Same Sex Marriage Case: जस्टिस संजीव खन्ना ने सुनवाई से खुद को किया अलग, ऐन वक्त पर इस कारण उठाया कदम
Same Sex Marriage Case सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने वाले पिछले साल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर विचार करने से बुधवार को खुद को अलग कर लिया। जस्टिस खन्ना ने खुद को अलग करने के लिए निजी कारणों का हवाला दिया है।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, कोर्ट के इस फैसले की दोबारा से समीक्षा करने के लिए याचिका दायर की गई थी, जिस पर कोर्ट ने मंगलवार को मामले पर खुली अदालत में सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने खुद को किया अलग
अब न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने बुधवार को फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं पर विचार करने से खुद को अलग कर लिया। समाचार एजेंसी पीटीआई ने यह जानकारी दी है।
निजी कारणों का दिया हवाला
जस्टिस खन्ना ने खुद को अलग करने के लिए निजी कारणों का हवाला दिया है। मालूम हो कि संजीव खन्ना के इस मामले से हटने के बाद पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करने के लिए यह मामला फिर से सीजेआई के पास चला जाएगा। मामले पर सुनवाई करने के लिए मुख्य न्यायाधीश फिर से पांच जजों की नई संविधान पीठ का पुनर्गठन कर सकते हैं।कोर्ट ने पिछले साल क्या कहा था?
मालूम हो कि चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने पिछले साल 17 अक्टूबर को समलैंगिक विवाह को कानूनी समर्थन देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, पीठ ने इस दौरान कहा था कि कानून द्वारा मान्यता प्राप्त विवाहों को छोड़कर विवाह करने का कोई भी अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने पिछले साल फैसला सुनाते हुए सर्वसम्मति से माना था कि विवाह करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है और न्यायालय LGBTQIA+ व्यक्तियों को विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने के अधिकार को मान्यता नहीं दे सकता है।