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कैदियों पर करता था निर्मम हमला, बच्चों को दिए दर्दनाक इंजेक्शन; जानें कौन है नाजी यातना शिविरों का कुख्यात डॉक्टर जोसेफ मेंजेले

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी आर्मी की तरफ से एक अभियान चलाया गया था। ये अभियान इंसानों पर किए गए सबसे क्रूरतम प्रयोग में से एक है। आर्मी में एक जोसेफ मेंगले नाम का डॉक्टर था जो बच्चों और महिलाओं पर कूर हमले करता था। इस वजह से इसे एंजल ऑफ डेथ कहा जाता था। उन्होंने मेडिकल और मानव विज्ञान (Anthropology) की पढ़ाई की है।

By Agency Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Sat, 22 Jun 2024 12:19 PM (IST)
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डॉक्टर जोसेफ मेंगले कैदियों पर करते थे अत्याचार

जागरण डिजिटल डेस्क। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बंदी बनाए हुए कैदियों पर जर्मन चिकित्सक कई तरह के दर्दनाक एक्सपेरिमेंट किया करते थे। ये एक्सपेरिमेंट खासकर बच्चों और महिलाओं पर किए जाते थे। नाजी आर्मी की तरफ से ये अभियान इंसानों पर किए गए सबसे क्रूरतम प्रयोग में से एक है। इनमें एक ऐसा भी डॉक्टर था, जो कैदियों पर निर्मम हमले करता था और इसे 'एंजल ऑफ डेथ' के नाम से भी जाना जाता था। डॉक्टर का नाम जोसेफ मेंगले था।

जोसेफ मेंगले को मौत का दूत के नाम से जाना जाता था। जोसेफ मेंगले को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ऑशविट्ज कैंप में उनके अत्याचारों के लिए याद किया जाता है। नाजी यातना शिविर में कैदियों पर घातक हमला करने के वजह से उन्हें मौत का दूत कहा जाता है।

कैसे पड़ा था ये नाम?

जोसेफ मेंगले को नाजी यातना शिविर में कैदियों पर घातक प्रयोग करने के लिए ये नाम मिला। बता दें कि उनका जन्म साल 1911 में 16 मार्च को जर्मनी के गुंजबर्ग में हुआ था उन्होंने म्यूनिख विश्वविद्यालय में मेडिकल और मानव विज्ञान (Anthropology) की पढ़ाई की है और 1935 में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

बच्चों को देते थे दर्दनाक इंजेक्शन

जोसेफ मेंगले के कामों में अत्यधिक क्रूरता दिखाई देती थी और वैज्ञानिक मूल्य की कमी थी, जिस वजह से वो ज्यादा पॉपुलर नहीं हुए। वो विशेष रूप से जुड़वा बच्चों पर ध्यान केंद्रित करते थे, उनका मानना ​​था कि इस पर रिसर्च करने से नाजी मान्यताओं के लिए उपयोगी जेनेटिक जानकारी सामने आ सकती है। बच्चों और युवाओं पर इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता था। इंजेक्शन की ये प्रक्रिया काफी दर्दनाक होती थी जिससे कई मौतें हुईं है। यहां तक ​​कि उन्होंने इंजेक्शन के जरिए आंखों का रंग बदलने की भी कोशिश की। ये प्रयोग पीड़ितों की सहमति के बिना किए गए थे।

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