गंगा की तरह इन छह नदियों का प्रबंधन IIT-NIT के हवाले, पुनर्जीवित करने की चुनौती को करना होगा पार
जलशक्ति मंत्रालय ने इसके लिए बुधवार को इन संस्थानों के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस कदम को देश में नदियों के प्रबंधन की दिशा में एतिहासिक अवसर बताते हुए कहा कि जिस तरह आइआइटी कानपुर ने गंगा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए चमत्कारिक योगदान दिया है उसी तरह इन छह नदियों के लिए भी प्रबंधन की राह तय हो गई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गंगा की तरह छह और नदियों के प्रबंधन का जिम्मा 12 प्रतिष्ठित अकादमिक संस्थानों को सौंप दिया गया है। ये नदियां हैं-महानदी, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और पेरियार। जिन संस्थानों के समूह यानी कंसोर्टियम को इनका जिम्मा सौंपा गया है, उनमें आइआइटी रायपुर, राउरकेला, इंदौर, गांधीनगर, हैदराबाद, पलक्कड के साथ ही एनआइटी कालीकट, त्रिची, सुरथकल और आइआइएससी बेंगलुरु शामिल हैं।
केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने इसके लिए बुधवार को इन संस्थानों के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस कदम को देश में नदियों के प्रबंधन की दिशा में एतिहासिक अवसर बताते हुए कहा कि जिस तरह आइआइटी कानपुर ने गंगा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए चमत्कारिक योगदान दिया है और इसके प्रदूषण को कम करने की राह सुझाने के साथ ही नीतियां तैयार करने के लिए सुझाव दिया, उसी तरह इन छह नदियों के लिए भी पुख्ता प्रबंधन की राह तय हो गई है।
गौरतलब है कि गंगा के तट प्रबंधन की जिम्मेदारी आइआइटी कानपुर के नेतृत्व में सात आइआइटी के समूह को दी गई थी। इस समूह ने गंगा के प्रबंधन के लिए पूरा तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराया। शेखावत ने कहा कि छह नदियों का प्रबंधन 12 अकादमिक संस्थानों के समूह के लिए भी बहुत बड़ा अवसर है।
इन छह नदियों के प्रबंधन का दायित्व आइआइटी समेत अन्य प्रमुख संस्थानों को सौंपने का सुझाव तत्काली राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 2019 में संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए दिया था। बुधवार को इसी सुझाव के अनुरूप मंत्रालय और उच्च शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
इन्हें मिली जिम्मेदारी
महानदी: आइआइटी रायपुर और आइआइटी राउरकेलानर्मदा: आइआइटी इंदौर और आइआइटी गांधीनगरगोदावरी: आइआइटी हैदराबाद और नीरी नागपुरकृष्णा: एनआइटी वारंगल और एनआइटी सुरथकलकावेरी: आइआइएससी बेंगलुरु और एनआइटी त्रिचीपेरियार: आइआइटी पलक्कड और एनआइटी कालीकटयह भी पढ़ें: जल जागरण: छोटे प्रयास से बड़ा संदेश दे रही हैं रेखा, लोगों को पानी बचाने की मुहिम से कर रही हैं जागरूक