Karnataka: मुस्लिम पर्सनल लॉ से ऊपर है देश का कानून, नाबालिग लड़की की शादी को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट की टिप्पणी
नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने माना है कि देश का कानून मुस्लिम पर्सनल लॉ से ऊपर है। बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट एक 27 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Mon, 31 Oct 2022 12:31 PM (IST)
बेंगलुरु, एजेंसी। कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने दो अलग-अलग मामलों में माना है कि पॉक्सो अधिनियम और आईपीसी लड़कियों की शादी की उम्र के संबंध में मुस्लिम पर्सनल लॉ कानून को ओवरराइड कर देता है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि एक नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी 15 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद विवाह बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 का उल्लंघन नहीं मानी जाएगी।
जस्टिस राजेंद्र बादामीकर ने क्या कहा
जस्टिस राजेंद्र बादामीकर की पीठ ने कहा कि पॉक्सो एक्ट एक विशेष अधिनियम है और यह पर्सनल लॉ को ओवरराइड करता है और इस अधिनियम के अनुसार, यौन गतिविधियों में शामिल होने की आयु 18 वर्ष है। पीठ ने कहा याचिकाकर्ता पीड़िता का पति है और इन तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए कि शादी को लेकर कोई गंभीर विवाद नहीं है। याचिकाकर्ता ने खुद कोर्ट के समक्ष संबंधित दस्तावेज भी पेश किए हैं।
क्या है मामला
बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट एक 27 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसकी पत्नी 17 साल की थी और गर्भवती हो गई थी। आरोपी के खिलाफ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9 और 10 और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 और 6 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए केस दर्ज किया गया था। उस पर आरोप है कि उसने एक नाबालिग मुस्लिम लड़की से शादी की और उसे गर्भवती कर दिया।लड़की के पति के खिलाफ दर्ज हुई थी FIR
हालांकि, कर्नाटक हाई कोर्ट ने नाबालिग मुस्लिम लड़की के पति को जमानत दे दी थी, लेकिन यह मामला तब सामने आया था। जब 16 जून 2022 को पीड़िता/आरोपी की पत्नी ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल चेकअप कराया था। जांच में पता चला कि वह गर्भवती है। इसके अलावा, यह भी पता चला कि उसकी उम्र केवल 17 वर्ष है। जिसके बाद केआर पुरम थाने के पुलिस उपनिरीक्षक ने याचिकाकर्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।