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तीनों विधेयकों के कानून बनने पर दो वर्ष में मिल सकेगा न्याय, समन्वय का नया जरिया बनीं क्षेत्रीय परिषदें: शाह

शाह ने क्षेत्रीय परिषदों के कामकाज को सुगम बनाने के लिए अंतरराज्यीय परिषद सचिवालय के ई-रिसोर्स वेब पोर्टल का भी उद्घाटन किया। सोमवार को गांधीनगर में हुई पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भी 17 मुद्दों पर चर्चा हुई जिनमें नौ का समाधान निकाल लिया गया और राष्ट्रीय महत्व के बाकी मुद्दों को आगे गहन चर्चा के लिए निगरानी में रखा गया है।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghUpdated: Mon, 28 Aug 2023 10:28 PM (IST)
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अमित शाह ने अंतरराज्यीय परिषद सचिवालय के ई-रिसोर्स वेब पोर्टल का उद्घाटन किया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को बदलने के लिए लाए गए तीनों विधेयकों के संसद से पारित होने के बाद कोई भी केस दो वर्ष से अधिक समय तक नहीं चलेगा। पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन लाने वाले नए कानूनों को अमली जामा पहनाने के लिए सभी राज्यों से जरूरी आधारभूत संरचना और क्षमता तैयार करने की अपील की।

भारतीय न्याय संहिता से सुधरेंगे हालात

चंद्र मिशन की सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले नौ वर्षों के कामों को देते हुए शाह ने कहा कि समयबद्ध कार्यक्रम बनाकर 2030 तक भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में विश्व में सबसे आगे पहुंचाने की रूपरेखा भी तैयार की गई है। देश में अदालतों पर मुकदमों का बोझ और न्याय के लिए दशकों तक लोगों के इंतजार करने की समस्या का हवाला देते हुए अमित शाह ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के आइपीसी, सीआरपीसी और इविडेंस एक्ट की जगह लाए जा रहे भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक के संसद से पारित होने और कानून बनने के बाद इस समस्या के स्थायी समाधान का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके बाद कोई भी केस दो वर्ष से अधिक समय तक नहीं चलेगा। फिलहाल इन तीनों विधेयकों पर संसद की स्थायी समिति विचार कर रही है और संसद के शीतकालीन सत्र में इसके पारित होने की उम्मीद है।

केंद्र पर संघीय ढांचे को कमजोर करने का आरोप

विपक्ष भले ही मोदी सरकार पर संघीय ढांचे को कमजोर करने का आरोप लगाता रहा हो, लेकिन अमित शाह ने आंकड़ों के साथ बताया कि 2014 के बाद क्षेत्रीय परिषद और स्थायी समितियों की बैठकों द्वारा आपसी सहमति से मुद्दों का समाधान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 2004 से 2014 के बीच क्षेत्रीय परिषद की 11 और स्थायी समितियों की 14 बैठकें हुई थीं। जबकि 2014 से 2023 तक क्षेत्रीय परिषदों की 23 और स्थायी समितियों की 29 बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों में 1,143 मुद्दों का समाधान निकाला गया है जो कुल मुद्दों का 90 प्रतिशत है। उनके अनुसार सलाहकार की प्रकृति वाली क्षेत्रीय परिषदें राज्यों के बीच आपसी समझ, सहयोग और समन्वय का जरिया बन रही हैं।

ई-रिसोर्स वेब पोर्टल का उद्घाटन

शाह ने क्षेत्रीय परिषदों के कामकाज को सुगम बनाने के लिए अंतरराज्यीय परिषद सचिवालय के ई-रिसोर्स वेब पोर्टल का भी उद्घाटन किया। सोमवार को गांधीनगर में हुई पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भी 17 मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें नौ का समाधान निकाल लिया गया और राष्ट्रीय महत्व के बाकी मुद्दों को आगे गहन चर्चा के लिए निगरानी में रखा गया है।

राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर काम करने की अपील

शाह ने सभी राज्यों और उनसे जुड़ी क्षेत्रीय परिषदों से राष्ट्रीय महत्व के तीन मुद्दों पर संवेदनशीलता से काम करने की अपील की। ये तीन मुद्दे हैं- बच्चों के लिए पोषण अभियान, स्कूली बच्चों का ड्रापआउट कम करना और पांच लाख रुपये तक सालाना मुफ्त उपचार की सुविधा देने वाली प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ हर गरीब तक पहुंचाना। इसके साथ ही उन्होंने राज्यों से देश के 60 करोड़ लोगों को अर्थतंत्र से जोड़ने के लिए सहकारिता के तहत उठाए जा रहे कदमों में सहयोग देने की अपील की। इसके तहत दो लाख नए पैक्स (प्राइमरी एग्रीकल्चर कोआपरेटिव सोसायटी) का गठन किया जा रहा है और मौजूदा पैक्स को लाभकारी बनाने का काम भी किया जा रहा है।