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Exclusive: बटला हाउस जहां खत्म हुआ इंडियन मुजाहिदीन के आतंक का अड्डा, कर्नल सिंह ने बताई आंखों-देखी

1984 बैच के आइपीएस अधिकारी कर्नल सिंह ने बटला हाऊस एन एनकाउंटर दैट शॉक द नेशन किताब में एनकाउंटर के जुड़े पहलुओं की आंखों देखी जानकारी दी है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Updated: Sat, 12 Sep 2020 11:37 PM (IST)
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Exclusive: बटला हाउस जहां खत्म हुआ इंडियन मुजाहिदीन के आतंक का अड्डा, कर्नल सिंह ने बताई आंखों-देखी
नीलू रंजन, नई दिल्ली। ईमेल के जरिये पहले से जानकारी देकर सिलसिलेवार बम धमाके करने वाले आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के अंत की शुरुआत का सच सामने आ गया है। 2007 में दिल्ली के कनॉट प्लेस, करोलबाग और ग्रेटर कैलाश मार्केट में बम धमाके के छह दिन के भीतर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल एक-एक कड़ी जोड़ते हुए बटला हाउस में आतंकियों के अड्डे तक पहुंचने में कामयाब रही।

स्पेशल सेल को हेड करने वाले दिल्ली पुलिस के तत्कालीन संयुक्त आयुक्त कर्नल सिंह ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में इसके बारे में विस्तार से बताया। उनके अनुसार एक सफल मुठभेड़ और अपने साथी को गंवाने के बावजूद दिल्ली पुलिस को मीडिया ट्रायल समेत चौतरफा हमलों का सामना करना पड़ा था।

एनकाउंटर के जुड़े पहलुओं की आंखों देखी जानकारी

प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक पद से सेवानिवृत हुए 1984 बैच के आइपीएस अधिकारी कर्नल सिंह ने 'बटला हाउस : एन एनकाउंटर दैट शुक द नेशन' किताब में एनकाउंटर के जुड़े पहलुओं की आंखों देखी जानकारी दी है। कर्नल सिंह के अनुसार 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में सीरियल बम धमाके और उसके छह दिन बाद 19 सितंबर तक बटला हाउस के एनकाउंटर तक के घटनाक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि धमाके से ठीक पहले आइएम द्वारा मीडिया को भेजे गए ईमेल एड्रेस में 'गुरु' शब्द का प्रयोग और लखनऊ में एक मोबाइल पर अहमदाबाद के एक मोबाइल से एक सेकेंड की मिस्ड कॉल आतंकियों तक पहुंचने में अहम साबित हुई।

कर्नल सिंह बताते हैं कि दिल्ली धमाकों के बाद स्पेशल सेल के अधिकारियों ने अपने घर परिवार की चिंता किए बगैर दिन-रात काम किया था। आतंकियों की गोली के शिकार हुए इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा का बेटा एनकाउंटर के समय अस्पताल में डेंगू से जूझ रहा था और घटना के ठीक पहले उसे प्लाज्मा चढ़ाया गया था।

इंडियन मुजाहिदीन को धीरे-धीरे खत्म किया गया

कर्नल सिंह के अनुसार बटला हाउस का एनकाउंटर आइएम के खात्मे की शुरुआत थी। इसके पहले 11 महीने में नवंबर 2007 से सितंबर 2008 के बीच उत्तर प्रदेश, बेंगलुरु, अहमदाबाद, सूरत और दिल्ली में एक के बाद एक सीरियल बम धमाकों को अंजाम देने वाला आइएम इसके बाद धीरे-धीरे खत्म हो गया। उसके सारे आतंकी या तो पकड़े गए या फिर एनकाउंटर में मारे गए। 2013 में आइएम सरगना यासीन भटकल को भी नेपाल से गिरफ्तार करने में सफलता मिल गई।

पुलिस को मीडिया ट्रायल और राजनीतिक हमलों का करना पड़ा सामना

बटला हाउस एनकाउंटर और इससे आइएम को खत्म करने में मिली सफलता के साथ ही कर्नल सिंह ने यह भी बताया कि इसके बाद किस तरह दिल्ली पुलिस को मीडिया ट्रायल और उससे बनी आम धारणा और राजनीतिक हमलों का सामना करना पड़ा। इतना खराब माहौल बनाया गया कि आइएम का एक संदिग्ध आतंकी जीशान एक न्यूज चैनल के स्टूडियो में पहुंच गया और पुलिस की जांच को खुली चुनौती देने लगा। यही नहीं, जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वीसी मुशीरुल हसन ने बटला हाउस से गिरफ्तार आतंकियों को कानूनी मदद की घोषणा कर दी। बाद में जब कर्नल सिंह ने मुशीरुल हसन के सामने सारे तथ्य रखे तो वे चुप हो गए।

संप्रग सरकार ने न्यायिक जांच का बना लिया था मन

कर्नल सिंह के अनुसार बटला हाउस एनकाउंटर के राजनीतिक मुद्दा बनने और कांग्रेस के भीतर से दिग्विजय सिंह की ओर से मांग उठने के बाद संप्रग सरकार ने न्यायिक जांच का मन भी बना लिया था। तत्कालीन गृह सचिव ने इस पर विचार के लिए दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों को तलब भी कर लिया, लेकिन तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मणयम के अड़ जाने से जांच नहीं हुई।

कर्नल सिंह के अनुसार दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल के घर पर कैबिनेट मंत्री कपिल सिब्बल को एनकाउंटर के सारे तथ्य दिखाए गए। इन तथ्यों से तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को भी अवगत कराया गया। बाद में एक मुलाकात में मनमोहन सिंह ने खुद उन्हें बेहतरीन जांच के लिए बधाई दी।