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कल्की धाम ने सुप्रीमकोर्ट से वापस ली याचिका, जाएंगे हाईकोर्ट

कल्की धाम शिलान्यास संबंधी अपनी याचिका को सुप्रीमकोर्ट से वापस ले लिया है।

By kishor joshiEdited By: Updated: Wed, 16 Nov 2016 02:09 AM (IST)
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माला दीक्षित, नई दिल्ली। कल्की धाम और उसके पीठाधीश आचार्य प्रमोद कृष्णम ने हाईकोर्ट जाने की बात कहते हुए मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली। कल्की धाम ने आचार्य प्रमोद कृष्णम के जरिए याचिका दाखिल कर शिलान्यास पर रोक लगाने के प्रशासन के आदेश को चुनौती दी थी।

मंगलवार को जब याचिका सुनवाई पर आयी तो न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ व न्यायमूर्ति रोहिंग्टन नरीमन की पीठ ने कल्की धाम के वकील एचपी शर्मा से पूछा कि वे अपनी मांग लेकर हाईकोर्ट क्यों नहीं गये। इस पर शर्मा ने कहा कि वे भी कोर्ट से ऐसी ही प्रार्थना करते हैं। उन्होंने कहा कि वे हाईकोर्ट जाने के लिए अपनी याचिका सुप्रीमकोर्ट से वापस लेना चाहते हैं साथ ही वे चाहते हैं कि कोर्ट उनकी याचिका के जल्द निपटारे के आदेश जारी करे क्योंकि ये मामला हजारों लोगों की आस्था से जुड़ा है। कोर्ट ने उन्हें याचिका वापस लेने की इजाजत देते हुए कहा कि मामले के जल्दी निपटारे की बात वे हाईकोर्ट में ही रखें।

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उत्तर प्रदेश के संभल जिले के अछोरा कंबो गांव में कल्की धाम है जहां 7 से 11 अप्रैल के बीच समारोह और शिलान्यास कार्यक्रम था लेकिन प्रशासन ने 6 नवंबर को शिलान्यास कार्यक्रम पर रोक लगा दी थी। जिसके खिलाफ कल्की धाम ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि आचार्य प्रमोद ने कल्की धाम पीठ के विस्तार के लिए पांच एकड़ जमीन और खरीदी और यहां 2003 से हर साल कल्की महोत्सव आयोजित होता है जिसमें संत और हर समुदाय के लोग भाग लेते हैं। गत 2 अक्टूबर को भक्तों को पूजा ध्यान आदि के लिए सुरक्षित स्थान मुहैया कराने के उद्देश्य से कल्की धाम के और विस्तार का फैसला लिया गया था।

याचिकाकर्ता को जैसा कि पता चला कि गत 4 नवंबर को शरीफ उल रहमान बर्क व इमाम उल रहमान ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई। उन लोगों की आपत्ति थी कि उस क्षेत्र में जब मस्जिद के पुनर्निमाण की इजाजत नहीं दी गई तो वे ऐसे में कल्की धाम के 7 से 11 नवंबर को होने वाले समारोह की अनुमति नहीं देंगे। याचिकाकर्ता का कहना था कि कुछ लोग समस्या खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं। शिलान्यास पर रोक के प्रशासन के आदेश को रद करने की मांग करते हुए कहा गया था कि संविधान में प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म और आस्था का पालन करने का अधिकार मिला हुआ है।

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आचार्य प्रमोद कृष्णम ने जागरण को बताया कि कल्की धाम वहां पहले से है और ये जमीन उनकी है। कल्की धाम के अंदर उनकी जमीन पर उन्हें शिलान्यास करने से रोका जा रहा है जो कि ठीक नहीं है। वे सुप्रीमकोर्ट से याचिका वापस लेने के बाद जल्दी ही हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे क्योंकि यह मामला लाखों लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है।