नोटबंदी की मार : 30 किमी तक भटकता रहा पिता, बीमार बेटे की हुई मौत
सांबा जिले के दूंगा गांव में एक पिता अपने बीमार बेटे को पहाड़ियों और जंगलों के रास्ते 30 किमी तक चिकित्सा सुविधा के लिए भटकता रहा, लेकिन अपने बच्चे को बचा नहीं पाया।
जम्मू-कश्मीर, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले में इलाज के लिए भटकते 9 साल के एक बेटे ने अपने पिता के कंधे पर ही दम तोड़ दिया। सांबा जिले के दूंगा गांव में पैसा न होने पर एक पिता अपने बीमार बेटे को पहाड़ियों और जंगलों के रास्ते 30 किमी तक चिकित्सा सुविधा के लिए भटकता रहा, लेकिन अपने बच्चे को बचा नहीं पाया।
पुराने नोटों के रूप मे 29,000 रुपये की राशि थी पिता के पास
खानाबदोश बकरवाल समुदाय से संबंध रखने वाले 28 साल के मोहम्मद हारून ने बताया कि उसके पास किराया भुगतान करने के लिए कोई पैसे नहीं थे। उन्होंने कहा कि उनके पास पुराने नोटों के रूप मे 29,000 रुपये की राशि थी, लेकिन वह जम्मू-कश्मीर बैंक की शाखाओं में नोट को एक्सचेंज कराने में विफल रहा।
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चालक ने पुराने नोट लेने से किया साफ इंकार
हारून ने बताया कि वह जब वह अपने बेटे को इलाज के लिए बस में ले जा रहा था तो चालक पुराने नोट लेने से साफ इंकार कर दिया। उसके बाद हारून को मजबूर होकर राजमार्ग छोड़ जंगलों का छोटा रास्ता अपनाना पड़ा।
मजिस्ट्रेट ने मांगी रिपोर्ट
हारून का बेटा मुनीर दूसरी कक्षा का छात्र था। जिला मजिस्ट्रेट शीतल नंदा ने इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है। एक अंग्रेजी समाचार पत्र के मुताबिक शीतल नंदा का कहना है कि इस घटना पर रिपोर्ट आनी बाकी है। उनके मुताबिक बैंक हारून के बच्चे की मौत का कारण नहीं लगता है।
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