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Kargil Vijay Diwas 2022: चरवाहे ने भारतीय सेना को दी थी पाकिस्तानी घुसपैठ की जानकारी, पढ़ें 'आपरेशन विजय' की सफलता की पूरी गाथा

Kargil Vijay Diwas 2022 भारतीय इतिहास में आज का दिन बेहद खास है। आज भारत कारगिल युद्ध की 23वीं वर्षगांठ मना रहा है। आज के ही दिन 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने कारगिल की दुर्गम पहाड़ियों पर पाकिस्तानी सेना को धूल चटाते हुए विजय पताका फहराई थी।

By Achyut KumarEdited By: Updated: Tue, 26 Jul 2022 08:29 AM (IST)
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Kargil Vijay Diwas 2022: कारगिल में 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने फहराई थी विजय पताका ( फाइल फोटो)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। आज का दिन (26 जुलाई) भारतीय इतिहास में बेहद खास है। यह दिन भारतीय सेना के वीर और साहसी सपूतों को समर्पित है। आज के दिन भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हुए कारगिल की दुर्गम चोटिंयों से पाकिस्तानी सेना को खदेड़कर तिरंगा फहराया था। आइए जानते हैं कि कारगिल युद्ध कैसे शुरू हुआ, कितने दिन तक चला और कैसे भारत ने दुर्गम चोटी पर विजय पताका फहराया... पढ़ें 'आपरेशन विजय' के सफल होने की पूरी गाथा..

चरवाहे ने दी भारतीय सेना को घुसपैठ के बारे में जानकारी

दरअसल, 3 मई 1999 से 15 मई 1999 के बीच भारतीय सेना को ताशी नामग्याल नाम के एक चरवाहे ने कारगिल में पाकिस्तानी सेना के घुसपैठ के बारे में जानकारी थी। भारतीय सेना ने बताया कि 600-800 घुसपैठियों ने एलओसी पार कर कारगिल में अपना ठिकाना बना लिया है। इस जानकारी के बाद 25 मई 1999 को और सैनिकों को कश्मीर रवाना किया गया। 26 मई को भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए घुसपैठियों पर हमले करने शुरू कर दिए। इसमें भारतीय वायुसेना की भी मदद ली गई।

फ्लाइंट लेफ्टिनेंट को पाकिस्तान ने बनाया बंदी

27 मई 1999 को फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता के विमान में अचानक आग लग गई। विमान पाकिस्तान के नियंत्रण वाले इलाके में जा पहुंचा, जहां उन्हें बंदी बना लिया गयाष इसी दौरान एक अन्य मिग-21 विमान को पाकिस्तानी सेना ने मार गिराया, जिसमें स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा शहीद हो गए।

भारत ने 31 मई 1999 को किया युद्ध का ऐलान

31 मई 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया। एक जून को तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस ने सेफ पैसेज की पेशकश की, जिस पर काफी विवाद हुआ। इस बीच पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सैनिकों पर ताबड़तोड़ हमला करना शुरू कर दिया। अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों ने पाकिस्तान को नियंत्रण रेखा के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराया।

तीन जून को पाकिस्तान ने फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को सौंपा

तीन जून 1999 को पाकिस्तान ने बंदी बनाए गए फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को भारत को सौंप दिया। 10 जून को पाकिस्तान ने जाट रेजिमेंट के 6 सैनिकों के शव भारत भेजे, जो क्षत-विक्षत अवस्था में थे। 13 जून को भारत ने महत्वपूर्ण तोलोलिंग चोटी को फिर से अपने कब्जे में कर लिया।

अमेरिका ने की पाकिस्तान के पीएम से की बातचीत

15 जून को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने कारगिल में जारी युद्ध को लेकर पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से टेलीफोन पर बातचीत कर अपने सैनिकों को कारगिल से वापस लौटने का आदेश देने को कहा।

23-27 जून के बीच अमेरिकी जनरल जिन्नी ने इस्लामाबाद का दौरा किया और नवाज शरीफ से सेना को पीछे लौटने का आदेश देने को कहा।

चार जुलाई को भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर किया कब्जा

चार जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया। इसके बाद बिल क्लिंटन ने वाशिंगटन डीसी में नवाज शरीफ से मुलाकात की और एक बार फिर सेना को वापस बुलाने को कहा, जिस पर शरीफ ने टेलीविजन के जरिए देश को संबोधित किया और सेना को वापल बुलाने की घोषणा की। इस दौरान उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत का प्रस्ताव भी रखा।

14 जुलाई को सफल घोषित किया गया 'आपरेशन विजय'

14 जुलाई 199 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आपरेशन विजय को सफल घोषित किया इसके बाद 26 जुलाई यानी आज के ही दिन कारगिल युद्ध आधिकारिक रूप से समाप्त हुआ। यह युद्ध लगभग दो महीने तक चला। इस दौरान भारत के 562 जवान शहीद हुए। जबकि पाकिस्तान के 600 से ज्यादा सैनिक मारे गए और 1500 से अधिक घायल हुए। कारगिल युद्ध दुनिया के सबसे ऊंचे इलाकों में लड़ी गई जंग में से एक है। इस साल हम कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।