Shehla Rashid को अब पसंद आ रहा 'नया कश्मीर', बोलीं- एक झटके में मोदी सरकार ने बदल दी घाटी की सूरत
Shehla Rashid Praise PM Modi Govt जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला रशीद ने भी आर्टिकल-370 (Article 370) को निरस्त करने के फैसले की खिलाफत की थी। उन्होंने कई सार्वजनिक मंचों से खुलकर मोदी सरकार के इस फैसले की आलोचना की थी। लेकिन वक्त के साथ उनके सुर बदलते चले गए और आज के समय वो कह रहीं हैं कि कश्मीर में मानवाधिकार रिकॉर्ड लगातार सुधर रहे हैं।
By AgencyEdited By: Piyush KumarUpdated: Wed, 16 Aug 2023 01:49 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Shehla Rashid Praise PM Modi Govt। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल-370 को निरस्त किया था तो देश से लेकर विदेशों तक से मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठी थी।
तकरीबन चार साल बाद अब जब घाटी में शांति और स्थिरता कायम हो गई है, तो मोदी सरकार की तारीफ में वो लोग भी अब कसीदे पढ़ रहे हैं, जो कल तक पानी पी-पीकर केंद्र सरकार को इस फैसले के लिए कोसते थे।
जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला रशीद ने भी आर्टिकल-370 (Article 370) को निरस्त करने के फैसले की खिलाफत की थी। उन्होंने कई सार्वजनिक मंचों से खुलकर मोदी सरकार के इस फैसले की आलोचना की थी। हालांकि, वक्त के साथ उनके सुर बदलते चले गए और आज के समय वो बोल रहीं हैं कि कश्मीर में मानवाधिकार रिकॉर्ड लगातार सुधर रहे हैं। मौजूदा सरकार ने एक ही कोशिश में कश्मीरियों की पहचान के संकट को खत्म कर दिया है।
शेहला रशीद ने की मोदी सरकार की तारीफ
स्वतंत्रता दिवस के दिन उन्होंने अपने X हैंडल (ट्वीट) के जरिए कहा,"इस बात को स्वीकार करने में भले ही हैरानी हो रही है, लेकिन कश्मीर में मानवाधिकार रिकॉर्ड में सुधार हुआ है। नरेंद्र मोदी सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन ने घाटी में लोगों की जान बचाने में मदद की है। यही मेरा दृष्टिकोण है।
कश्मीरियों के लिए पहचान का संकट खत्म: शेहला रशीद
इससे पहले 14 अगस्त को उन्होंने कश्मीर के मौजूदा हालात को लेकर केंद्र सरकारी की तारीफ की थी। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने एक ही फैसले में कश्मीरियों के लिए पहचान का संकट खत्म कर दिया। उन्होंने X (ट्वीट) के जरिए लिखा," वर्तमान सरकार एक झटके में कश्मीरियों के लिए दशकों से चले आ रहे पहचान के संकट को खत्म करने में कामयाब रही है। क्या यह आर्टिकल 370 को खत्म करने का सकारात्मक नतीजा है? शायद अगली पीढ़ी संघर्ष भरे आईडेंटिटी के साथ बड़ी नहीं होगी। शायद अब और खून-खराबा नहीं होगा।"