हिजाब विवाद: कर्नाटक हाई कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला रखा सुरक्षित
कर्नाटक हाई कोर्ट में पिछले 11 दिनों से हिजाब विवाद को लेकर सुनवाई जारी थी। शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को लेकर कोर्ट में तमाम याचिकाएं दायर की गई थी। इन सभी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
Karnataka High Court reserves its order on various petitions challenging the ban on Hijab in education institutions pic.twitter.com/iNLyPfsXP7
— ANI (@ANI) February 25, 2022
अल्पसंख्यकों को समाज की मुख्यधारा में शामिल होने की सलाहइस बीच एक वर्चुअली आयोजित उद्घाटन समारोह के दौरान कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने प्रदेश के अल्पसंख्यकों को एक सलाह दी है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और सामाजिक मुख्यधारा में शामिल होने के लिए तेजी से बदलती दुनिया के अनुकूल होना चाहिए। बोम्मई ने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए सामाजिक न्याय के साथ सामाजिक विकास विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से हासिल किया जा सकता है। उन्होंने अल्पसंख्यकों के बीच आर्थिक परेशानियों के मद्देनजर कहा कि उनके विकास के लिए उपयुक्त कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे।
मुख्य न्यायाधीश ने कही थी सुनवाई खत्म करने की बात
कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब प्रतिबंध को लेकर विवाद की स्थिती बनी हुई है। मामले में मुस्लिम छात्राओं के ओर से कई याचिकाएं दायर की गई थी। जिनपर पिछले 11 दिनों से हाईकोर्ट में सुनवाई जारी थी। इस दौरान केस के पक्ष और विपक्ष दोनों के ओर से तमाम तरह की दलीलें पेश की गई। मामले की सुनवाई कर रहे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने पिछली सुनवाई के दौरान यह साफ कर दिया था कि वे इस हफ्ते मामले की सुनवाई निपटाना चाहेंगे।
पक्ष और विपक्ष दोनों ने पेश की कई दलीलें
शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब प्रतिबंध के मामले में कर्नाटक सरकार की ओर से कोर्ट में कई दलीले दी गई। जिनमें बताया गया कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक परंपरा का हिस्सा नहीं है। सरकार का कहना है कि धर्म को शिक्षण संस्थानों से दूर रखा जाना चाहिए। सरकार का कहना है कि मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर स्कूल कंपाउंड में आ सकती है, लेकिन क्लास के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। वहीं, हिजाब प्रतिबंध को हाई कोर्ट में चुनौति देने वाली मुस्लिम छात्राओं ने सुनावई के दौरान कहा था कि हिजाब धार्मिक परंपरा का हिस्सा नहीं है। लेकिन यह उनकी धर्म के प्रति आस्था को दर्शाता है, जिसके चलते हिजाब को धर्म के जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।