Karnataka: 'लगता है तुगलक सरकार है', प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण को लेकर विपक्ष का हमला, CM बोले- अगली कैबिनेट में होगी बिल पर चर्चा
Karnataka Private Sector Reservation Bill कर्नाटक में प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण को लेकर लाए गए बिल पर विवाद होने के बाद सरकार ने इसे वापस ले लिया था। अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि बिल पर अगली कैबिनेट बैठक में चर्चा की जाएगी। वहीं विपक्ष ने मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि लगता है यहां तुगलक सरकार है।
पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार ने प्राइवेट नौकरियों में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण से जुड़े बिल पर अगली कैबिनेट बैठक में चर्चा करने का फैसला किया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को कहा कि उनकी ने "कुछ भ्रम" के चलते निजी क्षेत्र में कन्नड़ लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण अनिवार्य करने वाले विधेयक को रोकने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि संदेह दूर करने के लिए विधेयक को अगली कैबिनेट बैठक में चर्चा के लिए रखा जाएगा। उन्होंने कहा, 'सोमवार को कैबिनेट बैठक में पूरी चर्चा नहीं हो सकी, तब तक मीडिया में खबरें आ चुकी थीं। वहां कुछ भ्रम था। हम अगली कैबिनेट बैठक में उन भ्रमों को दूर कर देंगे। आइए विस्तृत चर्चा करें।'
'मुख्यमंत्री ने तीन बार बदला संदेश'
मुख्यमंत्री विधेयक पर राज्य सरकार का रुख स्पष्ट करने की विपक्ष के नेता आर अशोक की मांग का जवाब दे रहे थे। आर अशोक ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपना संदेश तीन बार बदला। अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया ने अपनी पहली पोस्ट में कहा था कि कैबिनेट ने निजी क्षेत्र में कन्नडिगाओं के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण का फैसला किया है और फिर इसे हटा दिया।उन्होंने कहा कि इसके बाद मुख्यमंत्री ने एक और संदेश पोस्ट किया, जिसमें कहा गया कि कन्नडिगाओं के लिए प्रबंधन श्रेणी में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधन श्रेणी में 70 प्रतिशत आरक्षण होगा। आर अशोक ने कहा, 'आखिरकार आपने बिल को होल्ड पर रखने की घोषणा की। ऐसा प्रतीत होता है कि कर्नाटक में तुगलक सरकार है।'
'तुगलक नहीं सिद्धारमैया सरकार है'
मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में कहा, 'यहां कोई तुगलक सरकार नहीं, बल्कि सिद्धारमैया सरकार है। हम इस विधेयक को अगली कैबिनेट बैठक में लाएंगे।' इससे पहले राज्य मंत्रिमंडल ने सोमवार को 'कर्नाटक राज्य उद्योगों, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार विधेयक 2024' को मंजूरी दी थी, जिसमें निजी कंपनियों में कन्नड़ लोगों के लिए नौकरियां आरक्षित करना अनिवार्य बनाया गया था।क्या थे बिल में प्रावधान?
बिल में कहा गया है कि राज्य के उद्योग, फैक्ट्री या अन्य प्रतिष्ठान प्रबंधन श्रेणियों में पचास प्रतिशत और गैर-प्रबंधन श्रेणियों में सत्तर प्रतिशत स्थानीय उम्मीदवारों को नियुक्त करेंगे। इसमें कहा गया है कि यदि उम्मीदवारों के पास कन्नड़ भाषा के साथ माध्यमिक विद्यालय प्रमाणपत्र नहीं है तो उन्हें नोडल एजेंसी द्वारा निर्दिष्ट कन्नड़ दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करनी चाहिए।
विधेयक के अनुसार नोडल एजेंसी के पास रिपोर्ट को सत्यापित करने के उद्देश्य से किसी नियोक्ता या किसी प्रतिष्ठान के प्रबंधक के पास मौजूद किसी भी रिकॉर्ड की जानकारी या दस्तावेज मंगाने की शक्ति होगी। कोई भी नियोक्ता या प्रतिष्ठान का प्रबंधक इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो उस पर 10,000 रुपये से 25,000 रुपये तक का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान था। सरकार के इस कदम की उद्योग जगत ने आलोचना की। नैसकॉम ने यहां तक आगाह किया कि कंपनियां कर्नाटक से बाहर चली जाएंगी।