New Chief Justice Of India: जस्टिस उदय उमेश ललित बने भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश
जस्टिस उदय उमेश ललित (Uday Umesh Lalit ) 27 अगस्त को देश के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु आज राष्ट्रपति भवन में न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित को भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ दिलाई।
By Versha SinghEdited By: Updated: Sat, 27 Aug 2022 10:36 AM (IST)
माला दीक्षित, नई दिल्ली। जस्टिस उदय उमेश ललित भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश बने। राष्ट्रपति दौपदी मुर्मु ने शनिवार को जस्टिस ललित को प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। जस्टिस एनवी रमणा के सेवानिवृत होने के बाद जस्टिस ललित भारत के नए प्रधान न्यायाधीश बने हैं।
जस्टिस रमणा शुक्रवार को सेवानिवृत हो गए थे। जस्टिस ललित दूसरे ऐसे प्रधान न्यायाधीश हैं जो वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बने और फिर सीजेआइ बने हैं। इससे पहले जस्टिस एसएम सीकरी वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट जज बने थे और 1971 में भारत के प्रधान न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। प्रधान न्यायाधीश के रूप में जस्टिस ललित का कार्यकाल दो महीने कुछ दिन का है वह 8 नवंबर को सेवानिवृत होंगे।
जस्टिस उदय उमेश ललित भारत के प्रधान न्यायाधीश बने। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित को भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) पद की शपथ दिलाई। जस्टिस ललित भारत के 49 वें प्रधान न्यायाधीश हैं।@JagranNews
— Mala Dixit (@mdixitjagran) August 27, 2022शनिवार को सुबह राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति दौपदी मुर्मु ने जस्टिस उदय उमेश ललित को भारत के प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कानून मत्री किरेन रिजेजु, पियूष गोयल, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश व अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। जस्टिस ललित ने प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ लेने के बाद सबसे पहले अपने पिता के पैर छुए, जो कि शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद थे।
जस्टिस एनवी रमणा ने गत तीन अगस्त को जस्टिस यूयू ललित को भारत का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश सरकार को भेजी थी। तय परंपरा के मुताबिक सेवानिवृत होने वाले प्रधान न्यायाधीश अपने उत्तराधिकारी के नाम की संस्तुति सरकार को भेजते हैं। जस्टिस ललित सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं इसलिए जस्टिस रमणा ने उनके नाम की संस्तुति सरकार को भेजी थी। 9 नवंबर 1957 को जन्में जस्टिस ललित जून 1983 में एडवोकेट के तौर पर इनरोल्ड हुए और दिसंबर 1985 तक उन्होंने बांबे हाई कोर्ट में वकालत की। इसके बाद वे दिल्ली आ गए और यहीं वकालत करने लगे।
अप्रैल 2004 में वह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील डिजिग्नेट हुए। वे 2जी घोटाले मामले में सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक नियुक्त हुए। 13 अगस्त 2014 को वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए। जस्टिस ललित ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कई अहम फैसले दिये हैं जिसमें तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करने का फैसला महत्वपूर्ण है।महाराष्ट्र के ललित के परिवार को कानून में 102 साल की विरासत है। जस्टिस यूयू ललित के दादा रंगनाथ ललित भारत की आजादी से बहुत पहले सोलापुर में एक वकील थे। शनिवार को जब जस्टिस यूयू ललित सीजेआइ के रूप में शपथ ली, तो इस समय तीन पीढ़ियां मौजूद रहीं।
जस्टिस यूयू ललित (CJI UU Lalit) ने न्यायपालिका (Judiciary) के प्रमुख के रूप में अपने 74 दिनों के कार्यकाल के दौरान तीन क्षेत्रों पर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट में कम से कम एक संविधान पीठ साल भर काम करे।शनिवार को 49वें CJI बनने वाले जस्टिस ललित ने कहा कि अन्य दो क्षेत्र हैं – शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध करना और जरूरी मामलों को मेंशन करना।
जस्टिस ललित ने कहा कि जिन क्षेत्रों में वह काम करना चाहते हैं उनमें से एक संविधान पीठों के समक्ष मामलों की सूची और विशेष रूप से तीन जजों की पीठ को भेजे गए मामलों के बारे में है।मामलों की लिस्टिंग करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, अतिआवश्यक मामलों को मेंशन करने के संबंध में वह निश्चित रूप से गौर करेंगे।