जस्टिस चंद्रचूड़ व जस्टिस नजीर ने किया था जजों की नियुक्ति में सर्कुलेशन प्रक्रिया का विरोध
इस बैठक में बांबे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता के नाम को मंजूरी भी प्रदान की गई थी और कोलेजियम के कुछ सदस्यों ने मांग की थी कि अन्य उम्मीदवारों के कुछ और फैसलों पर विचार होना चाहिए।
By Ashisha Singh RajputEdited By: Updated: Tue, 11 Oct 2022 01:19 AM (IST)
नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने कहा है कि उसके दो सदस्यों जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर ने सर्कुलेशन के जरिये जजों के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया पर आपत्ति व्यक्त की थी। इस कारण शीर्ष अदालत में चार रिक्तियों को भरने की कवायद अधूरी रह गई है।
सीजेआइ ने कोलेजियम के सदस्य जजों की सहमति लेने के लिए भेजा था सर्कुलर
प्रधान न्यायाधीश व कोलेजियम के प्रमुख यूयू ललित ने इसके चार अन्य सदस्यों जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस केएम जोसेफ को इस महीने की शुरुआत में सर्कुलर भेजा था, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रविशंकर झा, पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीवी संजय कुमार और शीर्ष अदालत के वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति पर उनकी सहमति मांगी गई थी।
कोलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर संयुक्त बयान अपलोड कर दी जानकारी-
नौ अक्टूबर को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए संयुक्त बयान के मुताबिक, प्रधान न्यायाधीश द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर जस्टिस कौल और जस्टिस जोसेफ ने सहमति व्यक्त की थी, लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस नजीर ने चयन की प्रक्रिया और सर्कुलेशन से जजों की नियुक्ति पर आपत्ति व्यक्त की थी।कोलेजियम के सभी सदस्यों की ओर से जारी इस बयान के मुताबिक, संभावित उम्मीदवारों के फैसलों को सर्कुलेट करने की प्रक्रिया और उनकी योग्यता के यथार्थपरक मूल्यांकन को पहली बार 26 सितंबर की बैठक में शुरू किया गया था।
इस बैठक में बांबे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता के नाम को मंजूरी भी प्रदान की गई थी और कोलेजियम के कुछ सदस्यों ने मांग की थी कि अन्य उम्मीदवारों के कुछ और फैसलों पर विचार होना चाहिए। इसलिए बैठक को 30 सितंबर के लिए स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद और फैसले सर्कुलेट किए गए थे।
26 सितंबर की बैठक में हुए विचार-विमर्श को जारी रखने के लिए स्थगित हुई बैठक 30 सितंबर को शाम 4.30 बजे बुलाई गई थी। चूंकि जस्टिस चंद्रचूड़ बैठक में शामिल नहीं हुए, इसलिए प्रधान न्यायाधीश ने उसी दिन सर्कुलेशन के जरिये प्रस्ताव भेजा। जस्टिस कौल और जस्टिस जोसेफ ने क्रमश: एक और सात अक्टूबर के अपने पत्रों के जरिये प्रस्ताव पर सहमति दे दी थी, लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस नजीर ने एक अक्टूबर को अलग-अलग पत्रों के जरिये अपनाए गए तरीके पर आपत्ति व्यक्त की।