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Corruption in Government Offices: सरकारी कार्यालयों में व्याप्त है भ्रष्टाचार : कर्नाटक उच्च न्यायालय

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बैंगलोर विकास प्राधिकरण के एक अधिकारी को जमानत देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार था। न्यायालय ने कहा याचिकाकर्ता जमानत देने का हकदार नहीं है।

By Versha SinghEdited By: Updated: Sat, 20 Aug 2022 12:48 PM (IST)
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सरकारी कार्यालयों में व्याप्त है भ्रष्टाचार : कर्नाटक HC
बेंगलुरु, एजेंसी। कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने बैंगलोर विकास प्राधिकरण (Bangalore Development Authority) के एक अधिकारी को जमानत देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार था।

न्यायमूर्ति के. नटराजन (Justice K. Natarajan) ने बीडीए में सहायक अभियंता बी टी राजू (Assistant Engineer B T Raju) को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि, आजकल सरकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार व्याप्त हो गया है और बिना रिश्वत के कोई भी फाइल स्थानांतरित नहीं की जाती है। इसलिए, मेरा विचार है कि याचिकाकर्ता इस स्तर पर जमानत देने का हकदार नहीं है।

बीडीए ने कथित तौर पर बिना उचित अधिग्रहण कार्यवाही (acquisition proceedings) के सुवलाल जैन और सुरेश चंद जैन की जमीन का इस्तेमाल सड़क के लिए किया था। उनके जीपीए (जनरल पावर आफ अटार्नी) धारक मंजूनाथ द्वारा भूमि के बदले वैकल्पिक साइट के लिए एक आवेदन दायर किया गया था।

कथित तौर पर राजू ने एक करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी। जिसके बाद उसने इसे 60 लाख रुपये तक कम किया और फिर 7 जून, 2022 को नकद में 5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था।

बता दें कि मंजूनाथ द्वारा आवेदन नवंबर 2021 में बीडीए के समक्ष दायर किया गया था, जिसे अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण अधिकारी और उसके बाद सर्वेयर और फिर कार्यकारी अभियंता (पश्चिम) और अंत में राजू के समक्ष तीन जनवरी, 2022 को स्थानांतरित कर दिया गया था। राजू ने कथित तौर पर इसे एसीबी द्वारा ट्रैप किए जाने और छह महीने बाद अपनी गिरफ्तारी के दिन तक लंबित रखा।

बता दें कि एसीबी ने राजू को घूस लेते हुए एक कार में पकड़ा था। इसने पहले एक काल रिकार्डिंग हासिल की थी जिसमें उसने रिश्वत की मांग की थी।

हाई कोर्ट ने राजू की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा, टेलीफोन पर बातचीत और एसीबी द्वारा की गई कार्यवाही से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने नोटों को स्वीकार किया था, जिसमें पुलिस ने फिनोलफथेलिन पाउडर लगाया था।