुआ। इन्हें महज सात साल की उम्र में ही 31 मार्च 1974 को तत्कालीन डेरा प्रमुख शाह सतनाम सिंह जी ने ये नाम दिया था। 23 सितंबर, 1990 को शाह सतनाम सिंह ने देशभर से अनुयायियों का सत्संग बुलाया और गुरमीत राम रहीम सिंह को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
गुरमीत राम रहीम सिंह अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। डेरा प्रमुख की दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी चरणप्रीत और छोटी का नाम अमरप्रीत है, जबकि उन्होंने इन दो बेटियों के अलावा एक बेटी को गोद लिया हुआ है। गुरमीत राम रहीम के बेटे की शादी बठिंडा के पूर्व एमएलए हरमिंदर सिंह जस्सी की बेटी से हुई है। इनके सभी बच्चों की पढ़ाई डेरे की ओर से चल रहे स्कूल में हुई है। इनके दो दामाद रूहेमीत और डॉ. शम्मेमीत हैं।
शुरुआत में डेरा का प्रभाव हरियाणा के सिरसा, फतेहबाद, हिसार और पंजाब के मनसा, मुक्तसर और बठिंडा तक ही सीमित था, लेकिन 1990 में जब बाबा राम रहीम डेरा प्रमुख बने तो इसका विस्तार तेज हुआ। डेरा सच्चा सौदा 104 तरह के सामाजिक कार्यक्रम चलाने का दावा करता है। डेरा के मुताबिक, प्राकृतिक आपदा में लोगों की मदद करना, अस्पतालों को देहदान, रक्त दान करना, स्वच्छता अभियान चलाना, वृक्षारोपण करना, भ्रूण हत्या और नशे के मुक्ति सबसे प्रमुख कार्य हैं। डेरा का यह भी दावा है कि अनाथ बच्चों को अपनाने और वेश्यावृत्ति उन्मूलन के क्षेत्र में भी हम काम करते हैं।
65 साल से चल रहा है डेरा का आश्रम
हरियाणा के सिरसा जिले में डेरा का आश्रम 65 सालों से चल रहा है। डेरा का साम्राज्य विदेशों तक फैला हुआ है। देश में डेरा के करीब 46 आश्रम हैं और उसकी शाखाएं अमेरिका, कनाडा और इंग्लैंड से लेकर ऑस्ट्रेलिया और यूएई तक फैली हुई हैं। दुनियाभर में इसके करीब पांच करोड़ अनुयायी हैं, जिनमें से 25 लाख अकेले हरियाणा में ही मौजूद हैं।
रॉक स्टार गुरमीत राम रहीम सिंह
अपने समर्थकों के बीच नाचते-गाते और झूम-झूमकर थिरकते बाबा राम रहीम का नाम यूं तो पिछले करीब दो दशकों से देश और विदेश में गूंज रहा है। यही कारण है कि वे अपने अनुयायियों के बीच एक संत होने के साथ एक 'रॉक स्टार' भी हैं। राजनीति के क्षेत्र में भी पंजाब और हरियाणा में डेरा को एक बड़ी ताकत माना जाता है और यही वजह है कि ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव तक सभी दलों के नेता बाबा से समर्थन की आस लगाकर उनकी शरण में आते रहे हैं।
MSG के नाम से कारोबार में डेरा सच्चा सौदा
बाबा रामदेव के पतंजलि प्रोडक्ट्स की तरह ही राम रहीम भी MSG नाम से प्रोडक्ट्स बाजार में बेचते हैं। MSG के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर में 200 स्टोर हैं। कंपनी के प्रोडक्ट्स में दाल, अनाज, चावल, आटा, देसी घी, मसाले, अचार, जैम, शहद, मिनरल वॉटर और नूडल्स शामिल हैं। बाबा के पास हरियाणा के सिरसा में करीब 700 एकड़ की खेती की जमीन है। वो एक गैस स्टेशन और मार्केट कॉम्पलेक्स भी चलाते हैं।
शाह सतनाम सिंह मस्ताना की विरासत को गुरमीत राम रहीम सिंह ने अपने कार्यकाल में कई गुना बढ़ा दिया। उन्होंने सर्वधर्म के प्रतीक के रूप में अपने नाम के साथ राम, रहीम, सिंह जोड़ा। जब डेरा प्रमुख ने सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी का वेष धारण किया तो सिखों का गुस्सा फूट पड़ा। फलस्वरूप पंजाब में कई दिनों तक सांप्रदायिक तनाव बना रहा।
डेरे से जुड़े इन विवादों ने भी पाई राष्ट्रीय सुर्खियां
- 24 अक्टूबर 2002 को सिरसा के सांध्य दैनिक के संपादक रामचंद्र छत्रपति पर कातिलाना हमले का आरोप। छत्रपति को घर से बुलाकर पांच गोलियां मारी गई। साध्वी से यौन शोषण और रणजीत की हत्या पर खबर प्रकाशित करने के कारण उन पर हमला हुआ।
- 400 साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले की भी चल रही सीबीआई जांच। साधुओं को ईश्वर से मिलाने के नाम पर उनके अंडकोष काटकर नपुंसक बनाए जाने का आरोप है। सीबीआई इस मामले की सात से ज्यादा सील बंद रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर चुकी है। हंसराज चौहान की याचिका पर केस दर्ज हुआ।
- डेरे के पूर्व मैनेजर फकीर चंद 1991 में गायब हो गए थे। हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया गया कि फकीर चंद को डेरा प्रमुख ने गायब कराया। यह मामला भी सीबीआई के पास जांच के लिए आया।
- पंजाब पुलिस ने डेरा प्रमुख के खिलाफ धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में बठिंडा में मामला दर्ज किया। खालसा दीवान और श्रीगुरु सभा बठिंडा के अध्यक्ष राजिंदर सिंह सिद्धू की शिकायत पर केस दर्ज हुआ।
- मिलिट्री इंटेलीजेंस की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने लिया था संज्ञान। आरोप था कि पूर्व सैनिक डेरे में अनुयायियों को सैनिक ट्रेनिंग दी जा रही है।
साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा सच्चा
डेरा प्रमुख पर आने वाले सीबीआईकोर्ट के फैसले के मद्देनजर हरियाणा और पंजाब सरकारों की सांसें फूली हुई हैं। विपरीत फैसला आने की स्थिति में डेरा समर्थकों को काबू करना जहां हरियाणा सरकार के लिए चुनौती होगा, वहीं कानून व्यवस्था बनाए रखने में सरकार के पसीने छूट रहे हैं। देश की आजादी के करीब एक साल बाद अस्तित्व में आए इस डेरे का हरियाणा और पंजाब की राजनीति में पूरा दखल है। इन दोनों राज्यों के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में भी डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के अनुयायी काफी तादाद में फैले हुए हैं।
पिछले कई चुनाव में डेरा प्रमुख के एक इशारे ने हरियाणा और पंजाब में सरकारें बनाने-बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाई है। चुनाव में किस पार्टी का समर्थन करना है और किसकी अनदेखी की जानी है, इसका निर्णय हालांकि डेरा प्रमुख स्वयं करते हैं, लेकिन इशारा डेरे की राजनीतिक विंग की तरफ से आता है, जिसके बाद डेरा अनुयायी मतदान करते हैं। पिछले चुनाव में हरियाणा में डेरे ने भाजपा का समर्थन किया था, जिसके बाद दो दर्जन सीटों पर भाजपा उम्मीदवार जीत की स्थिति में पहुंच पाए थे।
हरियाणा और पंजाब में डेरे का जबरदस्त प्रभाव
हरियाणा और पंजाब दो राज्य ऐसे हैं, जहां डेरे का पूरा दखल और प्रभाव है। 2007 के विधानसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा ने पंजाब में कांग्रेस का समर्थन कर मालवाक्षेत्र में इस पार्टी को बढ़त दिलाई थी। 2014 के विधानसभा चुनाव में डेरे ने हरियाणा में भाजपा का समर्थन किया था, जबकि पंजाब में भी इसी पार्टी के प्रति नरम मिजाज दिखाया। पंजाब के मालवा क्षेत्र में 13 जिले आते हैं, जिनमें पांच दर्जन विधानसभा सीटें हैं।
हरियाणा के नौ जिलों की करीब तीन दर्जन विधानसभा सीटों पर डेरे का पूरा दखल रखता है। हरियाणा में 15 से 20 लाख अनुयायी डेरे से जुड़े हैं, जिनके नियमित सत्संग होते हैं। ऐसे में यदि कोई भी सरकार विपरीत कार्रवाई करती है तो उसे राजनीतिक नुकसान का डर हमेशा सताता रहता है। प्रदेश में सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, कैथल, जींद, अंबाला, यमुनानगर और कुरुक्षेत्र जिले ऐसे हैं, जहां डेरा सच्चा सौदा का पूरा असर महसूस किया जा सकता है।