कर्नाटक सरकार ने स्वीकार की विवादित जाति जनगणना रिपोर्ट, वोक्कालिगा-लिंगायत समुदाय जता चुके हैं आपत्ति
कर्नाटक के प्रभावशाली समुदायों वोक्कालिगा व लिंगायतों की आपत्तियों के बावजूद सिद्दरमैया सरकार ने गुरुवार को बहुप्रतीक्षित सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वे रिपोर्ट (जाति जनगणना) को स्वीकार कर लिया। मामले में कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि जरूरत पड़ने पर रिपोर्ट पर कानूनी सलाह ली जाएगी। हालांकि पहले यह देखना होगा कि रिपोर्ट के अध्ययन में कितने समय की जरूरत है।
पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक के प्रभावशाली समुदायों वोक्कालिगा व लिंगायतों की आपत्तियों के बावजूद सिद्दरमैया सरकार ने गुरुवार को बहुप्रतीक्षित सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वे रिपोर्ट (जाति जनगणना) को स्वीकार कर लिया। कुछ माह पहले बिहार सरकार द्वारा जाति सर्वेक्षण जारी किए जाने के बाद से ही सरकार पर दबाव था। हालांकि, मुख्यमंत्री ने कहा कि रिपोर्ट को कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा और चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार का यह कदम राज्य में नया विवाद खड़ा कर सकता है। इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ कांग्रेस में भी मतभेद हैं।
कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के. जयप्रकाश हेगड़े ने गुरुवार को विधान सौध में मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को रिपोर्ट सौंपी। मामले में कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि जरूरत पड़ने पर रिपोर्ट पर कानूनी सलाह ली जाएगी। हालांकि, पहले यह देखना होगा कि रिपोर्ट के अध्ययन में कितने समय की जरूरत है।यह भी पढ़ें: हिंदू मंदिरों पर टैक्स लगाने वाला विधेयक में क्या हैं प्रस्ताव? BJP-JDS विधायकों की अनुपस्थिति में विधानसभा से पारित
बता दें कि तत्कालीन सिद्दरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार (2013-18) ने 2015 में 170 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सर्वे शुरू किया था। तत्कालीन अध्यक्ष कंथाराजू के नेतृत्व में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को सर्वे का काम सौंपा गया था। 2018 में कार्य पूर्ण होने के बावजूद रिपोर्ट को न तो स्वीकार किया गया और न ही इसे सार्वजनिक किया गया।