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जस्टिस संजीव खन्ना आज संभालेंगे प्रधान न्यायाधीश का पदभार, डीवाई चंद्रचूड़ का लेंगे स्थान

Justice Sanjeev Khanna जस्टिस संजीव खन्ना आज देश के 51वें प्रधान न्यायाधीश का पद ग्रहण करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें शपथ दिलाएंगी। वह जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का स्थान लेंगे जो रविवार को सेवानिवृत्त हो गए। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक होगा। जस्टिस चंद्रचूड़ ने 16 अक्टूबर को जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश की थी

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Mon, 11 Nov 2024 06:00 AM (IST)
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Justice Sanjeev Khanna जस्टिस खन्ना आज पद ग्रहण करेंगे।
एजेंसी, नई दिल्ली। Justice Sanjeev Khanna सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे जस्टिस संजीव खन्ना आज देश के 51वें प्रधान न्यायाधीश का पद ग्रहण करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें शपथ दिलाएंगी। वह जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का स्थान लेंगे जो रविवार को सेवानिवृत्त हो गए। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक होगा।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश की थी 

प्रधान न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने 16 अक्टूबर को जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश की थी और केंद्र सरकार ने 24 अक्टूबर को उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी। शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ का आखिरी कार्यदिवस था और जजों, वकीलों व शीर्ष अदालत व हाई कोर्टों के कर्मचारियों ने उन्हें भावपूर्ण विदाई दी थी।

जस्टिस खन्ना कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे

18 जनवरी, 2019 से सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे जस्टिस खन्ना कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं जिनमें चुनाव में ईवीएम की उपयोगिता बनाए रखना, चुनावी बांड योजना को खारिज करना, अनुच्छेद-370 के निरस्तीकरण के फैसले को कायम रखना और दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए अंतरिम जमानत प्रदान करना शामिल हैं।

पिता भी थे हाईकोर्ट क जज

दिल्ली स्थित एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस खन्ना, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस देव राज खन्ना के पुत्र और शीर्ष कोर्ट के पूर्व जज एचआर खन्ना के भतीजे हैं। वह हाई कोर्ट का जज नियुक्त होने से पहले अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के वकील थे।

जस्टिस एचआर खन्ना उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब आपातकाल के दौरान 1976 में एडीएम जबलपुर केस में उन्होंने असहमति वाला फैसला दिया था। संविधान पीठ के बहुमत के फैसले ने आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकार खत्म किए जाने को सही ठहराया था। इस फैसले को न्यायपालिका पर 'काला धब्बा' माना जाता है।

जस्टिस एचआर खन्ना ने कदम को असंवैधानिक करार दिया था और कानून के विरुद्ध बताया था। इसकी उन्हें कीमत चुकानी पड़ी थी और केंद्र सरकार ने उनकी अनदेखी करके जस्टिस एमएच बेग को अगला प्रधान न्यायाधीश बना दिया था।14 मई, 1960 को जन्मे जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस ला सेंटर से कानून की पढ़ाई की है। 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में पंजीकृत होने के बाद शुरुआत में उन्होंने तीस हजारी परिसर में जिला अदालतों में और फिर दिल्ली हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की है।