Karnataka: यतनाल प्रकरण पर बोले प्रह्लाद जोशी, 'केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा कि कार्रवाई करनी है या नहीं'
पार्टी में उठ रही आवाजों के बारे में एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए जोशी ने कहा कि राज्य पदाधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में येदियुरप्पा खेमे का दबदबा है क्योंकि उनके विश्वासपात्रों को नियुक्त किया गया है। जोशी ने कहा पार्टी में हर कोई भाजपा का है और ऐसा कुछ भी नहीं है। कोई किसी के करीब होता है जबकि कोई नहीं।
पीटीआई, दावणगेर (कर्नाटक)। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा कि पार्टी के वरिष्ठ विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल के खिलाफ कार्रवाई की जाए या नहीं। उन्होंने कहा कि वो सार्वजनिक रूप से पार्टी के राज्य नेताओं के खिलाफ बयानबाजी और आरोप लगाते रहे हैं।
उन्होंने पार्टीजनों और नेताओं से अपने मुद्दे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा या अन्य केंद्रीय नेताओं के समक्ष उठाने और अपनी चिंताओं को सार्वजनिक या मीडिया के सामने व्यक्त करना बंद करने का भी आग्रह किया। यतनाल के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी या नहीं, इस सवाल के जवाब में जोशी ने कहा, "वह (यतनाल) एक मौजूदा विधायक हैं। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय इकाई इस पर फैसला करेगी कि उन्हें फोन करके बात करनी है या कार्रवाई करनी है।"
पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के जाने-माने प्रतिद्वंद्वी यतनाल पिछले कुछ समय से दिग्गज नेता और उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र के खिलाफ सार्वजनिक रूप से आरोप लगा रहे हैं। यहां तक कि उन्होंने विजयेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने के पार्टी के फैसले की भी खुलकर आलोचना की थी। यतनाल ने हाल ही में आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के नेतृत्व में पिछली भाजपा सरकार के दौरान कोविड-19 के समय 40,000 करोड़ रुपये की धनराशि का दुरुपयोग किया गया था। पार्टी नेताओं का एक वर्ग यतनाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है।
पार्टी में उठ रही आवाजों के बारे में एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए जोशी ने कहा कि राज्य पदाधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में येदियुरप्पा खेमे का दबदबा है, क्योंकि उनके विश्वासपात्रों को नियुक्त किया गया है। जोशी ने कहा, "पार्टी में हर कोई भाजपा का है और ऐसा कुछ भी नहीं है। कोई किसी के करीब होता है, जबकि कोई नहीं।"उन्होंने कहा, "अगर किसी के पास कोई मुद्दा या चिंता है तो वे इसे प्रदेश अध्यक्ष के संज्ञान में ला सकते हैं, और यदि इसे प्रदेश अध्यक्ष के साथ साझा नहीं किया जा सकता है, तो इस पर राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ चर्चा की जा सकती है। इसके बजाय, खुले तौर पर बयान देना अच्छा नहीं होगा। मैं सार्वजनिक बयान देने वाले सभी लोगों से कहना चाहता हूं कि अगर वे पार्टी के हित में सोचते हैं, तो खुले बयान देना बंद करें; यह सही नहीं है।"