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केरल में सिल्‍वर लाइन रेल परियोजना पर संकट के बादल, मेट्रोमैन श्रीधरन ने भी प्रोजेक्‍ट को बताया मूर्खतापूर्ण

K Rail project केरल सरकार के तिरुवनंतपुरम-कासरगोड सेमी हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर सिल्वर लाइन प्रॉजेक्ट का एर्नाकुलम कोट्टायम और कोझिकोड जिलों में विरोध चल रहा है। विरोध करने वालों में कांग्रेस बीजेपी जैसे विपक्षी दल समेत कई पर्यावरण प्रेमी और संरक्षणवादी भी हैं।(प्रतीकात्‍मक फोटो)

By Jagran NewsEdited By: TilakrajUpdated: Mon, 28 Nov 2022 02:36 PM (IST)
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केरल में भाजपा और कांग्रेस कर रहे थे K-Rail प्रोजेक्‍ट का विरोध
तिरुवनंतपुरम, आईएएनएस। केरल सरकार के सिल्‍वर लाइन(K-Rail) प्रोजेक्‍ट पर संकट के बाद मंडरा रहे हैं। पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली केरल सरकार को सोमवार को बड़ा झटका तब लगा, जब केंद्र ने एक आधिकारिक आदेश जारी कर सिल्वर लाइन (के-रेल) परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए कार्यरत सभी राजस्व अधिकारियों को अन्य परियोजनाओं में शामिल करने के लिए कहा गया है।

भाजपा और कांग्रेस कर रहे थे K-Rail प्रोजेक्‍ट का विरोध

सिल्‍वर लाइन(K-Rail) प्रोजेक्‍ट के बारे में भाकपा के राज्य सचिव कनम राजेंद्रन ने पिछले सप्ताह ऐसी कोई सूचना होने से इनकार कर दिया था। उन्‍होंने कहा था कि इस मामले पर सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा में चर्चा की जानी है। हालांकि, अब आए आदेश के अनुसार, 11 जिलों में काम कर रहे 205 राजस्व अधिकारियों को अन्य परियोजनाओं में तैनात किया जाएगा। बता दें कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के कड़े विरोध के बावजूद, विजयन और उनकी टीम परियोजना के साथ आगे बढ़ने के लिए दृढ़ संकल्पित थे।

मेट्रोमैन ई. श्रीधरन ने भी 'के-रेल प्रस्ताव' को बताया था 'मूर्खतापूर्ण'

मुख्‍यमंत्री ने इस साल की शुरुआत में त्रिकाकारा में एक महत्वपूर्ण विधानसभा उपचुनाव की बैठक में जोर देकर कहा था- 'के-रेल आएगी' और तालियों की गड़गड़ाहट से इसका स्वागत किया गया था। हालांकि, इसे 'अव्यवहार्य' करार देते हुए अनुभवी कांग्रेस विधायक तिरुवंचूर राधाकृष्णन परियोजना को आधिकारिक रूप से ठंडे बस्ते में डालने की मांग की और साथ ही उन लोगों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग की, जिन्होंने इसका विरोध किया। मेट्रोमैन ई. श्रीधरन ने भी के-रेल प्रस्ताव को 'मूर्खतापूर्ण' बताया था और कहा था कि इसे कभी भी लागू नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह न तो आर्थिक रूप से व्यवहार्य है और न ही पर्यावरण की दृष्टि से उचित।

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क्‍यों हो रहा था सिल्‍वर लाइन रेलपरियोजना का विरोध?

इस परियोजना की परिकल्पना तिरुवनंतपुरम से कासरगोड को जोड़ने वाले 529.45 किलोमीटर के कॉरिडोर के रूप में की गई थी। इस सेमी-हाई स्पीड ट्रेन में 10-12 घंटे की दूरी सिर्फ 4 से 5 घंटे में पूरी हो जाती। हालांकि, कांग्रेस और भाजपा दोनों ने कहा कि इस परियोजना की भारी लागत को देखते हुए केरल के लिए जरूरत नहीं है। परियोजना में 1.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक का खर्च होने का अनुमान था। पार्टियों ने कहा कि एक पर्यावरणीय और आर्थिक आपदा होने के अलावा, यह अगली पीढ़ी के लिए एक बड़ा बोझ होगा। लेकिन लंबे समय से, विजयन और सत्तारूढ़ वाम दल कह रहे थे कि लागत लगभग 65,000 करोड़ रुपये ही होगी।

गौरतलब है कि विधानसभा का विशेष सत्र 5 दिसंबर से शुरू हो रहा है और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष द्वारा एक 'अव्यवहार्य' परियोजना से केरल को 'गुमराह' करने के लिए विजयन की आलोचना की जा सकती है।