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Jonestown Massacre: अमेरिकी इतिहास का सबसे खौफनाक मंजर, जब एक धर्मगुरु के उकसावे पर 913 लोगों ने की थी खुदकुशी

अमेरिका के जॉन्सटाउन में एक धर्मगुरु जिम जॉन्स के कहने पर उसके 913 अनुयायियों ने एक साथ जहर पीकर आत्महत्या कर ली थी। इस घटना को इतिहास के पन्नों में जॉन्सटाउन मास सुसाइड (Jonestown Mass Suicide) जॉन्सटाउन नरसंहार (Jonestown Massacre) और न जाने कई नामों से जाना जाता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिस टीम ने उस मंजर को देखा था वो उसे आखिरी सांसों तक नहीं भूल पाया।

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Sun, 06 Aug 2023 05:50 PM (IST)
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एक साथ जहर पीकर 913 लोगों ने गंवा दी थी जान

नई दिल्ली, शालिनी कुमारी। Jonestown Mass Suicide: क्या आप सोच सकते हैं कि एक शख्स के कहने पर सैकड़ों लोग एक साथ आत्महत्या कर ले, शायद नहीं, लेकिन ऐसा हुआ है। आज हम बात करेंगे अमेरिका के सबसे खौफनाक मंजर में से एक के बारे में, जिसे 'जॉन्सटाउन नरसंहार', 'जॉन्सटाउन मास सुसाइड' और न जाने कितने ही नामों से जाना जाता है।

यह अमेरिकी इतिहास का वो भयानक दिन था, जब एक धर्मगुरु के कहने पर एक साथ 913 लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली थी। हालांकि, इस पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होगा, लेकिन यह अमेरिका के इतिहास के पन्नों में काली स्याही से लिखा हुआ है। यह मामला 18 नवंबर, 1978 का है, दशकों बीत जाने के बाद भी आज मृतकों के परिवार उस दिन को याद कर के सहम जाते हैं।

इस खबर से पूरी दुनिया हिल गई थी, अमेरिका को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा होने लगी थी। अमेरिका हर किसी को जवाबदेह होने को मजबूर हो गया था। एक दिन वो था और एक आज की दिन है, जहां अमेरिका ऐसे धर्मगुरु को पनपने तक नहीं देता है।

कहां से हुई थी खेल की शुरुआत?

इस दर्दनाक मंजर के पीछे धर्मगुरु जिम जॉन्स का हाथ था। उसका जन्म 13 मई, 1931 को इंडियाना के क्रेटे शहर में हुआ था। इसे और इसके परिवार को पहले कोई नहीं जानता था, लेकिन शुरू से ही इसके मन में ललक रही थी कि उसे दुनिया में प्रसिद्धि चाहिए और हर कोई उसे जानने लगे।

अपने इस चाहत में वो कुछ भी कर गुजरने को राजी था। फिर इसे लगा कि धर्मगुरु बनकर यह आसानी से और काफी कम समय में प्रसिद्धि हासिल कर लेगा और दुनिया उसकी कद्र करने लगेगी। वहीं से शुरू हुआ जॉन्स का खेल।

खुद को बताने लगा भगवान

जिम जॉन्स अमेरिका में पादरी बना और धीरे-धीरे इसने अपना वर्चस्व जमाना शुरू कर दिया। इसके बाद जॉन्स ने अपना चर्च बनवाया, जिसका नाम 'द पीपल्स टेंपल' (The People's Temple) रखा। इस चर्चा में धीरे-धीरे लोगों का जमावड़ा लगने लगा और सभी उसकी बातों से प्रभावित होने लगते थे। इसके बाद 1956 में जॉन्स ने खुद को भगवान कहना शुरू कर दिया और 1965 में कैलिफोर्निया शिफ्ट हो गया।

राजनीति में पकड़ बनाते ही शुरू हुआ गंदा खेल

कैलिफोर्निया में उसने लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए धमकाना, बहलाना, फुसलाना यानी जो कर सकता था, वो करना शुरू कर दिया। ऐसे उसका धंधा काफी बढ़ गया और लोगों के बीच उसकी चर्चा होने लगी थी। कैलीफॉर्निया पहुंचने के बाद उसने राजनीति में भी अपनी पैठ बना ली और यहां से उसने अपना खुफिया और खतरनाक रंग-रूप दिखाना शुरू कर दिया।

अमेरिकी प्रशासन ने लगाया चर्च पर ताला

इस चर्च में वो लोगों को अपनी बातों में फंसाने लगा, तभी अमेरिकी मीडिया में खबरें उठने लगी कि उसके चर्च में गलत चीजें हो रही है। यह खबर आग की तरह फैलने लगी, जिसके बाद सरकार हरकत में आई और उसने 'द पीपल्स चर्च' पर ताला लगा दिया।

वियतनाम में बनाया जॉन्सटाउन

यहां से जॉन्स को अपना बोरिया-बिस्तर बांधकर गुयाना शिफ्ट होना पड़ा। हालांकि, जॉन्स का प्रसिद्ध होने का फितूर अब भी नहीं उतरा था। जिस समय जॉन्स गुयाना में शिफ्ट हुआ, उस दौरान अमेरिका और वियतनाम का युद्ध चल रहा था। इसमें गुयाना को डर था कि वियतनाम के साथ ही अमेरिका भी उसे टारगेट करेगा।

इसके लिए गुयाना सरकार ने पैंतरा लगाया और जॉन्स को रहने के लिए 3800 एकड़ जमीन दे दी, ताकि वो और उसके अनुयायी यहां रहें। इससे गुयाना को यह फायदा होता कि अगर कुछ अमेरिकी उसके शहर में रहेंगे तो अमेरिका उसपर हमला नहीं करेगा और सुरक्षा भी देगा।

अनुयायियों के साथ आश्रम में रहने लगा जॉन्स

गुयाना की इस मजबूरी से जिम जॉन्स को ताकत मिल गई और उसने यहां पर जॉन्सटाउन नाम से एक पूरा शहर बसा लिया और अपने अनुयायियों के साथ रहने लगा। यहां पर जिम जॉन्स के साथ लगभग 1000 अनुयायी रहते थे। इनमें अफ्रीकी और अमेरिकी अनुयायी थे। शुरुआत में वो अपने गुरू के बातों से प्रभावित होकर यहां आए थे, लेकिन उन्हें इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि जिसे वो अपना भगवान मान रहें हैं, आखिर में उसकी असलियत क्या है।

अनुयायियों पर शुरू किया अत्याचार

धीरे-धीरे जिम जॉन्स ने अपने आश्रम जॉन्सटाउन में लोगों पर अपना सनकपना दिखाना शुरू कर दिया। दरअसल, जॉन्स को जो भी चाहिए होता था या जो भी कराना होता था, वो किसी न किसी तरह पूरा करता था। जब भी जॉन्स का कुछ करवाने का मन करता था, तो वो अपने अनुयायियों को बोलता था कि भगवान चाहते हैं। ऐसा करते-करते उसने अपने अनुयायियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया।

बच्चों से परिवार को किया दूर

अब वह आश्रम में अपने अनुयायियों से 8-10 घंटे काम कराता और किसी को ज्यादा आराम नहीं करने देता था। यहां तक कि उसने सभी के लिए अपने आश्रम से बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। यदि कोई भी जॉन्स के अत्याचारों से परेशान होकर भागने की कोशिश करता था तो, जॉन्स के गार्ड उसे पकड़ लाते और खूब मारते-पीटते थे।

कुछ लोगों ने तो जगह छोड़कर जाने का विचार भी अपने मन से निकाल दिया था, क्योंकि उनके छोटे-छोटे बच्चे और परिवार साथ होते थे। धीरे-धीरे उसने बच्चों को अपने परिवार से भी अलग कर दिया और पूरे दिन में मात्र कुछ घंटे ही मिलने की आजादी देता था।

सांसद तक पहुंची पूरी सच्चाई

एक दिन ऐसा आया कि अपनी जान जोखिम में डालकर आश्रम से कुछ लोग फरार होने में कामयाब रहे। यह सभी सीधे अमेरिका के एक सांसद लियो रेयान के पास पहुंचे। यहां जाकर उन्होंने सांसद को पूरी सच्चाई बताई और कहा कि धर्मगुरु जिम जॉन्स अब एक खूंखार, निर्दयी और क्रूर अपराधी बन चुका है। उसने अपने आश्रम में हजारों लोगों को कैद कर रखा है और उन पर काफी जुल्म ढाता है।

आश्रम के दौरे पर निकले सांसद

इसके बाद सांसद ने योजना बनाई और अपनी टीम के साथ 17 नवंबर, 1978 में जिम जॉन्स के आश्रम का दौरा करने का फैसला किया। जब वो आश्रम पहुंचे तो, जिम जॉन्स और उसकी पत्नी ने सांसद का काफी अच्छे से स्वागत किया। इस समय आश्रम में माहौल काफी खुशनुमा लग रहा था और लोग भी शांत और खुश नजर आ रहे थे। इसके बाद सांसद वहां से चले गए, लेकिन उनके मन में अब भी कसक थी।

'हमारी मदद करो, हमें बचाओ'

सांसद रेयान ने फैसला किया कि वो एक बार फिर आश्रम जाएंगे और वहां के लोगों से बात करेंगे। फिर 18 नवंबर, 1978 को सांसद एक बार फिर आश्रम का दौरा करने पहुंचे। जब पहुंचे तो इस समय भी सब शांत और सामान्य नजर आ रहा था और वो आश्रम से निकलने लगे, लेकिन तभी उन्हें एक आवाज आई, 'हमारी मदद करो, हमें बचाओ'। इस आवाज को सुनते ही सांसद रेयान और उनकी टीम वहीं रूक गई।

सांसद पर गार्ड ने किया हमला

इस समय जॉन्स को समझ आ गया कि सांसद को आश्रम और उसकी सच्चाई को पता लग गया। जॉन्स को लगा कि अगर उसकी सच्चाई अमेरिका तक पहुंच गई, तो अमेरिकी सरकार उसे मार डालेगी, इसलिए उसने बचने के इरादे से अपने गार्ड को ऑर्डर दिया कि वो रेयान और उसके टीम की हत्या कर दे। हालांकि, सांसद किसी तरह अपनी टीम की मदद से वहां से निकल आए।

सांसद की चाकू घोंपकर हत्या

जॉन्स को पता था कि सांसद को मारना जरूरी है, वरना वो मारा जाएगा, तो उसने अपने गार्ड को किसी तरह सांसद को खत्म करने का आदेश दिया और कहा कि यह भगवान का आदेश है। इसके बाद जॉन्स के गार्ड् सांसद तक पहुंच गए और जैसे ही सांसद अपने हेलीकॉप्टर पर चढ़ने वाले थे, गार्ड् ने उनको चाकू घोंप दिया और उनकी टीम की भी हत्या कर दी।

अमेरिकी प्रशासन द्वारा मारे जाने का डर

इसके बाद जब गार्ड् वापस आए तो, जॉन्स को लगा कि अगर सांसद के मौत की खबर अमेरिका पहुंच गई, तो अमेरिकी प्रशासन उसके आश्रम पर हमला कर देगी, जिसमें उसकी मौत हो जाएगी। जॉन्स ने इसके बाद तुरंत माइक उठाया और सभी लोगों को इकट्ठा होने को कहा। इस समय आश्रम में लगभग 903 लोग मौजूद थे, जिसमें उसका परिवार भी था।

'तड़प कर और रोकर नहीं, बल्कि इज्जत के साथ मरे'

जॉन्स ने आश्रम में मौजूद लोगों को अपनी बातों में फंसाना शुरू कर दिया। उसने कहा कि अमेरिकी सरकार अब उन सबकी हत्या कर देगी। उसने कहा कि अगर अमेरिकी सेना उनका हत्या करती है, तो उन्हें कोई याद नहीं रखेगा और अगर वे सभी आत्महत्या कर लेंगे, तो पूरी दुनिया उन्हें हमेशा-हमेशा के लिए याद रखेंगे।

जॉन्स का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वो लोगों को बोल रहा है कि वो बिल्कुल भी तड़प कर और रोकर नहीं, बल्कि इज्जत के साथ मरे। जिसके लिए उन्हें जूस पीकर सिर्फ आंख बंद करना है और जमीन पर लेट जाना है।  

अंगूर के जूस में मिलाया जहर

फिर क्या था, उसने बड़े से बर्तन में सबके लिए अंगूर का जूस बनवाया। इस जूस में जॉन्स में साइनाइड (जहर) मिला दिया और सबको पीने का आदेश दिया। आश्रम में मौजूद बच्चे, बड़े, बुजुर्ग और महिलाएं सभी को यह जूस पीना था। इस घटना के दौरान आश्रम में लगभग 300 बच्चे थे। पहले बच्चों, फिर बुजुर्गों, इसके बाद महिलाओं और अंत में सभी पुरुषों को यह जहर पिलाया गया।

नवजात बच्चों को इंजेक्शन के जरिए दिया जहर

जो नवजात बच्चे यह जूस नहीं पी सकते थे, उन्हें इंजेक्शन के जरिए जहर दिया गया। इसके अलावा, जो कोई यह जूस पीने से मना कर रहा था, उसे भी इंजेक्शन के जरिए यह जहर दिया गया। इतना ही नहीं, जॉन्स में आश्रम के पास अपने चार बच्चों के साथ रहने वाली एक महिला को भी आदेश दिया कि वो अपने चारों बच्चों के साथ जहर पीकर आत्महत्या कर लें और उस महिला ने वैसा ही किया।

खुद को मरवा ली गोली

अंत में जिम जॉन्स ने अपने एक गार्ड को बोला कि वो जहर खाकर नहीं मरना चाहता है, तो उसे गोली मार दी जाए। गार्ड ने आदेश के मुताबिक जॉन्स को गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई। अगले दिन गुयनीज सैनिक जोन्सटाउन पहुंचे, तो उसने सबके मन में कभी न भूलने वाली एक याद दे दी। चारों ओर सन्नाटा और जमीन पर बिछी लाशों की चादर देखकर उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।

अमेरिकी इतिहास का सबसे काला दिन

वहां पर टीम को कुछ जिंदा लोग मिले, जो इस घटना के दौरान छिप गए थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उस घटना के दौरान एक बुजुर्ग महिला सो रही थी और जब उसकी नींद खुली तो उसने पाया कि उसके आसपास सभी मृत पड़े हैं। इस तरह 18 नवंबर, 1978 का दिन अमेरिका के इतिहास में सबसे खौफनाक दिन बन गया। इस नरसंहार पर कई सारी फिल्में और डॉक्यूमेंट्री भी बनी है, जिसे देखकर लोग आज भी कांप जाते हैं।