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'वैश्विक स्तर पर बढ़ रही भारतीय टैलेंट की मांग', विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया क्यों हो रहा ऐसा

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को वैश्विक स्तर पर भारतीय कौशल और प्रतिभा की बढ़ती भूमिका पर जोर दिया और कहा कि दुनिया के विकसित देश अब भारत के साथ गतिशीलता समझौते करने में रुचि दिखा रहे हैं।विदेश मंत्री ने नई दिल्ली में सीआईआई वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन 2024 को संबोधित करते हुए यह बात कही। जयशंकर ने विदेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के दायित्व पर जोर दिया।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Updated: Sat, 18 May 2024 08:15 AM (IST)
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वैश्विक स्तर पर बढ़ रही भारतीय टैलेंट की मांग (Image: ANI)

एएनआई, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को वैश्विक स्तर पर भारतीय कौशल और प्रतिभा की बढ़ती भूमिका पर जोर दिया और कहा कि दुनिया के विकसित देश अब भारत के साथ गतिशीलता समझौते करने में रुचि दिखा रहे हैं। नई दिल्ली में सीआईआई वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन 2024 को संबोधित करते हुए यह जयशकंर ने विदेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के दायित्व पर भी जोर दिया। 

भारतीय कौशल और प्रतिभा की भूमिका

जयशंकर ने कहा कि ' ज्ञान अर्थव्यवस्था के युग में, भारतीय कौशल और प्रतिभा की भूमिका का भी पुनर्मूल्यांकन किया जा रहा है। टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट ही अधिक मांग पैदा कर रही है, लेकिन विकसित देशों में डेमोग्राफिक शॉर्टेज की वास्तविकता भी है। ये रुझान अभी दुनिया भर में भारत के साथ गतिशीलता समझौते करने की रुचि के रूप में प्रकट हो रहे हैं।'

यूक्रेन और गाजा में चल रहे युद्धों के बीच भारत ऐसे कर रहा काम

विदेश मंत्री ने यूक्रेन और सूडान से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए भारत द्वारा किए गए सफल अभियानों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि उनका लक्ष्य भारत को नवाचार, अनुसंधान और डिजाइन के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है। उन्होंने यूक्रेन और गाजा में चल रहे युद्धों के कारण दुनिया भर में व्याप्त संकट को भी रेखांकित किया और कहा कि दुनिया ईंधन, खाद्यान्न और उर्वरक के 3एफ संकट का सामना कर रही है, जिसमें भारत 'भारत प्रथम' और 'वसुधैव कुटुम्बकम' के विवेकपूर्ण संयोजन के साथ काम कर रहा है।

विश्व बंधु का किया जिक्र

जयशंकर ने कहा, 'आतंकवाद और उग्रवाद ने उन लोगों को निगलना शुरू कर दिया है जो लंबे समय से इसका अभ्यास कर रहे हैं। कई मायनों में, हम वास्तव में एक आदर्श तूफान से गुजर रहे हैं। भारत के लिए, इसके प्रभाव को कम करनाऔर यथासंभव दुनिया को स्थिर करने में योगदान देना है। यह 'भारत प्रथम' और 'वसुधैव कुटुम्बकम' का विवेकपूर्ण संयोजन है जो हमारी छवि को 'विश्व बंधु' के रूप में परिभाषित करता है।'

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