Tomato Price Hike: टमाटर से करोड़पति बनने की कहानी! कर्ज में डूबे कैसे अमीर बने किसान?
टमाटर के दाम जरुरत से ज्यादा लाल हो गए हैं। आलम यह है कि जो लोग घर में एक किलो टमाटर खरीदकर ला रहे थे वो अब 250 ग्राम टमाटर से ही अपना काम चला रहे हैं। ये हालत आम लोगों की है जो खुदरा में टमाटर खरीद रहे हैं। हालांकि जिन किसानों की टमाटर की फसल समय से तैयार हो गई थी उन्होंने भारी मुनाफा कमाया है।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Fri, 11 Aug 2023 04:06 PM (IST)
दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। टमाटर के दाम जरुरत से ज्यादा लाल हो गए हैं। आलम यह है कि जो लोग घर में एक किलो टमाटर खरीदकर ला रहे थे वो अब 250 ग्राम टमाटर से ही अपना काम चला रहे हैं। ये हालत आम लोगों की है जो फुटरक में टमाटर खरीद रहे हैं। हालांकि, जिन किसानों की टमाटर की फसल समय से तैयार हो गई थी उन्होंने भारी मुनाफा कमाया है।
कुख टमाटर किसानों ने फसल बेचकर करोड़ों का मुनाफा कमा लिया है। जिन टमाटर किसानों के पास जुलाई-अगस्त में बेचने के लिए टमाटर हैं वो इन दोंनों महीनों को यादगार महीनों के तौर पर संजो कर रखेंगे। दरअसल, तेलंगाना के पुलुमामिडी गांव के अनंत रेड्डी ने अपनी टमाटर की प्रति एकड़ फसल से 20 लाख रुपये की कमाई की है। किसान ने अपनी फसल बेचकर नया ट्रैक्टर और एक हुंडई वेन्यू कार खरीद ली है।
5 एकड़ के खेत से 1.4 करोड़ रुपये कमाए
वहीं, कर्नाटक के जलबिगनपल्ली गांव के साल के टमाटर किसान अरविंद ने अपने 5 एकड़ के खेत से 1.4 करोड़ रुपये कमाए हैं। इन पैसों से अरविंद अपनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मां के लिए एक आलीशान घर खरीदने जा रहे हैं। इस सीजन में टमाटर बेचकर स्टार बने किसानों में आंध्र प्रदेश के दो भाई पासलप्पागारी चंद्रमौली और पासलप्पागारी मुरली भी हैं, जिन्होंने हैं, दस लाख किलो से ज्यादा टमाटर बेचकर 3 करोड़ रुपये से भी ज्यादा कमाए हैं।अपने गांव में सेलिब्रिटी है ये किसान
ऐसे ही तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से मात्र दो घंटे की दूरी पर पहने वाले अर्पति नरसिम्हा रेड्डी सैयदपल्ले गांव में एक सेलिब्रिटी हैं। नरसिम्हा ने बताया कि टमाटर आम तौर पर 300 रुपये प्रति 20 किलो का डिब्बा बिकता है। जब टमाटर की ज्यादा पैदावार होती है तो टमाटर का एक डिब्बा 40 या 50 रुपये में जाता है, लेकिन कभी-कभी मैंने अपनी उपज नालियों में भी फेंक दी है।
इस साल असमय बारिश के कारण बड़ी मात्रा में टमाटर की फसल नष्ट हो गई। तेलंगाना में रकबा 25,000 से गिरकर 2,000 हो गया। इसके अलावा श्रम शुल्क ने भी खेती को मुश्किल बना दिया। मगर, तभी नरसिम्हा और अनंत जैसे किसानों की स्वस्थ टमाटर की फसल थी और उन्होंने इससे बड़ा मुनाफा कमाया।