हमें इस सिंड्रोम से उबरने की जरूरत है....पश्चिमी देशों को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर क्या बोले?
एक निजी मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में विदेश मंत्री एस जयशंकर ( Jaishankar) ने पश्चिमी देशों को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों को लेकर काफी नकारात्मक धारणा बनी हुई है। जयशंकर ने आगे कहा कि हमें पश्चिमी देशों को नकारात्मक रूप से देखने के सिंड्रोम से बाहर निकलना चाहिए। बता दें कि जयशंकर रविवार को पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ के सिलसिले में तिरुवनंतपुरम में थे।
By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Mon, 18 Sep 2023 09:16 AM (IST)
तिरुवनंतपुरम, पीटीआई। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमें पश्चिमी देशों को नकारात्मक रूप से देखने के सिंड्रोम से बाहर निकलना चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि पश्चिमी देशों को लेकर काफी नकारात्मक धारणा बनी हुई है। हालांकि, जयशंकर ने यह भी स्प्षट किया की वह पश्चिमी देशों की कोई पैरवी नहीं कर रहे है। बता दें कि जयशंकर रविवार को पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ के सिलसिले में तिरुवनंतपुरम में थे और इस दौरान उन्होंने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में यह टिप्पणी की।
जी20 शिखर सम्मेलन में क्यों नहीं आए चीनी राष्ट्रपति?
यह पश्चिम नहीं है जो एशिया और अफ्रीका में बड़े पैमाने पर सामान भर रहा है। मुझे लगता है कि हमें इस सिंड्रोम से उबरने की जरूरत है कि पश्चिमी बुरे हैं और दूसरी तरफ विकासशील देश भी हैं। अब विश्व अधिक जटिल है औरसमस्याएं उससे कहीं अधिक जटिल हैं।यह पूछे जाने पर कि क्या चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि भारत को ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में देखा जाए? इस पर जयशंकर ने कहा कि इस पर अभी भी अटकलें बनी हुई हैं।
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चीन पर साधा निशाना
जयशंकर ने कहा कि आज का मुद्दा पिछले 15 और 20 सालों में मजबूत भावना के निर्माण का है। ऐसे देश हैं जहां सस्ते प्रोडक्ट को लेकर बाजारों में भरमार हो रखी है लेकिन उनके प्रोडक्ट को सही तरीके से कोई भी एक्सपोजर नहीं मिल पा रहा है।
इस वजह से इन देशों में गुस्सा भड़का हुआ है क्योंकि इन देशों का इस्तेमाल दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए हो रहा है। पर इसका मतलब यह नहीं है कि हम पश्चिमी देशों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराए। चीन के व्यापार और उसकी आर्थिक नीतियों पर अप्रत्यक्ष तौर पर निशाना साधते हुए जयशंकर ने यह टिप्पणी की है।