New CJI DY Chandrachud: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को राष्ट्रपति ने नियुक्त किया अगला सीजेआई, 9 नवंबर को लेंगे शपथ
New CJI DY Chandrachud राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर दिया है। उनका औपचारिक शपथ ग्रहण समारोह 9 नवंबर को होगा
नई दिल्ली, एएनआई। भारत के नए सीजेआई न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ बनने जा रहे हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इसकी जानकारी ट्वीट कर दी है। भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ का औपचारिक शपथ ग्रहण समारोह 9 नवंबर को होगा।
जस्टिस यू यू ललित का लेंगे स्थान
बता दें कि मौजूदा सीजेआई यूयू ललित का कार्यकाल अगले महीने 8 नवंबर को खत्म होने जा रहा है। वे केवल 74 दिन इस पद पर रहेंगे। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने सीजेआई ललित से अपने अत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने के लिए पत्र लिखा था। सीजेआई ने इसका जवाब देते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी बनाने को कहा था। अब राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ परंपरा अनुसार सीजेआई बनने जा रहे हैं। गौरतलब है कि यह परंपरा रही है कि सबसे वरिष्ठ ही सीजेआई का पद संभालता है और जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं।
10 नवंबर 2024 तक रहेगा कार्यकाल
रिजिजू ने ट्वीट कर बताया कि माननीय राष्ट्रपति मुर्मु ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को 9 नवंबर 2022 से भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है। जस्टिस चंद्रचूड़ जस्टिस यू यू ललित का स्थान लेंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ 50वें CJI बनेंगे और 9 नवंबर को पदभार ग्रहण करेंगे। एक बार नियुक्त होने के बाद उनका कार्यकाल 10 नवंबर, 2024 तक रहेगा।
पिता थे 16वें मुख्य न्यायाधीश, सबसे ज्यादा समय तक संभाला था पद
सुप्रीम कोर्ट के सात दशक से अधिक के इतिहास में पहली बार पिता-पुत्र के नाम सीजेआइ बनने का रिकार्ड दर्ज होने जा रहा है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड़ के बेटे हैं। जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ सबसे लंबे समय तक सीजेआइ रहे हैं। 1978 से 1985 के बीच वे सात साल और चार महीने प्रधान न्यायाधीश रहे थे। सुप्रीम कोर्ट का जज रहते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ दो बार अपने पिता के फैसलों को पलट चुके हैं। इनमें एक मामला विवाहेतर संबंध और दूसरा निजता के अधिकार से जुड़ा हुआ है।
जस्टिस चंद्रचूड़ के ऐतिहासिक फैसलों में शामिल
जस्टिस चंद्रचूड़ ने अयोध्या मामला सहित कई मुकदमों में संविधान पीठ का सदस्य रहते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। वे समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं मानने, आधार योजना की वैधानिकता, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश जैसे मामलों की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ के सदस्य रह चुके हैं। कोरोना महामारी के दौरान वर्चुअल सुनवाई शुरू करवाने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हाल में भी एक संविधान पीठ की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दिया था।।
2016 को बने थे सुप्रीम कोर्ट के जज
11 नवंबर 1959 को पैदा हुए जस्टिस चंद्रचूड़ को 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। वह सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति से पहले 31 अक्टूबर 2013 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ इससे पहले 29 मार्च 2000 से बाम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। उन्होंने 1998 से बॉम्बे हाई कोर्ट में जज के रूप में अपनी नियुक्ति तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी काम किया था। उन्हें जून 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था।
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