Jallianwala Bagh Massacre: 'खूनी बैसाखी' की कहानी, जब निहत्थे मासूमों को अंग्रेजों ने गोलियों से भून दिया था
Jallianwala Bagh Massacre 1919 History आज जलियांवाला हत्याकांड के 104 साल पूरे हो गए हैं लेकिन आज भी अंग्रेजों की इस खौफनाक हरकत को याद कर रूह कांप उठती है। इस दिन आखिर क्यों नरसंहार किया गया था आइए जानें दर्दभरी कहानी...
By Mahen KhannaEdited By: Mahen KhannaUpdated: Thu, 13 Apr 2023 07:20 AM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। Jallianwala Bagh Massacre बैसाखी के पर्व को पंजाब में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन वर्ष 1919 में इस दिन ऐसी दर्दनाक घटना घटी थी जो आज भी इतिहास के काले पन्नों में कैद है। पंजाब के अमृतसर (Amritsar) में स्वर्ण मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) में 13 अप्रैल, 1919 को अंग्रेजों ने निहत्थे मासूमों को गोलियों से भून दिया था।
इन मासूमों की गलती बस इतनी थी कि उन्होंने ब्रिटिश हकूमत के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की थी। आज जलियांवाला हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) के 104 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन आज भी अंग्रेजों की इस खौफनाक हरकत को याद कर रूह कांप उठती है। इस दिन आखिर क्यों नरसंहार किया गया था, आइए जानें अंग्रेजों के इस खौफनाक कदम की कहानी...
रोलेट एक्ट का विरोध और फिर नरसंहार...
दरअसल, वर्ष 1919 में भारत और खासकर पंजाब में आजादी की आवाज तेज होती देख अंग्रेजों ने जलियांवाला कांड को अंजाम दिया था। इस नरसंहार से एक माह पूर्व 8 मार्च को ब्रिटिश हकूमत ने भारत में रोलेट एक्ट पारित किया था। रोलेट एक्ट के तहत ब्रिटिश सरकार भारतीयों की आवाज दबाने की कोशिश में थी।- रोलेट एक्ट के तहत ब्रिटिश सरकार किसी भी भारतीय को कभी भी पकड़कर बिना केस किए जेल में डाल सकती थी। इस फैसले के खिलाफ 9 अप्रैल को पंजाब के बड़े नेताओं डॉ. सत्यपाल और किचलू ने धरना प्रदर्शन किया, जिन्हें प्रशासन ने गिरफ्तार कर कालापानी की सजा सुना दी।
- 10 अप्रैल को नेताओं की गिरफ्तारी का पंजाब में बड़े स्तर पर विरोध हुआ, प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए ब्रिटिश सरकार ने मार्शल लॉ लगा दिया। इस कानून के जरिए लोगों को इक्ट्ठा होने से रोका गया था।
13 अप्रैल का काला दिन
पंजाब में मार्शल लॉ लग चुका था, लेकिन 13 अप्रैल को हर साल जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh Massacre) में बैसाखी के दिन मेला लगता और हजारों लोग यहां जमा होते थे। इस दिन भी ऐसा ही हुआ था, हजारों लोग बच्चों के साथ मेला देखने पहुंचे थे। इस बीच, कुछ नेताओं ने रोलेट एक्ट और दूसरे नेताओं की गिरफ्तारी का विरोध जताने के लिए वहां एक सभा का भी आयोजन किया था।नेता जब गिरफ्तारी के विरोध में भाषण दे रहे थे, तभी अचानक से तंग गलियों से जनरल रेजीनॉल्ड डायर अपने सशस्त्र सैनिकों के साथ बाग में घुस गए और एकमात्र निकासी द्वार को बंद कर दिया। डायर ने घुसते ही सैनिकों को लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। हजारों लोगों का कत्लेआम शुरू हो गया और बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा था।