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विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले, भारत और ऑस्ट्रेलिया के सहयोग से 'हिंद प्रशांत क्षेत्र' को होगा फायदा

भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर की टिप्पणी तब आई जब वह ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग के साथ वर्चुअली तरीके से जुड़े हुए थे। इस दौरान विदेश मंत्री ने ऑस्ट्रेलिया-भारत दोस्ती से संबंधित विभिन्न विषयों पर जमकर बात की।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Tue, 06 Sep 2022 02:42 PM (IST)
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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की फाइल फोटो
नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया-इंडिया लीडरशिप डायलॉग 2022 में हिस्सा लिया। यह एक वर्चुअल तरीके से आयोजित कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया भारत के इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI) का शुरुआती और जोरदार समर्थक रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र को दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों से फायदा होगा। यह उन्हें प्रभावी रूप से क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर योगदान करने की अनुमति देता है।

जयशंकर की टिप्पणी तब आई जब वह ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग के साथ वर्चुअली तरीके से जुड़े हुए थे। इस दौरान विदेश मंत्री ने ऑस्ट्रेलिया-भारत दोस्ती से संबंधित विभिन्न विषयों पर जमकर बात की। उन्होंने कहा कि भारत-ऑस्ट्रेलिया के संबंध अब उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं।

दोनों देशों में लंबे समय तक हो सकती है बातचीत

विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्विक वस्तुओं में कमी को भारत और ऑस्ट्रेलिया द्वारा द्विपक्षीय रूप से देखा जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने बड़े प्रारूपों में मिलकर काम करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून और नियम-आधारित आदेश के सम्मान के बारे में उनकी साझा चिंताओं को दर्शाता है। दोनों देशों में लंबे समय तक बातचीत हो सकती है।

द्विपक्षीय संबंध प्रभावी ढंग से योगदान करने की देता है अनुमति 

जयशंकर ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया भारत के इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI) का शुरुआती और जोरदार समर्थक रहा है। उन्होंने कहा कि बड़ा बदलाव यह अहसास रहा है कि आज एक मजबूत द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों को क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर अधिक प्रभावी ढंग से योगदान करने की अनुमति देता है।

भारत ने पिछले तीन सालों में की बहुत प्रगति: जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि भारत ने पिछले तीन सालों में बहुत प्रगति की है। चाहे वह COWIN प्लेटफॉर्म हो या वित्तीय, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं का कार्यान्वयन। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को दोनों देशों के बीच सहयोग से लाभ होगा और विकास और समृद्धि का अनुभव होगा।