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अब 'जघन्‍य अपराधों' के लिए 16 साल में भी मिलेगी 'कड़ी सजा'

आखिरकार जुवेनाइल जस्टिस बिल राज्‍यसभा में भी बिना किसी संशोधन के पारित हो गया। अब 16 से 18 वर्ष के वो किशोर जो हत्‍या और बलात्‍कार जैसे जघन्‍य अपराधों में गिरफ्तार होंगे, उन्‍हें वयस्‍क अपराधी माना जाएगा।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Tue, 22 Dec 2015 09:26 PM (IST)

नई दिल्ली। आखिरकार जुवेनाइल जस्टिस बिल राज्यसभा में भी बिना किसी संशोधन के पारित हो गया। अब 16 से 18 वर्ष के वो किशोर जो हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में गिरफ्तार होंगे, उन्हें वयस्क अपराधी माना जाएगा।

मौजूदा कानून में 18 साल से कम उम्र के अभियुक्त को नाबालिग माना जाता है। जबकि संशोधित कानून में 'जघन्य' अपराध होने पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत मुकदमा चल सकेगा तथा सजा भी उसी के अनुरूप सुनाई जाएगी।

मौजूदा कानून में 18 साल से कम उम्र के अभियुक्त का मुकदमा सामान्य अदालत की जगह 'जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड' में चलता है।

लेकिन संशोधन के बाद नाबालिग को अदालत में पेश करने के एक महीने के अंदर 'जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड' ये जांच करेगा कि उसे 'बच्चा' माना जाए या 'वयस्क'। वयस्क माने जाने पर किशोर को मुकदमे के दौरान भी सामान्य जेल में रखा जा सकता है।

मौजूदा कानून में दोषी नाबालिग को अधिकतम तीन साल के लिए किशोर सुधार घर भेजा जा सकता है। जबकि संशोधन के बाद मुकदमा बाल अदालत में ही चलेगा लेकिन आईपीसी के तहत सजा सुनाई जाएगी। हालांकि नाबालिग को उम्रकैद सजा-ए-मौत नहीं दी जा सकती है।

संशोधित कानून का नाम

संशोधन के बाद मौजूदा जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) 2000 का नाम बदल जाएगा।

ये होंगे जघन्य अपराध

नए बिल में कहा गया है कि बलात्कार, हत्या और एसिड अटैक जैसे खतरनाक अपराधों में शामिल नाबालिगों को बालिग माना जाएगा।

हालांकि बिल पास होने का असर निर्भया केस पर नहीं पड़ेगा। लेकिन, आने वाले समय में ऐसे दूसरे अपराधी आसानी से नहीं छूट सकेंगे।