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नौकरी छोड़ी, शादी का प्रस्ताव ठुकरा अब अपना लिया साधु जीवन

सांसारिक जीवन छोड़कर मोक्ष मार्ग पर जाने वालों को मुमुक्षु कहते हैं। इनमें जिन्हें जैन संत दीक्षा देने का निर्णय लेते हैं वे दीक्षार्थी कहलाते हैं।

By Tilak RajEdited By: Updated: Mon, 25 Sep 2017 10:31 AM (IST)
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नौकरी छोड़ी, शादी का प्रस्ताव ठुकरा अब अपना लिया साधु जीवन
इंदौर, नईदुनिया। मध्यप्रदेश में पहली बार रविवार को एक साथ 70 मुमुक्षु और 20 दीक्षार्थियों की स्वागत यात्रा निकाली गई। इन दीक्षार्थियों में किसी ने अच्छी नौकरी तो किसी ने शादी के प्रस्ताव से इन्कार कर साधु जीवन अपना लिया। इनके स्वागत के लिए श्वेतांबर जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

एक वाटिका में आचार्य विजय कीर्तियश सूरीश्वर के सान्निध्य में मुमुक्षु और दीक्षार्थियों का बहुमान किया गया। इन्हें दीक्षा गुजरात के पालीताणा तीर्थ में दी जाएगी। संयोजक सुजानमल चौपड़ा ने बताया कि सांसारिक जीवन छोड़कर मोक्ष मार्ग पर जाने वालों को मुमुक्षु कहते हैं। इनमें जिन्हें जैन संत दीक्षा देने का निर्णय लेते हैं वे दीक्षार्थी कहलाते हैं। दीक्षा के बाद उन्हें संत की उपाधि मिल जाती है।

दीक्षा लेकर वैराग्य धारण करने वालों में कोई इवेंट कंपनी में उच्च पद पर था, तो किसी ने सिविल इंजिनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। नासिक की इवेंट कंपनी में कार्यरत 26 साल की प्रियल बेन कहती हैं कि मेरे कारण किसी के मन को ठेस न पहुंचे इसलिए साधु जीवन अपनाने का निर्णय लिया। रितु मेहता कहती हैं कि मैं जब संत रामचंद्र सूरीश्वर की किताब का संपादन कर रही थी तो उसमें उनका जीवन चरित्र पढ़कर दीक्षा लेने का फैसला किया।

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