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Hemant Soren: गिरफ्तार हुए हेमंत सोरेन और याद आए लालू, CM की गिरफ्तारी को लेकर क्या कहते हैं नियम?

क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है? इन दिनों तकरीबन हर किसी के ज़हन में ऐसे सवाल उठ रहे हैं क्योंकि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया है लेकिन नियम-कानून क्या कहते हैं? हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और इसके कुछ देर बाद उनको प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया।

By Anurag GuptaEdited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 31 Jan 2024 10:58 PM (IST)
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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (जागरण फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है? इन दिनों तकरीबन हर किसी के ज़हन में ऐसे सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया है और इसी के साथ ही लोगों बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव याद आए, लेकिन नियम-कानून क्या कहते हैं? जरा इसके बारे में भी जान लेते हैं।

हेमंत सोरेन को लेकर खबर आ रही है कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और इसके कुछ देर बाद उनकी गिरफ्तारी हो गई। अगर आप लोगों को याद हो तो तत्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार किया गया था और उनकी जगह पर राज्य की कमान राबड़ी देवी को सौंपी गई थी। राबड़ी देवी पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की पत्नी हैं।

रांची के कथित जमीन घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन से कई घंटे तक पूछताछ की। इस पूछताछ की वजह से मुख्यमंत्री आवास और राजभवन की सुरक्षा बढ़ाई गई है।

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मुख्यमंत्री को इन मामलों में छूट नहीं

संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत मुख्यमंत्री को सिविल मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से छूट मिली हुई है। हालांकि, क्रिमिनल मामलों में वह गिरफ्तार हो सकते हैं। बिल्कुल ऐसी ही स्थिति प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों के लिए भी है। हालांकि, राष्ट्रपति और राज्यपाल को पद पर रहते हुए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।

क्या कहता है अनुच्छेद 361

अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति या किसी भी राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत में कोई क्रिमिनल कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकता है। न ही कोई भी अदालत हिरासत का आदेश दे सकती है।

गिरफ्तारी से पहले लेनी होगी अनुमति

कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के तहत मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट दी गई है, लेकिन क्रिमिनल मामलों में ऐसा नहीं है। हालांकि, क्रिमिनल मामलों में गिरफ्तारी से पहले सदन के अध्यक्ष की मंजूरी लेनी होती है। जिसका मतलब साफ है कि विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी के बाद ही मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है।

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कब-कब गिरफ्तार नहीं हो सकते मुख्यमंत्री

बता दें कि मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य की गिरफ्तारी कब हो सकती है इसको लेकर भी बकायदा नियम बने हुए हैं। कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के तहत विधानसभा सत्र शुरू होने से 40 दिन पहले और खत्म होने के 40 दिन बाद तक मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री को सदन से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।

इन नेताओं की हो चुकी है गिरफ्तारी

  • साल 1997 में चारा घोटाला मामले में सीबीआई ने पहली चार्जशीट दाखिल की थी। इस चार्जशीट में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का नाम था। ऐसे में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और कमान पत्नी राबड़ी देवी को सौंप दी। इसके बाद लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी हुई।
  • तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की भी गिरफ्तारी हो चुकी है। हालांकि, उन्होंने आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठाहराये जाने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन जब तक मामले की जांच चली वह मुख्यमंत्री पद पर बनी हुई थीं। जयललिता के पद से इस्तीफा दिये जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था।
  • साल 2011 में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने अवैध खनन मामले को लेकर लोकायुक्त की रिपोर्ट सामने आने के बाद इस्तीफा दिया था। इसके बाद राज्य की कमान डीवी सदानंद गौड़ा को सौंपी गई थी और फिर कुछ दिनों बाद येदियुरप्पा की गिरफ्तारी हुई थी।