विदेश मंत्री जयशंकर की ड्रैगन को खरी-खरी, कहा- भारतीय क्षेत्र पर बेतुका दावा करने से वह चीन का नहीं हो जाता
कांग्रेस ने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को चीन के मानचित्र में प्रदर्शित करने पर गहरी आपत्ति व्यक्त की है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन भारत का अविभाज्य हिस्सा हैं और मनमाने ढंग से बनाया गया कोई भी मानचित्र इसे बदल नहीं सकता। उन्होंने कहा मानचित्रों को दोबारा बनाने की बात होती है तो चीन एक आदतन अपराधी है।
By AgencyEdited By: Amit SinghUpdated: Tue, 29 Aug 2023 09:52 PM (IST)
नई दिल्ली, रायटर: चीन की ओर से सोमवार को जारी ''मानक मानचित्र'' के 2023 के संस्करण को भारत ने बेतुका करार देते हुए खारिज कर दिया है। विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा, 'भारतीय क्षेत्र पर बेतुका दावा करने से वह चीन का हिस्सा नहीं हो जाता।' चीन ने अपने इस मानचित्र में अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन के अलावा ताइवान, दक्षिण चीन सागर और कई अन्य विवादित क्षेत्रों को शामिल किया है।
समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार, जयशंकर ने कहा, 'चीन ने अपने मानचित्र में उन क्षेत्रों को शामिल किया है जो उसके नहीं हैं। (यह एक) पुरानी आदत है। भारत के कुछ हिस्सों को मानचित्र में शामिल करने भर से कुछ भी नहीं बदलता। हमारी सरकार का इस बारे में बहुत स्पष्ट मत है कि हमारे क्षेत्र क्या हैं। बेतुके दावे करने से दूसरों के क्षेत्र आपके नहीं हो जाते।'
कांग्रेस ने भी जताई आपत्ति
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को चीन के मानचित्र में प्रदर्शित करने पर गहरी आपत्ति व्यक्त की है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन भारत का अविभाज्य हिस्सा हैं और मनमाने ढंग से बनाया गया कोई भी मानचित्र इसे बदल नहीं सकता।
एक्स पर पोस्ट में उन्होंने कहा, 'जब अन्य देशों से संबंधित क्षेत्रों के नाम बदलने और उनके मानचित्रों को दोबारा बनाने की बात होती है तो चीन एक आदतन अपराधी है। भारतीय क्षेत्रों के ऐसे किसी भी गैरकानूनी प्रतिनिधित्व या नाम बदलने पर कांग्रेस कड़ी आपत्ति व्यक्त करती है।'
'हम एलएसी पर शांति चाहते हैं'
खरगे ने कहा, 'हम चीन समेत सभी पड़ोसियों से शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व चाहते हैं और एलएसी पर शांति चाहते हैं। लेकिन यह जानकर दुख होता है कि गलवन के बाद भी चीन की धोखेबाजी और आक्रामकता जारी है, जबकि हमारे 20 बहादुर सैनिकों के बलिदान के बाद भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें यह कहकर खुली छूट दे दी थी कि हमारे क्षेत्र में कोई नहीं घुसा।'
उन्होंने जोर देकर कहा कि मई, 2020 से पहले की स्थिति की बहाली अत्यंत महत्वपूर्ण होनी चाहिए और सरकार को इससे कम किसी भी चीज से पीछे नहीं हटना चाहिए। उम्मीद है कि भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन हमारे लिए भारतीय क्षेत्र में चीन के अतिक्रमण के मुद्दे को वैश्विक मंच पर उजागर करने का एक और अवसर होगा। उन्होंने कहा, 'मोदी सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 2,000 वर्ग किलोमीटर के भारतीय क्षेत्र पर अवैध चीनी कब्जा खत्म हो।'