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Jammu Terrorist Attack: तो क्या अपने पूर्व सैनिकों को आतंकी बनाकर भेज रहा है पाकिस्तान?, सुरक्षा एजेंसियों ने किए चौंकाने वाले खुलासे

जम्मू के डोडा में सोमवार देर रात आतंकयों से हुई मुठभेड़ में सेना के चार जवान बलिदान हो गए। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने बताया कि इन आतंकी हमलों में पाकिस्तानी सेना के पूर्व सैनिकों की संलिप्तता के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जम्मू इलाके की भौगोलिक स्थिति आतंकियों के घुसपैठ और घात लगाकर हमला करने में मददगार साबित हो रही है।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Tue, 16 Jul 2024 08:49 PM (IST)
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जम्मू इलाके में हो रहे आतंकी हमलों में पाकिस्तानी सेना की संलिप्तता होने के संकेत मिले हैं। (File Photo)
नीलू रंजन, नई दिल्ली। स्थानीय युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती पूरी तरह बंद होने के बाद पाकिस्तान अपने पूर्व सैनिकों को आतंकी बनाकर भेज रहा है। सुरक्षा एजेंसियों के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, जम्मू इलाके में पिछले डेढ़ महीने के आतंकी हमलों में पाकिस्तानी सेना के पूर्व सैनिकों की संलिप्तता के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं।

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, लोकसभा चुनाव में कश्मीर घाटी में भारी मतदान के बाद पाकिस्तान हताशा में विधानसभा चुनाव के पहले माहौल खराब करने के लिए जम्मू इलाके में हमलों को अंजाम दे रहा है। चार जून को लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद डेढ़ महीने में नौ आतंकी हमलों में सुरक्षा बलों के 12 जवान मारे गए हैं और 13 घायल हुए हैं।

यहां खड़ा किया आतंक का नेटवर्क

जम्मू-कश्मीर से जुड़े सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि कश्मीर घाटी की तरह से जम्मू इलाके में आतंकियों की मदद करने वाले ओवर ग्राउंट वर्कर के नेटवर्क को ध्वस्त करने में सफलता नहीं मिली है।

डोडा, किश्तवार, पुंछ, रजौरी, रियासी, कठुआ के मुश्किल भौगोलिक इलाकों में पिछले दो दशक में जैश- ए- मोहम्मद और लश्करे तैयबा ने ओवर ग्राउंड वर्कर का नेटवर्क खड़ा किया, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा से आने वाले आतंकियों को कश्मीर घाटी तक पहुंचाने का काम करते थे।

इलाकों में घर बना कर रहे आतंकी

मूलरूप से कश्मीर घाटी के रहने वाले ये ओवरग्राउंड वर्कर जंगलों और दुर्गम इलाकों में छोटे-छोटे घर बना कर रहे हैं। रियासी जिले में हिंदू भक्तों की बस पर गोली चलाने वाले आतंकियों को ऐसे ही ओवर ग्राउंट वर्कर ने मदद की थी। उनके अनुसार, इन ओवर ग्राउंड वर्कर के नेटवर्क को ध्वस्त करना सुरक्षा एजेंसियों की पहली प्राथमिकता है।

आतंकियों के पास हथियार और सैटेलाइट फोन

आतंकी हमलों में पाकिस्तान के पूर्व सैनिकों के इस्तेमाल के स्पष्ट संकेत पहली बार रियासी हमले के बाद मारे गए आतंकियों से मिला है। इन आतंकियों के पास से मिले हथियारों और सैटेलाइट फोन उसी प्रकार के थे, जैसा पाकिस्तान सेना उपयोग करती है। यही नहीं, ये आतंकी जंगल वार फेयर में पूरी तरह से प्रशिक्षित थे, जिससे इनके पाकिस्तानी सेना के पारा ट्रूपर डिविजन से जुड़े होने की भी आशंका है।

आतंकियों से निपटने के लिए बनी ये रणनीति

  • सुरक्षा एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सेना के प्रशिक्षित इन आतंकियों से निपटने के लिए अलग तरह की रणनीति बनानी होगी और इसके लिए सुरक्षा की कमियों को प्राथमिकता के आधार पर दूर करना होगा।
  • उनके अनुसार, कोरोना काल के पहले जम्मू इलाके के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भी सेना व पुलिस की छोटी-छोटी टुकड़ी को तैनात किया जाता था और 15-20 के अंतराल पर तैनात जवानों को बदल दिया जाता था।
  • लेकिन, बाद में इस व्यवस्था को बदल कर स्थानीय पुलिस को लगाकर आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने का फैसला किया गया, जो सफल साबित नहीं हुआ।
  • अब दुर्गम और सुरक्षा की दृष्टि से अहम इन स्थानों पर प्रशिक्षित जवानों की दोबारा तैनाती पर विचार किया जा रहा है, ताकि आतंकियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।

जम्मू में आतंक पर जल्द लगेगी लगाम

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जम्मू इलाके की भौगोलिक स्थिति आतंकियों के घुसपैठ और घात लगाकर हमला करने में जरूर मददगार साबित हो रहा है। लेकिन, इसके लिए सुरक्षा एजेंसियां जरूरी रणनीति पर काम कर रही हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही कश्मीर की तरह जम्मू इलाके में आतंकवाद पर लगाम लगाने में सफलता मिलेगी।

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