Move to Jagran APP

कर्नाटक में 101 लोगों को उम्रकैद की सजा, 10 साल पुराने मामले पर आया फैसला

Karnataka News कर्नाटक में एक अदालत ने एक मामले में 101 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इन आरोपियों को हाल ही में दोषी ठहराया गया था। मामले में कुल 117 आरोपी थेजिनमें से 16 लोगों की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। अब 101 लोगों को दोषी बनाया गया है। पढ़ें आखिर क्या है पूरा मामला।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 25 Oct 2024 07:44 PM (IST)
Hero Image
सभी आरोपियों को हाल ही में दोषी ठहराया गया था। (File Image)
पीटीआई, कोप्पलस। कर्नाटक स्थित कोप्पल जिले की एक अदालत ने वंचित समुदाय की बस्ती में आग लगाने में 101 लोगों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आरोपियों को हाल ही में दोषी ठहराया गया था और गुरुवार को अदालत ने सजा सुनाई।

जाति आधारित हिंसा से जुड़ा यह मामला 28 अगस्त 2014 को गंगावती तालुका के मारकुंबी गांव का है। आरोपियों ने वंचित समुदाय के लोगों के घरों में आग लगा दी थी। वंचितों को नाई की दुकान और ढाबों में प्रवेश से मना करने को लेकर झड़प शुरू हुई थी।

117 लोगों को बनाया गया था आरोपी

इस घटना के बाद राज्य के कई हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। अभियोजन पक्ष के अनुसार, इस मामले में 117 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से 16 लोगों की सुनवाई के दौरान मौत हो गई।

(File Image)

दया दिखाना न्याय का मजाक बनाना होगा: कोर्ट

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार मामले पर फैसला सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश सी. चंद्रशेखर ने कहा, 'इस तरह के मामले में दया दिखाना न्याय का मखौल उड़ाना होगा। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि घायल पीड़ित, पुरुष और महिला, अनुसूचित जाति से हैं और आरोपियों ने महिलाओं की गरिमा का हनन किया है, पीड़ितों पर लाठी, पत्थरों और ईंट के टुकड़ों से हमला किया है, जिससे उन्हें चोटें आई हैं।

'अधिक से अधिक दी जानी चाहिए सजा'

उन्होंने कहा कि उनका मानना ​​है कि आरोपियों को निर्धारित न्यूनतम सजा अवधि से अधिक अवधि की सजा दी जानी चाहिए। न्यायालय ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(2)(iv) के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

कमजोर लोगों से अधिक मजबूत नहीं होता राष्ट्र: कोर्ट

अदालत ने अपने आदेश की शुरुआत में अफ्रीकी-अमेरिकी गायिका मैरियन एंडरसन को कोट करते हुए कहा, ' कोई भी राष्ट्र कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह अपने सबसे कमजोर लोगों से अधिक मजबूत नहीं होता है और जब तक आप किसी व्यक्ति को नीचे रखते हैं, तब तक आपका कुछ हिस्सा उसे नीचे रखने के लिए नीचे रहेगा। इसलिए इसका मतलब है कि आप उतनी ऊंचाई नहीं छू सकते, जितनी आप अन्यथा छू सकते हैं।'

लाइव लॉ के अनुसार दोषी करार दिए जाने पर कुछ आरोपियों ने दलील दी कि सभी ने झोपड़ियों में आग नहीं लगाई थी। उन्होंने अदालत से यह भी आग्रह किया कि उनकी साधारण पृष्ठभूमि पर भी विचार किया जाए, क्योंकि उनमें से कुछ किसान, कुली और दिहाड़ी मजदूर थे।