आसान शब्दों में कहे तो, यदि कोई व्यक्ति अनजाने में कोई कृत्य करता है और उसके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हो जाते हैं और लोगों को जेल की सजा तक होती थी, उन्हें अब अपराध नहीं माना जायेगा और उनमें मिलने वाली सजा कम या खत्म कर दी जाएगी। पहले जिन गड़बड़ी को अपराध की श्रेणी रखा गया था वो अब जुर्माने तक सीमित हो जाएंगे।
बिल में साफतौर पर कहा गया कि देश के लोग सरकार और अलग-अलग संस्थानों पर भरोसा करें, यही लोकतंत्र का आधार है। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि जन विश्वास बिल क्या है और इसके तहत किन कानूनों में अपराध के प्रावधान को हटाया गया या कम किया गया है। साथ ही, बताएंगे कि इसके पीछे क्या कारण है।
जन विश्वास बिल क्या है?
कई पुराने प्रावधानों में संशोधन करके उसे एक बिल के रूप में पेश किया गया है, इसे जन विश्वास बिल कहा गया है। जन विश्वास बिल का लक्ष्य है कि 19 मंत्रालयों के 42 कानूनों के 180 अपराधों को गैर-अपराधिक घोषित कर देना यानी 180 अपराधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा। इनकी सजा में बदलाव किया जाएगा, जिसमें कई अपराधों को जुर्माने तक सीमित कर दिया जाएगा, तो कई मामलों में सजा खत्म कर दी जाएगी।
किन क्षेत्रों में दिखेगा बदलाव?
इस बिल के पास हो जाने से अब तक क्षेत्रों में बदलाव देखने को मिलेगा, जिसमें पर्यावरण, कृषि, मीडिया, उद्योग, व्यापार, प्रकाशन और कई अन्य क्षेत्र के हैं। जन विश्वास विधेयक से
Ease of doing Business और Ease of Living आसान होगी।
क्या-क्या बदलाव होगा?
बिल के कानून में तब्दील होने पर कई बड़े बदलाव होंगे। कई अपराधों में जेल के प्रावधान को समाप्त किया जाएगा, जैसे- इंडियन पोस्ट ऑफिस एक्ट, 1898 के तहत जो अपराध आते हैं और उन पर जो जुर्माना लगाया जाता है उसे हटाया जाएगा। शिकायत करने की व्यवस्था में भी बदलाव किया जाएगा।इसके अलावा, जुर्माना तय करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। यदि कानून का उल्लंघन होता है, तो स्थिति जांच होगी और समन जारी होंगे। किसी भी अपराध के लिए लगने वाले जुर्माने में बदलाव होगा और राशि को हर तीन साल में एक बार बढ़ाया जाएगा।
जन विश्वास बिल क्यों लाया गया?
इस बिल का उद्देश्य है कि भारत की व्यापार प्रणाली में सहजता आ सके। दरअसल, वर्तमान में व्यापार करने के लिए कई नियमों का पालन करना होता है। इन नियमों का उल्लंघन होने पर भारी जुर्माना लगता है और यहां तक कि कई मामलों में जेल की सजा होती है।फिलहाल, देश में 1,536 कानून हैं, जिसमें 70 हजार प्रावधान है। इनमें से अधिकतर नियम एमएसएमई सेक्टर के विकास में बाधा बनते हैं। बिल के मुताबिक, इसका मुख्य लक्ष्य, व्यवस्थाओं की उलझनों का कम करना और पुराने नियमों में वर्तमान की स्थिति के मुताबिक बदलाव करना है। बिल में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि, "सरकार देश के लोगों और विभिन्न संस्थानों पर भरोसा करें, यही लोकतांत्रिक शासन की आधारशिला है।"
दरअसल, इस बिल का सीधा-सीधा लक्ष्य है कि लब्बोलुआब नियमों में कमी लाई जाए, ताकि लोगों का डर कम किया जा सके। कई लोग छोटे-छोटे अपराधों के कारण जेल की सजा और जुर्माने से डरते हैं, लेकिन इसमें बदलाव होते ही व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा और व्यवसाय करने और जीवन यापन में आसानी होगी।
इन कानूनों में होगा बदलाव
जन विश्वास बिल के तहत 19 मंत्रालयों के 42 कानूनों के 180 अपराधों को गैर-अपराधिक घोषित कर दिया जाएगा। इसमें सार्वजनिक ऋण अधिनियम, 1944; मोटर वाहन अधिनियम, 1988; फार्मेसी अधिनियम, 1948; सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952; खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006; कॉपीराइट अधिनियम, 1957; ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 शामिल है।
इसके अलावा,
मनी लांड्रिंग निरोधक अधिनियम, 2002; रेलवे अधिनियम, 1989; सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000; औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940; पेटेंट अधिनियम, 1970; पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 समेत 42 अधिनियम शामिल हैं।
आइए जानते हैं किसमें क्या बदलाव हुए
भारतीय वन अधिनियम, 1927पहले- फिलहाल, वन में अतिक्रमण करना, मवेशियों को वन के अंदर लाना, लकड़ी काटना या आरक्षित वन में किसी पेड़ को काटना या उसे क्षति पहुंचाना एक दंडनीय अपराध है। जिसमें आरोपी को 6 महीने तक की जेल या 500 रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।
बदलाव- यह कानून लागू होने के बाद उस अपराध से जेल का प्रावधान हटा दिया जाएगा और केवल 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। हालांकि, इसको लेकर संसदीय समिति ने सुझाव देते हुए कहा था कि इस अपराध में जुर्माने को 500 से बढ़ाकर 5000 रुपये कर देना चाहिए।
सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000पहले- फिलहाल धारा 66ए लागू है, जिसके मुताबिक जो संचार सेवा के माध्यम से आपत्तिजनक संदेश या गलत जानकारी भेजता है, तो उसे दो साल की जेल और 1 लाख रुपये के जुर्माना वसूला जाता है। इसके अलावा, अगर कोई लीगल कॉन्ट्रेकिट के तहत व्यक्तिगत जानकारी का लीक करता है तो, उसपर 3 साल की जेल और 5 लाख रुपये का जुर्माना का प्रावधान है।
बदलाव- नए कानून के लागू होने के बाद धारा 66ए के तहत कई नियम हैं, जिन्हें हटा दिया जाएगा। इसमें जेल की सजा को खत्म किया गया है और जुर्माने की राशि को 5 लाख रुपये निर्धारित किया गया है।अगर कोई लीगल कॉन्ट्रेकिट के तहत व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करता है तो, उसपर केवल जुर्माना भरना होगा। हालांकि, इसमें जुर्माने की राशि को पांच लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया है।
वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981पहले- यदि किसी वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में कोई फैक्ट्री या कोई ऐसा काम करता है, जिससे वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है, तो दोषी पर भारी जुर्माने के साथ ही 6 साल की जेल का भी प्रावधान है।
बदलाव- वहीं, बदलाव के बाद जेल की सजा नहीं दी जाएगी, केवल जुर्माना लगाया जाएगा। बता दें कि इसमें ज्यादा से ज्यादा 15 लाख रुपये का जुर्माना ही वसूला जा सकेगा।
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986पहले- वर्तमान में अनजाने में अगर कोई व्यक्ति किसी प्रदूषकों का अनजाने में गलत जगह पर डिसचार्ज करता है, तो उसे धारा 7 और 9 के तहत पांच साल की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ता है।
बदलाव- वहीं, बदलाव के बाद जेल के प्रावधान को हटाने का प्रस्ताव है और जुर्माना राशि को बढ़ाकर 1 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988पहले- फिलहाल, धारा 192ए के तहत, परमिट के बिना मोटर वाहन का उपयोग करने वाले व्यक्ति को छह महीने की जेल और 10,000 रुपये का जुर्माना देना पड़ता है।
बदलाव- वहीं, नए कानून के लागू होने के बाद दोषी को 6 महीने तक की जेल की सजा तो होगी, लेकिन यहां उसे कोई जुर्माना नहीं देना पड़ेगा।
खाद्य सुरक्षा (Food Safety) और मानक अधिनियम, 2006पहले- असुरक्षित भोजन की बिक्री के लिए 6 महीने तक की जेल की सजा होती है और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है। इसके अलावा, भ्रामक या गलत जानकारी देने पर किसी व्यक्ति को तीन महीने तक की जेल हो सकती है और साथ ही दो लाख तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
बदलाव- कानून में बदलाव के बाद अनसेफ फूड की बिक्री के लिए 3 महीने से ज्यादा की जेल की सजा नहीं हो सकती और 3 लाख रुपये का जुर्माना है। इसके अलावा, भ्रामक या गलत जानकारी देने पर किसी व्यक्ति को केवल जुर्माना देना होगा, जो बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है।
रेलवे अधिनियम, 1989पहले- वर्तमान समय में ट्रेन या रेलवे स्टेशन पर बिना परमिट के भीख मांगते या सामान बेचते हुए पकड़े जाने पर दोषी को या तो एक साल की जेल की सजा होती है और 2 हजार रुपये का जुर्माना लगता है।
बदलाव- वहीं, बदलाव के बाद भिखारियों के लिए सजा के प्रावधान को हटाया दिया गया है।
पेटेंट अधिनियम, 1952पहले- फिलहाल, यदि कोई व्यक्ति अपने द्वारा बेची गई वस्तु पर गलत तरीके से पेटेंट का दावा करता है, तो उसके लिए दोषी को 1 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ता है।
बदलाव- बदलाव के बाद, यदि कोई व्यक्ति अपने द्वारा बेची गई वस्तु पर गलत तरीके से पेटेंट का दावा करता है, तो उसे 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा और साथ ही, केस चलने तक प्रतिदिन 1 हजार रुपये का अतिरिक्त जुर्माना भी देना होगा।
कृषि उपज (ग्रेडिंग और मार्किंग) अधिनियम, 1937पहले- किसी वस्तु को ग्रेड चिन्ह के साथ अनाधिकृत रूप से चिह्नित करने और उसकी बिक्री के लिए जेल की सजा सुनाई जाती है।
बदलाव- बदलाव के बाद, इस अपराध के लिए जेल की सजा हटा दी जाएगी और इसके बजाय, दोषी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है।
कॉपीराइट अधिनियम, 1957पहले- किसी प्राधिकारी या अधिकारी को धोखा देने या प्रभावित करने के लिए गलत बयान देने पर दोषी को वर्तमान में एक साल जेल की सजा है और जुर्माना देना पड़ता है।
बदलाव- बदलाव के बाद इसमें ना ही दोषी को जेल की सजा होगी और न ही उसे किसी प्रकार का कोई जुर्माना देना होगा।