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J&K LG Power: जानिए कैसे जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल को मिलीं अधिक शक्तियां? क्या है इसके पीछे की पूरी वजह

Jammu Kashmir LG Power जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल को अधिक शक्ति देने पर सियासी घमासान जारी है। विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम की जमकर अलोचना की है। वहीं गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक नए नियमों को अधिसूचित करने के पीछे की वजह यह है कि कामकाज में अधिक स्पष्टता आ सके। उपराज्यपाल को मिली शक्तियों का प्रविधान पहले से ही जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sat, 13 Jul 2024 11:00 PM (IST)
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जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा। (फाइल फोटो)
नीलू रंजन, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के पहले उपराज्यपाल को अधिक शक्ति देने के केंद्रीय गृहमंत्रालय की अधिसूचना पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। जम्मू-कश्मीर की सभी विपक्षी पार्टियों समेत कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए इसे चुने हुए मुख्यमंत्री को अधिकारों से वंचित करने की साजिश करार दिया है।

वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार 2019 के जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में ही उपराज्यपाल की शक्तियों को स्पष्ट कर दिया गया है और इसी के अनुसार नए नियमों को अधिसूचित किया गया है ताकि केंद्र शासित प्रदेश के कामकाज में सुचारू रुप से चल सके।

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अधिनियम में कोई बदलाव नहीं

गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में कोई बदलाव नहीं किया गया है और इसे सुप्रीम कोर्ट सही ठहरा चुका है। इस अधिनियम के खंड 32 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर की विधानसभा पुलिस और कानून-व्यवस्था और संविधान की सातवीं अनुसूची में शामिल समवर्ती सूची को छोड़कर कोई भी कानून बना सकती है। इसी तरह अधिनियम के खंड 53 में साफ किया गया है कि उपराज्यपाल अखिल भारतीय सेवाओं और एंटी करप्शन ब्यूरो जैसे मुद्दों पर अपना निर्णय ले सकता है, जो विधानसभा के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

कांग्रेस ने बताया लोकतंत्र की हत्या

जाहिर है नए नियमों में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के प्रविधानों को ही स्पष्ट किया गया है, ताकि विधानसभा के गठन के बाद सरकारी कामकाज में क्षेत्राधिकार को लेकर स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट रहे। नियमों में नए संशोधनों का विरोध करते हुए पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इसे जम्मू-कश्मीर के लोगों को अधिकार विहीन करने की कोशिश और कांग्रेस ने लोकतंत्र की हत्या करार दिया है।

शक्तिविहीन मुख्यमंत्री नहीं चाहिए: उमर अब्दुल्ला

वहीं अपनी पार्टी ने सभी दलों को एकजुट होकर इसके खिलाफ प्रदर्शन करने की अपील की है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के अनुसार जम्मू-कश्मीर की जनता को एक शक्तिहीन और रबर स्टांप मुख्यमंत्री नहीं चाहिए, जिसे एक चपरासी की नियुक्ति के लिए भी उपराज्यपाल से भीख मांगनी पड़े। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के पहले जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।

विधानसभा का नगर निकाय बनाना चाहती सरकार

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि एक समय सबसे शक्तिशाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा को केंद्र सरकार एक नगर निकाय में तब्दील करना चाहती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर की जनता पर भरोसा नहीं है और वह एक बाहरी व्यक्ति उपराज्यपाल को शक्ति दे रही है, जो जम्मू-कश्मीर के बारे में कुछ नहीं जानता है।

अपनी पार्टी ने कहा- शक्तिहीन विधानसभा स्वीकार्य नहीं

अपनी पार्टी के अब्दुल्ला बुखारी ने सभी दलों को आपसी मतभेद भुलाकर इसका विरोध करने का आह्वान करते हुए कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को एक शक्तिहीन विधानसभा देना चाहती है, जो स्वीकार्य नहीं है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और महासचिव जयराम रमेश ने भी इसका विरोध करते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया। लेकिन भाजपा ने विपक्षी दलों के इन आरोपों का सिरे से खारिज कर दिया।

भाजपा ने कहा- जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र किया मजबूत

भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने साफ किया कि मोदी सरकार के दौरान जम्मू-कश्मीर में पंचायत से लेकर नगर निकायों का चुनाव कराकर लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने का काम किया गया है और लोकसभा चुनाव के दौरान भारी संख्या में मतदान इसका सबूत है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने लोकतंत्र के नाम पर कश्मीर को सिर्फ तीन परिवारों की जागीर बनाकर रखा था, उनकी जागीरदारी खिसकती नजर आ रही है। इसीलिए उनके दिल में दर्द हो रहा है।

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