पुलवामा हमला: आइएसआइएस की राह पर जैश-ए-मोहम्मद
सनद रहे कि पिछले दो वर्षों में जैश ए मोहम्मद अगर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी सिरदर्दी बनी हुई है तो उसका मुखिया मौलाना मसूद अजहर भारतीय कूटनीति के लिए एक चुनौती बना हुआ है।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। अभी एक हफ्ते भी नहीं बीते कि कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक संगठन (आइएसआइएस) ने कश्मीर में अपनी सक्रियता बढ़ाने की बात कही थी। इसके ठीक चार दिन बाद ही पाक परस्त आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ठीक आइएसआइएस की तरह पुलवामा सैन्य ठिकाने पर हमले से पहले एक वीडियो जारी किया है। वीडियो में इस हमले में शामिल आतंकी मोहम्मद माज की रिकॉर्डिंग है।
माना जाता है कि पुलवामा सीआरपीएफ कैम्प पर हमले के बाद जवाबी कार्रवाई में मारा गया तीसरा आतंकी मोहम्मद माज ही है। यह संभवत: पहला मौका है जब जैश ने इस तरह का वीडियो जारी किया है जिसको देश की खुफिया व सुरक्षा एजेंसियां कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा के क्रम में एक नये हथियार के तौर पर देख रही हैं।
सुरक्षा एजेंसियां इसे कश्मीर में आतंक की पौध लहलहाने में जुटी पाकिस्तान की खुफिया संस्थान आइएसआइ और पाकिस्तान सेना की नई साजिश भी मान रही हैं। पाकिस्तान संभवत: यह नहीं चाहेगा कि कश्मीर में आइएसआइएस की पैठ हो इसलिए वह जैश को वह हर तिकड़म आजमाने के लिए कह रहा है जिसकी वजह से आइएस के प्रति उग्रवादी विचारधारा के लोग प्रभावित होते हैं। मोहम्मद माज के आठ मिनट के वीडियो को पाकिस्तान में जारी किया गया है। इसमें शामिल मोहम्मद माज जिस तरह की उर्दू बोल रहा है उससे उसके पाकिस्तान के होने की बात सामने आती है। माज ने कश्मीरी फिरन पहल रखा है और इसके अगल बगल तीन ऑटोमेटिक रायफल रखे गये हैं। जबकि सामने कई हैंडग्रेनेड है। यह साफ नहीं है कि इन हथियारों का इस्तेमाल ही पुलवामा हमले में किया गया है या नहीं। इस तरह के वीडिया आइएसआइएस अपने फिदायीन लड़ाकों का जारी करती है। आइएसआइएस हर आत्मघाती हमले के बाद उसमें शामिल आतंकियों का वीडियो जारी करता है।
हमले में शामिल एक अन्य आतंकी फरदीन का भी फोटो बाद में जैश ए मोहम्मद ने जारी की है। फरदीन के कश्मीरी होने की बात सुरक्षा एजेंसियों ने कही है। यही नहीं जैश की तरफ से बकायदा इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए पाकिस्तान में प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है। वैसे भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस पहलू से भी थोड़ी चिंतित है कि तमाम कोशिशों के बावजूद जैश को पैर फैलाने से नहीं रोका जा सका है। विगत साल 2017 में तकरीबन 245 आतंकियों को मारे जाने के बावजूद जैश ने कुछ हिस्सों में अपनी स्लीपर सेल बनाने में कामयाबी हासिल कर रही है। पुलवामा हमले को लेकर जो सूचनाएं अभी तक सामने आई हैं उसके मुताबिक इसमें दो कश्मीरी और एक पाकिस्तानी शामिल थे। इसमें शामिल कश्मीरी आतंकियों की भी पहचान हो गई है। यह भी अपनी तरह का एक नया मामला है जिसमें जैश के पाकिस्तानी आतंकी ने कश्मीरी आतंकियों के साथ मिल कर भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान पर हमला किया।
सनद रहे कि पिछले दो वर्षों में जैश ए मोहम्मद अगर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी सिरदर्दी बनी हुई है तो उसका मुखिया मौलाना मसूद अजहर भारतीय कूटनीति के लिए एक चुनौती बना हुआ है। पिछले दो वर्षों से मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र का प्रतिबंध लगाने की भारत व अन्य देशों की हर कोशिश को चीन अड़ंगा डाल रहा है। दूसरी तरफ अजहर आइएसआइ व पाकिस्तान सेना का भारत के खिलाफ सबसे मजबूत हथियार बना हुआ है। ठीक दो वर्ष पहले 31 दिसंबर, 2015 को पठानकोट सैन्य प्रतिष्ठान पर हमला कर उसने भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में सुधार की कोशिशों को पीछे धकेल दिया था।
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