Kaali Poster Row: काली पोस्टर विवाद पर कनाडाई सांसद चंद्र आर्य बोले- कनाडा में हिंदू और भारत विरोधी ताकतों ने हाथ मिला लिया है
काली पोस्टर को लेकर जारी विवाद पर कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने कहा है कि कनाडा की सेना में हिंदू और भारत विरोधी समूह सेना में शामिल हो गया है। इस वजह से मंदिरों पर हमले हो रहे हैं।
By Achyut KumarEdited By: Updated: Wed, 06 Jul 2022 01:01 PM (IST)
बेंगलुरु, आइएएनएस। भारत में जन्मे कनाडा के सांसद चंद्र आर्य ने बुधवार को कहा कि कनाडा में हिंदू विरोधी और भारत विरोधी ताकतों ने हाथ मिला लिया है। कनाडाई सांसद, जो मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं, ने ये टिप्पणी फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलई द्वारा मां काली पर एक आपत्तिजनक पोस्टर के संबंध में की, जिससे पूरे देश में आक्रोश का माहौल है और लोग इसकी निंदा कर रहे हैं।
'कनाडा की सेना में शामिल हो गए हैं भारत और हिंदू विरोधी समूह'चंद्र आर्य ने अपने सोशल मीडिया पर कहा, 'फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलई द्वारा काली पोस्टर को देखकर दुख हुआ। पिछले कुछ वर्षों में, कनाडा में पारंपरिक हिंदू विरोधी और भारत विरोधी समूह सेना में शामिल हो गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप मीडिया में हिंदू फोबिक लेख प्रकाशित हुए हैं और हमारे मंदिरों पर हमले हुए हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि पोस्टर के संबंध में आगा खान संग्रहालय के द्वारा मांगी गई माफी का स्वागत है।
Painful to see Kaali poster by filmmaker Leena Manimekalai.
Past few years, traditional anti-Hindu and anti-India groups in Canada have joined forces resulting in Hinduphobic articles in media & attacks on our Hindu temples.
Apology from @AgaKhanMuseum is welcome & appreciated
— Chandra Arya (@AryaCanada) July 5, 2022
'काली' पोस्टर से देश में आक्रोश का माहौल
- 'काली' पोस्टर में मां काली को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है।
- इस पोस्टर से पूरे देश में आक्रोश फैल गया है।मां काली की पूजा पूरे देश में होती है।
- चंद्र आर्य ने इससे पहले कनाडा की संसद में कन्नड़ भाषण देकर सुर्खियां बटोरी थीं।
- उनका वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
- मातृभाषा के प्रति उनके प्रेम के भाव को पूरे देश में सराहा गया।
- चंद्र आर्य कर्नाटक के तुमकुरु जिले के सिरा तालुक के द्वालालू गांव के रहने वाले हैं।
चंद्र आर्य ने ट्विटर पर लिखा था, 'मैंने कनाडा की संसद में अपनी मातृभाषा (पहली भाषा) कन्नड़ बोली। इस खूबसूरत भाषा का एक लंबा इतिहास है और इसे लगभग 50 मिलियन लोग बोलते हैं। यह पहली बार है जब भारत के बाहर दुनिया में किसी संसद में कन्नड़ बोली गई है।'