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Kanchanjunga Express Train Accident : एक दशक पहले ज्यादा असुरक्षित थी ट्रेन की यात्रा; क्या कहते हैं आंकड़े?

रेलवे सूत्रों की ओर से आंकड़े जारी कर दावा किया गया है कि 2004-2014 के बीच ट्रेन यात्रा अधिक असुरक्षित थी। 2004-14 के दौरान ट्रेन हादसों की औसत संख्या प्रति वर्ष 171 थी जबकि 2014-23 के दौरान यह संख्या घटकर 71 रह गई। मंत्रालय का तर्क है कि ऐसा सुरक्षा के बेहतर प्रबंध एवं नवाचारों के चलते संभव हो पाया है।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Tue, 18 Jun 2024 07:53 PM (IST)
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एक दशक पहले ज्यादा असुरक्षित थी ट्रेन की यात्रा। फाइल फोटो।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बंगाल में रेल हादसे के बाद राजनीति भी गर्म हो गई है। विपक्ष का आरोप है कि वर्तमान सरकार में रेल हादसे बढ़े हैं। सत्ता पक्ष इसे खारिज कर रहा है। इस बीच, रेलवे सूत्रों की ओर से आंकड़े जारी कर दावा किया गया है कि 2004-2014 के बीच ट्रेन यात्रा अधिक असुरक्षित थी।

दो मोर्चे पर काम कर रहा रेलवे

बंगाल हादसे के बाद रेलवे मंत्रालय दो मोर्चे पर काम में जुटा है। हादसे में घायल लोगों को राहत और उचित इलाज की सुविधा दिलाना है एवं दूसरा रेल यात्रा को पूर्व की तरह सहज और अत्यधिक सुरक्षित बनाने पर काम किया जा रहा है।

क्या कहते हैं आंकड़े?

अभी दो दिन पहले ही स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच को 10 हजार किमी रूट पर इंस्टाल करने की निविदा जारी की गई है। दुर्घटना के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव दिल्ली से तुरंत मौके पर पहुंचकर राहत कार्यों की निगरानी में जुट गए थे।

हादसे के संदर्भ में रेलवे सूत्रों की ओर से जारी आंकड़ों में दावा करते हुए बताया गया है कि 2004-14 के दौरान ट्रेन हादसों की औसत संख्या प्रति वर्ष 171 थी, जबकि 2014-23 के दौरान यह संख्या घटकर 71 रह गई। मंत्रालय का तर्क है कि ऐसा सुरक्षा के बेहतर प्रबंध एवं नवाचारों के चलते संभव हो पाया है।

सिग्नल व्यवस्था की गई है अपडेट

छह हजार से ज्यादा स्टेशनों पर इलेक्ट्रिक इंटरलॉकिंग सिस्टम लगाए गए हैं। सिग्नल व्यवस्था अपडेट की गई है। 11 हजार से ज्यादा क्रासिंग गेटों पर इंटरलाकिंग की व्यवस्था की गई है। पायलटों को सावधान करने के लिए लोकोमोटिव सतर्कता नियंत्रण उपकरणों से सुसज्जित किया गया है।

पिछले एक दशक में कितने बने नए ट्रैक

रेलवे के दावे के अनुसार पिछले एक दशक की तुलना में दोगुना से ज्यादा नए रेल ट्रैक बनाए गए हैं। ब्रॉड गेज मार्ग पर सभी मानव रहित लेवल क्रॉसिंग को जनवरी 2019 में ही समाप्त कर दिया गया है। कोचों में फायर नोटिस लगाया है। आग और धुआं की पूर्व सूचना को प्रसारित करने की व्यवस्था की जा रही है। रेलवे कर्मियों को लगातार प्रशिक्षण दिया जाता है। कोहरे से प्रभावित इलाकों में फाग सेफ्टी डिवाइस लगाए जा रहे हैं।

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